हारे नेताओं को टिकट नहीं, नए चेहरों पर दांव लगाएगी कांग्रेस

Update: 2023-09-14 05:17 GMT

273 दावेदारों में से तय होंगे उम्मीदवार

रायपुर (जसेरि)। विधानसभा चुनाव में टिकट के बंटवारे को लेकर कांग्रेस के कई स्तरों पर हुए मंथन के बाद तय किया गया कि पिछले चुनाव में हारे नेताओं को टिकट नहीं दिया जाएगा। प्रदेश की 90 विधानसभा में से 40 सीटों पर नए चेहरों को मौका दिया जाएगा। इसमें 50 वर्ष से कम उम्र, युवक कांग्रेस और महिला कांग्रेस की राजनीति में सक्रिय उन नेताओं को मौका दिया जाएगा, जिनकी चुनाव जीतने की संभावना है। कांग्रेस ने टिकट के लिए ब्लाक स्तर पर आवेदन लिया था। यहां से आए 2,790 आवेदनों की छंटनी के बाद 273 नाम पैनल में शामिल किए गए हैं। प्रदेश चुनाव समिति और स्क्रीनिंग कमेटी अब इन नामों को केंद्रीय चुनाव समिति के पैमाने पर कसने का काम कर रही है।

उपमुख्यमंत्री टीएस सिंहदेव ने कहा कि केंद्रीय चुनाव समिति ने हर सीट पर दावेदारों का पैनल तैयार करने के लिए एक फार्मेट भेजा है। उसके आधार पर सूची तैयार की जा रही है। तय फार्मेट में नाम नहीं जाने से दिक्कत यह होगी कि केंद्रीय चुनाव समिति सूची को लौटा सकती है। इस तरह की दिक्कत से बचने के लिए पूरी सावधानी बरती जा रही है।

प्रदेश में कांग्रेस के 71 विधायक हैं। टिकट तय करने वाली सभी कमेटियों ने माना कि जब प्रदेश में कांग्रेस के पक्ष में लहर थी, उस दौर में हारे नेताओं को मौका देना खतरे से खाली नहीं है। प्रदेश चुनाव समिति के एक पदाधिकारी ने बताया कि जिन सीटों पर कांग्रेस को हार मिली है, वहां दो से तीन दावेदार काफी मजबूत स्थिति में हैं। कांग्रेस की संचार समिति के अध्यक्ष और राज्य सरकार के प्रवक्ता रविंद्र चौबे ने कहा कि 90 में से 40 सीटों पर नए चेहरे उतारे जाएंगे, इनमें 19 वो सीटें शामिल हैं, जहां कांग्रेस हारी और 21 वो सीटें है, जहां कांग्रेस के विधायक हैं।

स्क्रीनिंग कमेटी ने पकड़ी गड़बड़ी

प्रदेश में टिकट बंटवारे को लेकर स्क्रीनिंग कमेटी ने हर विधानसभा क्षेत्र में पहुंचकर एक-एक दावेदारों से चर्चा की। इस चर्चा के बाद यह बात सामने आई कि जिलाध्यक्षों ने पैनल बनाने में भेदभाव किया है। कई जिलाध्यक्षों ने वर्तमान विधायकों के नाम के बदले खुद का नाम पैनल में पहले नंबर पर रख दिया। इसके साथ ही सरकार के सर्वे, संगठन के तीन स्तर के सर्वे और केंद्रीय टीम के सर्वे में जिन नेताओं का नाम दूर-दूर तक नहीं है, उनका भी नाम पैनल में शीर्ष पांच में शामिल कर दिया गया। इसके बाद ही स्क्रीनिंग कमेटी ने इसमें सुधार के लिए प्रदेश चुनाव समिति को कहा और अब हर संभाग की सूची तैयार हो रही है।

टिकट घोषणा में जल्दबाजी नहीं

दिखाएगी कांग्रेस

टिकट घोषणा में कांग्रेस जल्दबाजी दिखाने के मूड में नहीं है। बताया जा रहा है कि टिकट बंटने से पहले ही स्थानीय स्तर पर नाराजगी को दूर करने की कोशिश की जा रही है। हर दावेदार से प्रदेश चुनाव समिति के सदस्य वन टू वन मिल रहे हैं और उनके नाराजगी के तापमान को टटोल रहे हैं। इसके साथ ही शीर्ष नेतृत्व ने एकजुटता दिखाने की कवायद भी शुरू कर दी है।

इन सीटों पर नहीं हैं कांग्रेस के विधायक

रायपुर दक्षिण, राजनांदगांव, कुरुद, बिल्हा, जांजगीर-चांपा, धमतरी, वैशाली नगर, कोटा, मुंगेली, लोरमी, बेलतरा, मस्तुरी, पामगढ़, जैजैपुर, अकलतरा, रामपुर, भाटापारा, बलौदाबाजार, बिंद्रानवागढ़।

‘जनता से रिश्ता’ की खबर पर लगेगी मुहर

जनता से रिश्ता ने पहले से ही अपने सर्वे रिपोर्ट में 23 विधायकों के टिकट कटने की रिपोर्ट प्रकाशित की थी। जो अब टिकट वितरण में अब सच सावित होने वाली है। कांग्रेस लहर में एकतरफा 68 सीटों के साथ सत्ता में आई कांग्रेस इस बार पिछली बार के हारे हुए 22 प्रत्याशियों में से किसी भी रिपीट करने के मूड में नहीं है। कांग्रेस सरकार के प्रवक्ता और वरिष्ठ मंत्री रविन्द्र चौबे के इस बयान के बाद चुनाव की तैयारी कर रहे नेताओं को बड़ा झटका लगा है। इस बयान के बाद से कुछ नेता तो अपने आकाओं की परिक्रमा भी शुरू कर चुके हैं। दरअसल 2018 में हुए चुनाव के दौरान कांग्रेस ने एकतरफा बहुमत हासिल की थी। इस बार सत्ताधारी दल कांग्रेस 75 पार का नारा बुलंद कर आगे बढ़ रही है। ऐसे में चौबे का यह बयान कई नेताओं की सांसे रोकने वाला है। क्योंकि पिछले चुनाव के आंकड़ों पर नजर डालें तो जिन 22 कांग्रेस प्रत्याशियों को हार झेलनी पड़ी थी उनमें अधिकांश सीटों पर कांग्रेस के प्रत्याशी तीसरे नंबर पर रहे हैं। जबकि दूसरे नंबर पर भाजपा, बसपा या जोगी कांग्रेस के प्रत्याशी का कब्जा रहा है। वहीं पिछले चार साल में तीन उपचुनाव हुए जिसमें कांग्रेस ने जीत हासिल की लेकिन दंतेवाड़ा में पूर्व प्रत्याशी रही देवती कर्मा को टिकट दी गई जबकि अन्य दो सीटों पर नए चेहरों को मौका दिया गया।

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