डिलीवरी के बाद नवजात की हुई मौत, मां ने सदमे में तोड़ा दम

छग

Update: 2022-05-20 13:02 GMT

अंबिकापुर। प्रसव के दौरान नवजात की मौत के बाद विशेष संरक्षित पण्डो जनजाति महिला की घर पर ही मौत हो गई। महिला के शरीर में सिर्फ तीन ग्राम खून था।मेडिकल कालेज अस्पताल में भर्ती रहने के दौरान भी खून की व्यवस्था नहीं की गई थी। कुछ दिन पहले जन्म लेते ही उसके नवजात बच्चे की भी मौत मेडिकल कालेज अस्पताल अंबिकापुर में मौत हो गई थी। मामला सूरजपुर जिले के प्रतापपुर ब्लाक के ग्राम बोंगा का है।शुक्रवार भोर में कौलेश्वरी पंडो 25 वर्ष की मौत हो गई। उसका पति धर्मजीत पंडो इस घड़ी को असहाय होकर देखता रहा लेकिन पत्नी की जान नहीं बचा सका।छत्तीसगढ़ प्रदेश सर्व विशेष पिछड़ी जनजाति समाज कल्याण समिति के प्रदेश अध्यक्ष उदय पंडो ने बताया कि यह महिला पहले गर्भवती थी।

प्रसव पीड़ा होने पर मेडिकल कालेज अंबिकापुर में भर्ती कराया गया था जहां पर बच्चे का जन्म लेते ही मौत हो गया था। कौलेश्वरी पण्डो के शरीर में तीन ग्राम खून था जिसके कारण मरीज बहुत कमजोर हो गई थी और शरीर में खून कमी से सूजन भी हो गया था। चिकित्सक के द्वारा चार-पांच बोतल खून चढ़ाने के लिए सलाह दिया गया था। एक बोतल खून पण्डो समाज के लोग ही मेडिकल कालेज में जाकर दिए थे।इसके बाद और चार बोतल खून की आवश्यकता थी लेकिन खून नहीं मिलने के कारण कौलेश्वरी पण्डो परेशान हो कर घर चली गई थी
कौलेश्वरी पण्डो जब अस्पताल से घर गई थी तब इसकी सूचना फोन के माध्यम से जिला सूरजपुर के मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी को दी गई थी।उदय पंडो ने बताया कि सीएमएचओ को बताया गया था कि कौलेश्वरी पण्डो को खून की आवश्यकता है। खून नहीं मिलने के कारण घर चली गई है उसके हित में पहल करें परंतु कोई सहयोग मिलते नहीं दिखा।अंत में खून की कमी से कौलेश्वरी पण्डो की घर पर ही मौत हो गई। उन्होंने बताया कि अभी अनेक पण्डो विशेष पिछड़ी जनजाति परिवार के गर्भवती महिलाएं और बच्चे, पुरूष मरीज भी हैं जिनके शरीर में खून की कमी है और तत्काल में खून चढ़ाने की आवश्यकता है।
अगर इन्हें भी खून सही समय पर नहीं चढ़ाया गया तो बारी-बारी से इसी प्रकार से मौत होने की संभावना हैं। शासन-प्रशासन को संज्ञान में लेते हुए विशेष रूप से ठोस कदम उठाने होंगे। पण्डो मरीज के परिजन स्वयं कमजोर होते हैं उनके शरीर में खून ज्यादा नहीं पाया जाता है इस लिए अपना रक्त दान करने में मदद नहीं कर पाते हैं। पण्डो मरीज के परिजन रक्त दान करने जाते हैं परन्तु जांच के बाद शरीर में खून कम होने से रक्त दान नहीं कर पाते हैं इस लिए शासन को चाहिए कि रक्तदान शिविर आयोजित कर जरूरतमंद लोगों को खून चढ़ाने की व्यवस्था कराया जाए।
मुआवजा देने की उठाई मांग
छत्तीसगढ़ प्रदेश सर्व विशेष पिछड़ी जनजाति समाज कल्याण समिति के प्रदेशाध्यक्ष उदय पंडो ने बताया कि शासकीय योजनाओं के संचालन और स्वास्थ्य जांच उपचार की निश्शुल्क व्यवस्था के दावों के बीच यह स्थिति गंभीर है। शिविरों में गंभीर मरीजों का पता नहीं लगा पा रहे हैं इस ललिए इस गरीब विशेष पिछड़ी जनजाति परिवार को 10 लाख रुपए जनहानि के रूप में मुआवजा राशि दी जानी चाहिए।
Tags:    

Similar News

-->