आरटीआई आवेदनों पर नो इंफॉर्मेशन...!

Update: 2021-10-12 05:27 GMT
  1. सूचना के अधिकार को हल्के में ले रहे अधिकारी
  2. गड़बडिय़ों की शिकायत पर आज तक कोई कार्रवाई नहीं की गई - प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत सड़क निर्माण में लगीं एजेंसियों और ठेकेदारों के खिलाफ भ्रष्टाचार और गड़बडिय़ों की शिकायत पर आज तक कोई कार्रवाई नहीं की गई है। योजना के शुरू होने के साथ ही प्रदेश में हजारों किमी सड़कें बनाई गई और बनाई जा रही हैं। जिसमें सैंकड़ों की तादात में कई श्रेणी के ठेकेदार लगे हुए हैं। अब तक बनी लगभग 70 फीसदी से ज्यादा सड़कों के घटिया निर्माण को लेकर ग्रामीणों ने आवाज बुलंद की है, कई निर्माणाधीन सड़कों में गुणवत्ता हीन और घटिया मटेरियल के साथ सड़कों के निर्माण को लेकर मीडिया में खबरें आ रही है। ग्रामीण इसे लेकर प्रदर्शन और अधिकारियों को ज्ञापन भी सौंप रहे हैं लेकिन किसी भी शिकायत पर आज तक कोई कार्रवाई नहीं की गई। आज तक किसी ठेकेदार को ब्लैक लिस्ट तक नहीं किया गया है। मैदानी स्तर पर जमे अधिकारी उच्चाधिकारियों से सेटिंग कर ठेकेदारों को मोटे कमीशन लेकर शिकायतों पर परदा डाल रहे हैं।

जसेरि रिपोर्टर

रायपुर। राज्य सरकार के विभागों में सूचना के अधिकार अधिनियम की खुलकर धज्जियां उड़ाई जा रही है। अधिकारी आवेदनों में कमियां और त्रुटियां बताकर आवेदनों को लौटा रहे हैं। वहीं किसी भी तरह की जानकारी मांगने पर सीधे तौर पर कार्यालय में वांछित जानकारी उपलब्ध नहीं कह कर जानकारी देने से साफ बच रहे हैं। कई बार अपीलीय अधिकारियों की भी जानकारी नहीं दी जाती जिससे आवेदक समय पर अपील करने से भी वंचित रह जाता है। सरकार के जल संसाधन विभाग में अधिकारी आवेदनों पर गोलमोल जवाब देकर प्रक्रिया को लटका देते हैं जिससे जानकारी चाहने वाले आवेदक का मनोबल टूट जाए और वह प्रक्रिया में आगे न बढ़ सके।

जल संसाधन विभाग से सूचना के अधिकार के तहत 26 सितंबर को क्रमश: दो आवेदनों में सिंचाई विभाग द्वारा विगत दस वर्षों में बनाए गए स्टाप डेम और रायगढ़ के एक ठेकेदार द्वारा विगत दस वर्ष में कराए गए कार्यो के संबंध में जानकारी चाही गई थी। जिसके जवाब में विभाग द्वारा स्टाप डेम के संदर्भ में कहा गया कि मैदानी कार्यालयों से इसकी जानकारी प्राप्त करें, जबकि ठेकेदार द्वारा कराए गए निर्माण कार्यो की वांछित जानकारी उपलब्ध होने से ही इंकार कर दिया गया। पहले आवेदन पर 14 सितंबर को प्रथम अपीलिय अधिकारी के पास अपील आवेदन प्रस्तुत किया गया जिसकी पेशी 28 सितंबर 2021 को हुई। अपीलीय अधिकारी द्वारा आवेदन पर विभागीय जनसूचना अधिकारी को निर्देश दिया गया कि आवेदक द्वारा चाही गई कार्यालय में उपलब्ध जानकारी के साथ उसे मैदानी कार्यालयों का पता और जनसूचना अधिकारी के नाम भी उपलब्ध कराया जाए। निर्देश पर जल संसाधन विभाग द्वारा कार्यालयों और दस वर्षो में निर्मित स्टापडेमों की सूची सशुल्क उपलब्ध कराई गई।

प्राइवेट एजेंसी से राज्य सरकार जांच कराए

प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना में भ्रष्टाचार की जांच सरकार को किसी प्राविेट एजेंसी से करानी चाहिए। एसई, ईई, एसडीओ, ठेकेदार के साथ विभाग के उच्चाधिकारी सीईओ और टेंडर डिपार्टमेंट की मिलीभगत से ही हजारों करोड़ के घोटाले को अंजाम दिया जा रहा है। योजना के तहत बनाई गई सड़कों की सही मानिटरिंग और निर्माण कार्य की जांच नहीं होने से अधिकार-ठेकेदार बेखौफ हो कर सरकारी रकम डकार रहे हैं। केन्द्र सरकार की जांच एजेंसियों ईडी, आईटी और सेंट्रल विजिलेंस को स्वत: योजना में लगे अधिकारी और ठेकेदारों की संपत्ति की जांच करनी चाहिए। वहीं राज्य सरकार को भी अपनी जांच एजेंसियों के माध्यम से अलग से जांच कर अनियमितता करने वाले अधिकारियों और ठेकेदारों पर कार्रवाई करनी चाहिए।

मप्र में 16 इंजीनियर दोषी, निलंबित

वहीं जनता से रिश्ता के भोपाल प्रतिनिधि से मिली जानकारी के अनुसार ग्रामीण क्षेत्रों को मुख्य सड़क से जोडऩे के लिए बनाई जा रही प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना में किस कदर भ्रष्टाचार हो रहा है इसकी बानगी शहडोल के घोटाले से सामने आ गई। विभिन्न विभागों से प्रतिनियुक्ति पर आए इंजीनियर और वित्त विभाग के लेखाधिकारी ने मिलकर न केवल घटिया सड़क बनवा दिया, बल्कि ठेकेदारों को अनियमित भुगतान कर दिया। भनक लगते ही मंत्री गोपाल भार्गव ने जांच कराई और दोषी 16 इंजीनियरों को निलंबित कर संयुक्त विभागीय जांच का फरमान सुना दिया।

शहडोल में प्रधानमंत्री ग्राम सड़क को लेकर कई माध्यमों से शिकायतें प्राप्त हो रही थी। रीवा में पदस्थ ग्रामीण सड़क विकास प्राधिकरण की परियोजना क्रियान्वयन इकाई के मुख्य अभियंता ने जांच कराकर रिपोर्ट भेजी थी। इसमें बताया गया था कि कहीं डामर कम लगाया तो कहीं गिट्टी कम डाली गई।

इस मामले की दो दल भेजकर जांच कराई गई तो नौ इंजीनियर दोषी पाए गए। इसमें अधिकांश प्रतिनियुक्ति वाले हैं। तत्कालीन महाप्रबंधक डीके पाराशर और सहायक प्रबंधक डीएस परिहार, जन संसाधन विभाग के इंजीनियर एसवी सिंह, सीएन गुप्ता, उपयंत्री आरएस भट्ट शामिल हैं। इसके अलावा पीडब्ल्यूडी के उपयंत्री आरएम गुप्ता, ग्रामीण यांत्रिकी सेवा के केसरी सिंह को भी दोषी पाया गया। वित्त विभाग से प्रतिनियुक्ति पर आए तत्कालीन लेखाधिकारी एसएलआर दुबे शामिल हैं। जांच रिपोर्ट मिलने के बाद ग्रामीण विकास मंत्री गोपाल भार्गव ने सभी संबंधित विभाग को पत्र लिखकर संयुक्त विभागीय जांच करने के लिए अनापत्ति मांगी है। साथ ही निर्देश दिए हैं कि सभी के खिलाफ दीर्घशास्ती यानी निलंबन जैसी कठोर कार्रवाई भी की जाए। 

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