ना नौकरी मिली और ना मुआवजा, परिवार के मुखिया ने किया सुसाइड

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Update: 2023-06-17 09:41 GMT

कोरबा। देश की उन्नति के लिए अपने पुरखों की जमीन कोयला खदान को समर्पित करने वाले एक परिवार के सामने ऐसा आर्थिक संकट आया कि, परिवार के मुखिया को आत्महत्या करनी पड़ी। दिलहरण की मौत का जिम्मेदार और कोई नहीं बल्कि वह व्यवस्था है जो न्याय दिलाने-देने के पक्ष में नहीं, बल्कि टालने के पक्ष में रहती है।

एसईसीएल की कुसमुंडा परियोजना के लिए जिन लोगों की जमीन अधिग्रहित की गई थी, उनमें ही शामिल है दिलहरण पटेल का परिवार। चंद्रपुर निवासी दिलहरण पटेल की भूमि को एसईसीएल ने अर्जित किया था। इसी भूमि का मुआवजा और नौकरी की मांग को लेकर अन्य लोगों की तरह ही दिलहरण भी संघर्ष कर रहा था।

संघर्ष के दिनों में उसके परिवार की आर्थिक स्थिति इतनी खराब हो गई कि वे दाने-दाने के लिए मोहताज हो गए। दिलहरण को तमाम संघर्ष के बाद अहसास हुआ कि न्याय नहीं मिलेगा। इसलिए उसने जहर खा लिया। गंभीर हालत में उसे अस्पताल ले जाया गया, जहां इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई। दिलहरण पटेल के बेटे अमर पटेल ने बताया कि, परिवार को आर्थिक संकट में देखकर उनके पिता परेशान हो जाते थे। निराशा में ही उन्होंने यह कदम उठाया।ग्रामीणों से जमीन ली मगर मुआवजा नहीं दियागौरतलब है कि, कोरबा जिले में ही सैकड़ों दिलहरण पटेल हैं जिनकी जमीन खदान के नाम पर लेकर उन्हें भूमिहीन बना दिया गया।


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