आयोग अध्यक्ष की लापरवाही, जीवित को बताया था मृत

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Update: 2024-11-12 12:16 GMT

उदयपुर/अम्बिकापुर। अनुसूचित जनजाति आयोग के अध्यक्ष भानुप्रताप सिंह द्वारा सचिव की पुष्टि के बिना ही बनाए गए निराधार रिपोर्ट द्वारा सनसनी मचाने के प्रयास पर पानी फिर गया है। क्यों कि घाटबर्रा के दिलबंधु मझवार को मृत नहीं बल्कि जीवित पाया गया है। भानुप्रताप सिंह जो कि काँग्रेस के कार्यकर्ता भी हैं उन्होंने दावा किया था कि परसा खदान की ग्रामसभा के प्रस्ताव में एक मृतक दिलबंधु के भी हस्ताक्षर हैं। वहीं इस मामले की तहकीकात में राज्य प्रशासन और मीडिया द्वारा दिलबंधु के जिंदा होने की पुष्टि की गई।

इसी मामले में सोमवार के दिन कथित मृतक की पहचान को प्रमाणित करने के लिए उदयपुर तहसील कार्यालय पर ले जाया गया। जहां यह पाया गया कि रजिस्टर में ग्रामसभा के प्रस्ताव में जिस दिलबंधु के हस्ताक्षर हैं वह बाकायदा वही है और जीवित है। उल्लेखनीय है कि रायपुर स्थित कुछ तत्वों द्वारा सरगुजा जिले की परसा कोयला खदान के लिए आयोजित की गई ग्राम सभा को फर्जी बताकर अनजान माध्यमों द्वारा गलत समाचार प्रकाशित किया गया, साथ ही सोशल मीडिया में चमकाकर छत्तीसगढ़ के खदान क्षेत्र को बदनाम करने का अभियान चलाया जा रहा है।

जबकि हकीकत यह है कि इसी आयोग ने हाल ही में फर्जी ग्रामसभा के आक्षेपों को घनिष्ठ जांच पड़ताल के बाद खारिज कर दिया था। यहाँ तक कि अभी तक परसा खदान के विकास विरोधी तत्व अपने दावों को किसी भी न्यायालय में साबित कर नहीं पाए हैं। अनुसूचित जनजाति आयोग के अध्यक्ष भानुप्रताप सिंह ने बिना किसी आधार पर सिर्फ चालीस लोगों से आवेदन लेकर एकतरफा रिपोर्ट जारी कर दी थी। जिसे आयोग के सचिव ने मान्य नहीं किया था। याद दिला दें की परसा खदान के आसपास कुछ दस हजार स्थानीय रहते हैं। रायपुर के एक कथित अभियानकारी जो कि चार पन्ने की रिपोर्ट में सचिव के दस्तखत ना होने की हकीकत को छुपाने के लिए आगे के सिर्फ तीन ही पन्ने अपने सोशल मीडिया पर डाल कर गलत दावे भी कर दिए थे जो अब झूठे साबित हो गए हैं।

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