पढ़ाई में अब लक्की की दिव्यांगता नहीं बनेगी रोड़ा

Update: 2025-01-17 14:11 GMT
Raipur. रायपुर। अम्बिकापुर के गांधी नगर में रहने वाले आठवीं कक्षा के छात्र लक्की बचपन से ही दिव्यांग थे, दिव्यांगता के कारण उसेे स्कूल आने-जाने तथा पढ़ाई-लिखाई में परेशानी होती थी, साथ ही उन्हें दैनिक जीवन के बहुत से कार्यो में कठिनाई का सामना करना पड़ता था। ऐसे में जब उनके पिता दिनेश कंसारी को राज्य शासन की दिव्यांग सहायक उपकरण वितरण योजना के बारे में जानकारी मिली, वे बिना देर किए बैटरी चलित ट्राइसिकल के लिए आवेदन दिया। मुख्यमंत्री विष्णु देव के सुशासन की त्वरित कार्यवाही से
लक्की
को ट्राइसिकल मिली और अब लक्की स्वयं अपना दैनिक कार्य कर लेता है, साथ ही उन्हें पढ़ाई-लिखाई के लिए स्कूल जाने में उसे कोई दिक्कत नहीं आती है। गौरतलब है कि अम्बिकापुर के गांधी नगर में रहने वाले दिनेश कंसारी सायकल में घूम-घूम कर बर्तन बेचते का काम करते हैं।


दिनभर गली-मोहल्लों में घूमने के बाद जो आय होती है, यही उनके आजीविका का साधन है। कंसारी के एक पुत्र लक्की और एक पुत्री है। जो कक्षा आठवीं और कक्षा चौथी में पढ़ते हैं। उन्होंने बताया कि उनके दोनों बच्चों को पढ़ने की बहुत रुचि है,पर पुत्र लक्की को बचपन से ही चलने-फिरने में समस्या है। उन्होंने अम्बिकापुर के लगभग हर अस्पताल और रांची में लक्की का इलाज कराया। पर उन्हें पता चला कि यह दिव्यांगता की समस्या आजीवन रहेगी और इसका इलाज सम्भव नहीं है। ये सुनते ही मानों उनके पैरों तले जमीन खसक गई। अपने छोटे से बच्चे को इस स्थिति में देखकर हृदय कांप उठता था। अब शासन की मदद से उनके पुत्र को ट्राइसिकल मिल गया, जिससे लक्की आसानी से स्कूल जाने में समर्थ है। कंसारी अपने लाडले लक्की को
पढ़ा-लिखाकर
काबिल इंसान बनाने की दिशा में आगे बढ़ रहे है। लक्की अपनी ट्राइसिकल चलाते हुए बताते हैं कि मेरी ट्राइसिकल अच्छी चलती है, मैं इसी में बिना किसी की मदद से स्कूल जाता हूं। पढ़ना मुझे अच्छा लगता है, मैं पढ़-लिखकर भविष्य में कुछ बनना चाहता हूं, अच्छा करना चाहता हूं और अपने माता-पिता का नाम रोशन करना चाहता हूं। कंसारी इससे बहुत खुश हैं। उन्होंने इस सहायता के लिए मुख्यमंत्री विष्णु देव साय और समाज कल्याण मंत्री लक्ष्मी राजवाड़े को धन्यवाद देते हुए आभार व्यक्त किया है।
Tags:    

Similar News

-->