CGMSC घोटालेबाजों पर अब कसेगा शिकंजा

Update: 2025-02-01 05:49 GMT

सर्वप्रथम वरिष्ठ भाजपा नेता ननकी राम कंवर ने जनता से रिश्ता के माध्यम से मामला उठाया था

खबर को संज्ञान में लेकर यदि तत्कालिन कांग्रेस सरकार कार्रवाई करती तो छग के जनता की पसीने की गाढ़ी कमाई के हजारों करोड़ का बंदरबाट नहीं होता

भूपेश बघेल जो छत्तीसगढिय़ा होने का नाटक करते रहे उनके नीचे अधिकारी कर्मचारियों ने दोनों हाथों से छग को जमकर लूटा

तत्कालीन स्वास्थ्य मंत्री और पूर्व सीएम की भी भूमिका की जाँच हो

8.50 पैसे की वस्तु को 2300 रूपये से भी ज्यादा और 5 लाख की मशीन को 17 लाख में खरीदा

छत्तीसगढ़ को जमकर लूटा है अफसरों और कर्मचारियों ने, इनको किसी कानून का डर भी नहीं था

ACB और EOW ने 2 आईएएस समेत 6 अफसरों के खिलाफ सरकार से मांगी जांच की अनुमति

रायपुर। सीजीएमसी घोटाला मामले को सर्वप्रथम वरिष्ठ भाजपा नेता ननकी राम कंवर ने जनता से रिश्ता के माध्यम से मामला उठाया था। खबर को संज्ञान में लेकर यदि भूपेश सरकार कार्रवाई करती तो छग के जनता की गाढ़े पसीने कमाई के हजारों करोड़ का बंदरबाट नहीं होता भूपेश बघेल जो छत्तीसगढिय़ा होने का नाटक करते रहे उनके नीचे अधिकारी कर्मचारियों ने दोनों हाथों से छग को जमकर लूटा।

मंत्रालय के उच्च पदस्थ सूत्रों के मुताबिक ईओडब्ल्यू-एसीबी ने राज्य सरकार से दो आईएएस समेत सीजीएमएससी के छह अफसरों के खिलाफ जांच की अनुमति मांगी है। 400 करोड़ रुपए से अधिक के घोटाले की जांच कर रही ईओडब्ल्यू-एसीबी ने सीजीएमएससी के सप्लायर मोक्षित कारपोरेशन के ठिकानों पर हाल ही में छापा मारा था. इस छापे के बाद ईओडब्ल्यू-एसीबी ने मोक्षित कारपोरेशन के डायरेक्टर शशांक चोपड़ा की गिरफ्तारी की थी।कहा जा रहा है कि छापे में ईओडब्ल्यू-एसीबी को कई महत्वपूर्ण दस्तावेज मिले हैं। इन दस्तावेजों की पड़ताल और शशांक चोपड़ा से प्रारंभिक पूछताछ के बाद कथित तौर पर घोटाले में लिप्त अफसरों की संदिग्घ भूमिका की जांच जरूरी समझी जा रही है। यही वजह है कि ईओडब्ल्यू-एसीबी ने अपनी जांच का दायरा बढ़ाने के लिहाज से राज्य सरकार से अनुमति मांगी है।

मंत्रालय के उच्च पदस्थ अफसरों से मिली जानकारी के मुताबिक जिन दो आईएएस अफसरों के खिलाफ जांच की अनुमति ईओडब्ल्यू-एसीबी ने चाही हैं, उनमें भीम सिंह और चंद्रकांत वर्मा के नाम शामिल हैं. पूर्ववर्ती सरकार में भीम सिंह स्वास्थ्य संचालक और चंद्रकांत वर्मा सीजीएमएससी के एमडी के रुप में कार्यरत थे। तत्कालीन पदों पर रहते हुए उनकी भूमिकाओं को जांच के दायरे में लिया जा सकता है। इसके अलावा सीजीएमएससी के जीएम टेक्निकल बसंत कौशिक, जीएम फाइनेंस मीनाक्षी गौतम, स्टोर इंचार्ज डा. अनिल परसाई, जीएम टेक्निकल इक्विपमेंट कमलकांत पाटनवार, बायमोडिकल इंजीनियर क्षिरौंद्र रावटिया तथा टेंडर एंड परचेसिंग आफिसर अभिमन्यु सिंह के खिलाफ जांच की जा सकती है. माना जा रहा है कि अफसरों से पूछताछ जांच को नई दिशा देगी।

बीते सोमवार को ईओडब्ल्यू-एसीबी ने सीजीएमएससी के सप्लाय मोक्षित कारपोरेशन के रायपुर और दुर्ग के ठिकानों पर छापेमारी की कार्रवाई की थी। इसके अलावा हरियाणा के पंचकुला में भी दबिश दी गई थी. मोक्षित कारपोरेशन के डायरेक्टर शशांक चोपड़ा को गिरफ्तार कर स्पेशल कोर्ट में पेश किया गया था। कोर्ट से ईओडब्ल्यू-एसीबी को सात दिनों की रिमांड मिली है। मोक्षित कारपोरेशन दवा और मेडिकल इक्विपमेंट की एजेंसी है। सीजीएमएससी को यह एजेंसी दवा और मेडिकल इक्विपमेंट की सप्लाई करती थी।

ईओडब्ल्यू-एसीबी की एफआईआर में बताया गया है कि शासन के संज्ञान में लाए बिना लगभग 411 करोड़ रुपए की खरीदी की गई। स्वास्थ्य विभाग और सीजीएमएससी के अफसरों की ओर से रीएजेंट सप्लाई करने वाली कंपनी को व्यक्तिगत लाभ पहुंचाने के लिए शासन की प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया। सीजीएमएससी ने खरीदी के लिए केवल 26-27 दिन के अंतराल में ही आदेश जारी किया था। इन रीएजेंट की रखरखाव की कोई व्यवस्था नहीं होने के बावजूद बेधडक़ खरीदी की गई. एफआईआर में लिखा गया है कि खरीदी के पहले वास्तविक आवश्यकता का आंकलन किए बगैर खरीदी के लिए मांग पत्र जारी किया गया था। एफआईआर में यह भी कहा गया है कि पूर्व स्वास्थ्य संचालक ने रीएजेंट की खरीदी के लिए 10 जनवरी 2022 को इंडेंट दिया. इससे पहले न तो बजट की उपलब्धता सुनिश्चित की गई और न ही किसी प्रकार का प्रशासनिक अनुमोदन प्राप्त किया गया। यानी बिना शासन के संज्ञान में लाए लगभग 411 करोड़ रुपए की लाइबिलिटी शासन के ऊपर निर्मित की गई।

हर खरीदी में भ्रष्टाचार

छत्तीसगढ़ मेडिकल सर्विसेज कारपोरेशन ने 300 करोड़ रुपये के रिएजेंट सिर्फ इसीलिए खरीद लिए ताकि मोक्षित कारपोरेशन प्राइवेट लिमिटेड के पास उपलब्ध केमिकल्स की एक्सपायरी डेट नजदीक न आ जाए। छत्तीसगढ़ मेडिकल सर्विसेज कॉरपोरेशन ने मोक्षित कारपोरेशन प्राइवेट लिमिटेड से 300 करोड़ रुपये के रीएजेंट खरीदकर राज्य के 200 से भी अधिक प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में बिना मांग के ही भेज दिया. उन स्वास्थ्य केंद्रों में उक्त रिएजेंट को उपयोग करने वाली ष्टक्चष्ट मशीन ही नहीं थी। रीएजेंट की एक्सपायरी मात्र दो से तीन माह की बची हुई है और रीएजेंट खराब न हो, इसलिए छत्तीसगढ़ मेडिकल सर्विसेज कॉरपोरेशन के द्वारा 600 फ्रिज खरीदने की प्रक्रिया भी शुरू की।

इन अफसरों-कर्मचारियों की भूमिका की भी जांच हो

सीजीएमएससी के तत्कालीन अफसर अभिजीत सिंह आईएएस, पदमिनीभोई साहू आईएएस, नीरज बंसोड़ आईएएस, ऋतुराज रघुवंशी आईएएस उस वक्त पदस्थ रहे इनमें से यदि कोई भी एक अधिकारी भी सवाल खड़े कर देता तो शायद इतना बड़ा घोटाला नहीं होता। जानकारी के मुताबिक जिन दो आईएएस अफसरों के खिलाफ जांच की अनुमति ईओडब्ल्यू-एसीबी ने चाही हैं, उनमें भीम सिंह और चंद्रकांत वर्मा के नाम शामिल हैं. पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार में भीम सिंह स्वास्थ्य संचालक और चंद्रकांत वर्मा सीजीएमएससी के एमडी के रुप में कार्यरत थे। इसके अलावा सीजीएमएससी के बसंत कौशिकजीएम टेक्निकल , मीनाक्षी गौतम जीएम फाइनेंस , डा. अनिल परसाई स्टोर इंचार्ज ,कमलकांत पाटनवार जीएम टेक्निकल इक्विपमेंट ,क्षिरौंद्र रावटिया बायमोडिकल इंजीनियर तथा अभिमन्यु सिंह टेंडर एंड परचेसिंग आफिसर के खिलाफ भी जाँच होनी चाहिए।

5 लाख की मशीन को 17 लाख में खरीदा

जांच में यह जानकारी सामने आई कि निर्माता कंपनियां खुले बाजार में जिस सीबीसी मशीन को मात्र 5 लाख रुपये में विक्रय करती हैं, उन्हीं मशीनों को मोक्षित कारपोरेशन ने निविदा के माध्यम से दर अनुबंध करते हुए सीजीएमएससी को 17 लाख रुपये में दिया। सीजीएमएससी द्वारा मशीन एवं उपकरण निर्माता कंपनियों के साथ ही दर अनुबंध किया जाता है, जबकि मोक्षित कारपोरेशन के पास अस्पताल में उपयोग होने वाले उपकरण बनाने की कोई फैक्ट्री (उत्पादन इकाई) नहीं है और न ही उपकरणों का निर्माण मोक्षित कारपोरेशन द्वारा किया जाता है। इसके बावजूद अपने रसूख और कमीशन के प्रलोभन के दम पर मोक्षित कारपोरेशन ने अधिकारियों से सैटिंग करके अधिकांश दर अनुबंध अपनी कंपनी के नाम पर करवा लिया. एफआईआर में यह लिखा गया है कि ष्टक्च कारपोरेशन के नाम से संचालित शेल कंपनी भी मोक्षित कारपोरेशन ग्रुप की ही कंपनी है, जिसके नाम पर भी काफी सारे दर अनुबंध करवाए गए. मोक्षित कारपोरेशन ने रिएजेंट और केमिकल्स को अधिकतम खुदरा मूल्य से भी अधिक के दाम पर दर अनुबंध करवाया। इस प्रकार 750 करोड़ रुपये से अधिक की खरीदी कर शासन के साथ धोखाधड़ी की गई ।

मूल्य से कहीं अधिक कीमत पर की गई खरीदी

एफआईआर के मुताबिक, जांच के दौरान यह बात सामने आई कि ब्लड सैंपल कलेक्शन करने के लिए उपयोग में लाई जाने वाली श्वष्ठञ्ज्र ट्यूब को मोक्षित कॉरपोरेशन से 2352 रुपये प्रति नग के भाव से खरीदा गया है, जबकि अन्य संस्थाओं ने इसी सामग्री को अधिकतम 8.50 रुपये (अक्षरी - आठ रुपये पचास पैसा) की दर से क्रय किया। छत्तीसगढ़ मेडिकल सर्विसेज कॉरपोरेशन ने जनवरी 2022 से 31 अक्टूबर 2023 तक अरबों रुपये की खरीदी मोक्षित कारपोरेशन और ष्टक्च कॉरपोरेशन के साथ सांठगांठ करके की है।

Tags:    

Similar News

-->