छत्तीसगढ़ में औद्योगिक विकास के नए आयाम

Update: 2020-10-29 16:33 GMT

मुख्यमंत्री  भूपेश बघेल के नेतृत्व में प्रदेश में औद्योगिक विकास को गति देने के लिए पिछले दो वर्ष के दौरान अनेक दूरदर्शिता पूर्ण निर्णय लिए गए हैं। औद्योगिक विकास को गति देने के लिए राज्य में नवीन औद्योगिक नीति 01 नवम्बर 2019 से 2024 लागू की गई। छत्तीसगढ़ सरकार ने उद्योगों को बिजली दर में रियायत, अनुदान, सहायता, विभिन्न स्वीकृतियां प्रदान करने की सुविधाजनक व्यवस्था के लिए एकल विण्डो प्रणाली साथ ही स्थानीय उद्योगों के उत्पादों की प्राथमिकता देने सहित अनेक फैसलों से उद्योग जगत को काफी राहत मिली है। भारत सरकार के सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम मंत्रालय द्वारा राज्य में सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम के विकास एवं प्रोत्साहन के लिये किये गये विशेष प्रयासों हेतु राज्य को द्वितीय पुरस्कार से सम्मानित भी किया गया है। राज्य में स्टार्ट-अप को बढ़ावा देने हेतु की जा रही कार्यवाही एवं विकास के लिए बनाए गए इको-सिस्टम हेतु औद्योगिक नीति एवं संवर्धन विभाग, भारत सरकार द्वारा राज्य को बेस्ट इमर्जिंग स्टार्ट-अप इको सिस्टम स्टेट के रुप में घोषित किया गया है।

छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा कृषि आधारित ग्रामीण उद्योगों को बढ़ावा देने राज्य में 200 फूड पार्क की स्थापना का लक्ष्य रखा गया है। इस हेतु विभिन्न जिलों के 146 विकासखण्डों में से 101 विकासखण्डों में भूमि का चिन्हांकन कर लिया गया है। इनमें प्रमुख जिले रायपुर, दुर्ग, राजनांदगांव, महासमुंद, बेमेतरा, बालौद, बलरामपुर, जांजगीर-चांपा, सरगुजा, सूरजपुर, जगदलपुर, दंतेवाड़ा, कांकेर, सुकमा आदि है। अब तक 15 विकासखण्डों में कुल 204.517 हेक्टेयर शासकीय भूमि का आधिपत्य राजस्व विभाग के माध्यम से उद्योग विभाग को प्राप्त हुआ है जिनमें अधोसंरचना विकास के कार्य प्रारंभ है ।

लघु उद्योगों द्वारा निर्मित उत्पादों को शासकीय खरीदी में बढ़ावा देने के उद्देश्य से जेम (Govt. e-Marketplace) के स्थान पर राज्य के स्वयं के विपणन पोर्टल (ceps.cg.gov.in) 01 अक्टूबर 2019 से प्रारंभ किया गया है। पोर्टल प्रारंभ होने पश्चात से अब तक 31 विभागों द्वारा पंजीयन कराया जा चुका है और लगभग राशि 323.86 करोड़ रूपए की शासकीय खरीदी की गई है। जिला जगदलपुर के ग्राम बेलर, बड़ेपरोदा, बरांजी, बेलियापाल, दाबपाल, धुरगांव, टाकरागुड़ा आदि ग्रामों की 1764.61 हेक्टेयर निजी भूमि जन आकांक्षाओं को दृष्टिगत रखकर किसानों व भूमि स्वामियों को उनकी अधिग्रहित भूमि वापस की गयी है।

वाणिज्य और उद्योग विभाग की नीति के तहत आपसी सहमति से भूमि क्रय नीति में संशोधन किया गया है। भू-प्रब्याजि-औद्योगिक क्षेत्रों में भूमि आबंटन हेतु भू-प्रब्याजि में 30 प्रतिशत की कमी की गई है। भू-भाटक में एक प्रतिशत की कमी की गई है। औद्योगिक क्षेत्रों में 10 एकड़ तक आबंटित भूमि को लीज़ होल्ड से फ्री-होल्ड किये जाने का प्रावधान किया गया है। औद्योगिक भूमि एवं भवन प्रबंधन नियम के विभिन्न नियमों का सरलीकरण किया गया है एवं इस हेतु अधिसूचना जारी की गई है। औद्योगिक क्षेत्रों में स्थित इकाईयों के पास शेष अनुपयोगी भूमि वापिस प्राप्त कर अन्य इकाईयों को आबंटन करने की सहमति प्रदान की गई है।

निम्न जिलों में नवीन औद्योगिक क्षेत्रों की स्थापना हेतु कार्यवाही प्रारंभ की गई है-

खम्हरिया, जिला मुंगेली, परसगढ़ी कोरिया, परसगढ़ी, जिला कोरिया, अभनपुर, जिला रायपुर, मौहापाली-सियारपाली, सिलपहरी, बिलासपुर शामिल है।

युवाओं को वस्त्र उद्योग से संबंधित विभिन्न ट्रेडों जैसे अपैरल मेन्यूफेक्चरिंग टैक्नालॉजी, प्रोडक्शन सुपर विज़न, अपैरल पैटर्न मेकिंग, क्वॉलिटी कंट्रोल, कटिंग, टेलरिंग, सिलाई मशीन आपरेटर से संबंधित रोजगार मूलक प्रशिक्षण प्रदान करने के लिये जिला सुकमा में अपेरल ट्रेनिंग एण्ड डिजाईंग संेटर की स्थापना गत वर्ष 02 मार्च को की गयी है, जिसमें प्रतिवर्ष 240 युवाओं को प्रशिक्षण की सुविधा उपलब्ध हो रही है।

राज्य की नवीन औद्योगिक नीति (2019-2024) 01 नवम्बर 2019 से लागू की गयी है। जिला रायपुर में 10 एकड़ भूमि पर जेम्स एण्ड ज्वैलरी पार्क की स्थापना प्रस्तावित है। परियोजना हेतु 10 एकड़ भूमि का आधिपत्य दिनांक 11 जून 2020 को प्राप्त। परियोजना की कुल प्रस्तावित लागत 350 करोड़ रूपए है एवं परियोजना आगामी 3 वर्ष में पूर्ण करने की योजना है।

राज्य में उपार्जित किये जा रहे धान में से सार्वजनिक वितरण प्रणाली की आवश्यकता के उपरांत शेष लगभग 6 लाख मे. टन धान का उपयोग एथेनाल के उत्पादन में किया जा सकता है। इसके परिप्रेक्ष्य में छत्तीसगढ़ शासन द्वारा इस अतिशेष धान को नष्ट होने के स्थान पर के समुचित सदुपयोग के दृष्टिगत् मार्कफेड से अनिवार्यतः क्रय की शर्त पर एथेनॉल/जैव इंधन के उत्पाद हेतु बायो रिफाईनरी उद्योग की स्थापना को प्राथमिकता उद्योगों में सम्मिलित किया गया है।

राज्य शासन की इस मंशा के अनुरुप उद्योग विभाग द्वारा इस क्षेत्र में निवेश आमंत्रित करने हेतु निवेश की अभिरुचि (ई.ओ.आई.) जारी की गई है। कई इच्छुक निवेशकों द्वारा ई.ओ.आई. पर अपना प्रस्ताव प्रस्तुत किया गया है। इन संयंत्रों की स्थापना के लिये कार्यवाही जारी है। वर्ष 2019-20 में राज्य में नवीन उद्योगों की स्थापना के लिये कुल 23 इकाईयों के द्वारा एमओयू का निष्पादन किया गया है जिसमंे लगभग 8614.76 करोड़ रूपए का पूंजी निवेश एवं 16,463 व्यक्तियों को रोजगार प्रस्तावित है। एमओयू निष्पादन पश्चात इकाईयों के द्वारा अब तक 72.15 करोड़ रूपए का पूंजी निवेश किया जा चुका है। इनमें मुख्यतः खाद्य प्रसंस्करण, बायो-एथेनाल उत्पादन एवं कोर सेक्टर के उत्पाद सम्मिलित हैं।

वित्तीय वर्ष 2019-20 में विभिन्न बैंकों के द्वारा 494 हितग्राहियों को कुल 10.14 करोड़ रूपए का ऋण वितरण किया गया है जिसमें विभाग द्वारा मार्जिन मनी के रुप में 1.73 करोड़ रूपए का भुगतान किया गया है। विभिन्न अनुदानों के अंतर्गत वित्तीय वर्ष 2019-20 में 848 इकाईयों को रुपये 22.83 करोड़ की राशि ब्याज अनुदान के अंतर्गत तथा 80.13 करोड़ रूपए स्थायी पूंजी निवेश अनुदान के अंतर्गत वितरित की गई है। जनवरी 2019 से जून 2020 की अवधि में राज्य में 847 इकाईयों द्वारा रु. 14,983 करोड़ का पूंजी निवेश कर 15,400 व्यक्तियों को रोजगार प्रदान किया गया है।

नेशनल एससी,एसटी हब के प्रचार प्रसार हेतु सभी जिलों में इच्छुक निवेशकों तथा उद्यमियों को जानकारी प्रदान करने तथा बढ़ावा देने के लिये वेबिनार आयोजित किये जा रहे हैं जिसमें बड़ी संख्या में युवाओं द्वारा आनलाईन भाग लिया जा रहा है। स्टील उत्पादन-कोरोना 19 वैश्विक महामारी में भी राज्य के द्वारा 27 लाख टन स्टील उत्पादन किया गया है जो कि देश में सर्वाधिक है।

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