अब कमा रहे 40 हजार रुपए, खेत में कुंआ निर्माण कर किसान की आर्थिक स्थिति में आया बदलाव
छत्तीसगढ़
कुंआ बनने से पूर्व खेती के लिए किसान श्री सागर को केवल बरसात के पानी पर ही निर्भर रहना पड़ता था एवं वर्ष में केवल एक ही फसल ले पाते थे। सिंचाई साधन न होने के कारण उसके बाड़ी में साग-सब्जी का उत्पादन भी संभव नहीं था, वह चाहकर भी अतिरिक्त आ उपार्जित नहीं कर पा रहा था परंतु आज उसकी जमीन पर कुऑ बनने से सिंचाई की समस समाप्त हो गई है। किसान श्री सागर द्वारा अपने खेत में रबी फसल एवं बाड़ी मे साग-सब्जी का उत्पादन किा जा रहा है। अभी वर्तमान में किसान श्री सागर द्वारा अपनी बाड़ी में टमाटर, आलू, पज भाजी, सेमी, लहसुन, धनिया इत्यादि सब्जिों की खेती की है। जिसका उपयोग वह स्वयं अपने उपभोग के साथ ही स्थानीय बाजार में विक्रय के लिए कर रहा है। स्थानीय बाजारों में ताजी सब्जियों की मांग के कारण उसकी सब्जियों का विक्रय आसानी से हो जाता है।
जिससे उसे लगभग 30 हजार की वार्षिक लाभ हो रही है एवं खरीफ फसल के सम भी धान सहित अन्य फसलों से भी लगभग 10 हजार तक का लाभ मिल जा रहा है। इस तरह किसान सागर के कुंआ बनने से साल भर में लगभग 40 हजार तक का आमदनी मिल रहा है और उसकी आर्थिक स्थिति मजबूत हो रही है। किसान सागर ने महात्मा गांधी नरेगा योजना से कुआं निर्माण हेतु जिला प्रशासन को धन्यवाद देते हुए कहा कि मनरेगा से निर्मित कुंआ से निश्चित ही उसकी आजीविका में बढ़ोत्तरी हुई है और उसे परिवार में आर्थिक स्थिति में सुधार हुआ है। उसने कहा कि महात्मां गांधी नरेगा से उसके साथ ही गांव के अन्य ग्रामीणों को रोजगार प्राप्त हुआ है।