नायब तहसीलदार की याचिका पर राजस्व विभाग के सचिव को नोटिस जारी, ये है पूरा मामला

Update: 2022-06-18 03:07 GMT

बिलासपुर। रायगढ़ जिले में पदस्थ नायब तहसीलदार के चिकित्सा अवकाश को अफसरों ने त्यागपत्र में तब्दील करते हुए सेवा समाप्ति का आदेश थमा दिया। मामले की सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट ने सचिव राजस्व एवं आपदा प्रबंधन विभाग के अलावा आधा दर्जन अधिकारियों को नोटिस जारी कर जवाब पेश करने का निर्देश दिया है। रेवती जांगड़े ने अधिवक्ता मतीन सिद्दिकी, नरेंद्र मेहेर और अनादि शर्मा के जरिए छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट में याचिका दायर की है।

इसमें बताय है कि वर्ष 2013 में उसकी नियुक्ति नायब तहसीलदार के पद पर हुई थी। तबीयत खराब होने के कारण वह चिकित्सा अवकाश पर थीं। इस बात की जानकारी विभाग प्रमुख के अलावा आला अधिकारियों को भी थी। अप्रैल 2022 में विभागीय अधिकारियों ने बगैर किसी जानकारी के सेवा समाप्ति का आदेश जारी कर दिया। मामले की सुनवाई जस्टिस एनके व्यास की सिंगल बेंच में हुई। याचिकाकर्ता की ओर से पैरवी करते हुए अधिवक्ता मतीन सिद्दिकी ने कहा कि पत्र व्यवहार के दौरान विभाग ने यह माना है कि याचिकाकर्ता चिकित्सा अवकाश पर थीं।

उन्होंने कभी भी विभागीय अधिकारी के समक्ष त्यागपत्र पेश नहीं किया है। अधिवक्ता सिद्दिकी ने कहा कि इस प्रकरण में बिलासपुर संभाग के अधिकारियों ने अपनी अनुशंसा में याचिकाकर्ता नायब तहसीलदार की व्यक्तिगत और पारिवारिक दिक्कतों को देखते हुए सहानुभूतिपूर्वक विचार कर शासन स्तर पर सकारात्मक निर्णय लेने की अनुशंसा की थी। अधिवक्ता ने कहा कि विभागीय अधिकारियों ने एकतरफा फैसला ले लिया है।

इसके अलावा याचिकाकर्ता को सुनवाई का अवसर भी नहीं दिया गया है। ऐसा कर विभागीय अधिकारियों ने प्राकृतिक न्याय के सिद्धांत का उल्लंघन किया है। बिना किसी विभागीय जांच के सेवा समाप्ति का निर्णय न्याय संगत नहीं है। मामले में जस्टिस व्यास ने राजस्व एवं आपदा प्रबंधन विभाग के सचिव सहित आधा दर्जन अधिकारियों को नोटिस जारी कर जवाब पेश करने का निर्देश दिया है।

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