बच्चों की सुरक्षा व उनके समग्र विकास के लिए प्राथमिकता से कार्य करने की जरूरत

छग

Update: 2023-02-09 15:59 GMT
राजनांदगांव। छत्तीसगढ़ राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग की अध्यक्ष तेजकुंवर नेताम ने बाल अधिकारों के प्रभावी संरक्षण के लिए विभिन्न विभागों की समीक्षा बैठक ली। इस अवसर पर बाल अधिकारों सह उन्मुखीकरण कार्यशाला का भी आयोजन किया गया। इस दौरान आयोग के सदस्य सोनल गुप्ता, संगीता गजभिये, कलेक्टर डोमन सिंह, सचिव बाल अधिकार संरक्षण आयोग प्रतीक खरे एवं अन्य अधिकारी उपस्थित रहे। छत्तीसगढ़ राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग की अध्यक्ष तेजकुंवर नेताम ने कहा कि बच्चों की सुरक्षा एवं उनके समग्र विकास के लिए प्राथमिकता से कार्य करने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि कोविड-19 संक्रमण के बाद बच्चों की शारीरिक गतिविधियों में कमी आई है। बच्चों को मोबाईल से दूर रखते हुए उन्हें लेखन के लिए प्रोत्साहित करने की आवश्यकता है। उन्होंने लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम 2012 के तहत दर्ज प्रकरणों व निराकृत प्रकरणों की जानकारी पुलिस विभाग के अधिकारी से ली। उन्होंने कहा कि पॉक्सो अधिनियम के तहत दर्ज प्रकरणों की जानकारी मुआवजा दिलाये जाने हेतु जिला विधिक सेवा प्राधिकरण को उपलब्ध कराने के निर्देश दिए, ताकि जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के माध्यम से पॉक्सो पीडि़ताओं को क्षतिपूर्ति की राशि वितरित की जा सके। इस कार्य में विलंब नहीं होना चाहिए। शिक्षा विभाग की समीक्षा करते हुए जर्जर भवनों का मरम्मत करने के निर्देश दिये तथा शौचालयों में पानी की निकासी की व्यवस्था पर विशेष ध्यान देने के लिए कहा। स्कूलों एवं छात्रावासों में स्थापित पॉक्सो बॉक्स का सतत रूप से अवलोकन करने के लिए कहा।
शिकायत प्राप्त पॉक्सो अधिनियम के प्रावधानों के तहत कार्रवाई की जाए। जिला बाल संरक्षण इकाई, महिला एवं बाल विकास विभाग के कार्यो की समीक्षा करते हुए उन्होंने निर्देशित किया कि बाल विवाह की रोकथाम हेतु ग्राम पंचायत के ग्राम सचिवों एवं आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को दायित्व सौंपा जाए तथा इनके द्वारा गांव में हो रहे प्रत्येक विवाह का सर्वेक्षण किया जाए व पंचायतों द्वारा विवाह करने वाले वर-वधुओं की उम्र का सत्यापन किया जाए। प्रत्येक वैवाहिक पत्रिका में वर-वधु की जन्मतिथि अंकित होना चाहिए। बाल विवाह होने के पूर्व पतासाजी कर विवाह को रोकते हुए निरंतर फालोअप लिया जाए। आश्रम, छात्रावासों, बाल देखरेख संस्थाओं में कार्यरत कर्मचारियों द्वारा मदिरापान नहीं होना चाहिए। ऐसी स्थिति दिखाई देने पर संबंधित के खिलाफ तत्काल कार्रवाई होना चाहिए। बाल अधिकार संरक्षण आयोग की सदस्य संगीता गजभिये ने कहा कि जिले में विद्यालयों के समीप स्थापित पान ठेले, चखना दुकानों, गुटखा, बीड़ी-सिगरेट विक्रय करने वाले ठेले, खोमचे को तत्काल कार्रवाई करते हुए हटाया जाए। आयोग के सदस्य सोनल कुमार गुप्ता ने कहा कि किशोर न्याय बोर्ड में दीर्घ अवधि से लंबित प्रकरणों तथा लघु अपराधों का निराकरण नियमानुसार यथाशीघ्र किया जाए। कलेक्टर डोमन सिंह ने कहा कि स्कूलों के समीप गुटका, तंबाकू के ठेलों पर लगातार प्राथमिकता देते हुए कड़ी कार्रवाई की जा रही है। उन्होंने बताया कि शैक्षणिक विकास के लिए स्मार्ट टीवी के माध्यम से बच्चों की शिक्षा की व्यवस्था की गई है। उन्होंने कहा कि बच्चों की सुरक्षा, स्वास्थ्य एवं शिक्षा तथा समग्र विकास के लिए जिला प्रशासन द्वारा प्राथमिकता देते हुए निरंतर कार्य किए जा रहे हैं। आयोग के दिशा-निर्देश के अनुरूप कार्य किए जाएंगे। उन्होंने संबंधित विभागों को आगामी समय-सीमा की बैठक में बाल संरक्षण से जुड़े सभी मुद्दों पर फालोअप की स्थिति से अवगत कराने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि सभी अधिकारी इस दिशा में विशेष ध्यान देते हुए कार्य करें।
सचिव छत्तीसगढ़ राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग प्रतीक खरे ने कहा कि घुमन्तु बच्चों के चिन्हांकन हेतु अभियान चलाते हुए शासन के विभिन्न योजनाओं का लाभ दिलाया जाए। रेस्क्यू अभियान के दौरान श्रम पदाधिकारी, चाईल्ड़ लाईन, पुलिस विभाग तथा जिला बाल संरक्षण इकाई, महिला एवं बाल विकास विभाग के अधिकारी कर्मचारी अनिवार्य रूप से शामिल रहेंगे। श्रम विभाग के कार्यों की समीक्षा करते हुए श्रम पदाधिकारी को निर्देशित किया कि जिले में बाल श्रमिकों का चिन्हांकन करने हेतु विभिन्न संस्थानों का निरीक्षण करें। बाल श्रमिक बच्चे पाये जाने पर नियमानुसार संरक्षण एवं पुर्नवास की विधि सम्मत कार्रवाई करें। स्वास्थ्य विभाग की समीक्षा की गई जिसमें बालकों के टीकाकरण एवं प्रसूति केन्द्रों व विशेष नवजात शिशु देखभाल इकाई में आवश्यक तकनीकी सामग्री को रखा जाए एवं उपलब्ध सामग्री उपयोग में लाया जाए खराब होने की दशा में अविलम्ब मरम्मत किया जाए। आबकारी विभाग को निर्देशित किया गया कि किसी भी मादक पदार्थ विक्रेताओं, देशी मदिरा, विदेशी मदिरा, कम्पोजिट मदिरा दुकानों में 18 वर्ष से कम बालकों को नियोजित नहीं किया जाए। जिन दुकानों में बालक नियोजित होने की जानकारी मिलने पर कानूनी प्रावधानानुसार कार्रवाई की जाए। सड़क जैसे स्थिति में रहने वाले बच्चों के चिन्हांकन के संबंध में समीक्षा के दौरान जिला बाल संरक्षण अधिकारी चन्द्रकिशोर लाड़े द्वारा यह अवगत कराया गया कि पूर्व में चलाये गए रेस्क्यू अभियान के तहत 9 बालक चिन्हांकित हुए है, जिन्हें किशोर न्याय अधिनियम के प्रावधानानुसार मिशन वात्सल्य योजना के तहत लाभांवित किया गया है। अतिरिक्त कलेक्टर सीएल मारकण्डेय को महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा प्रतीक चिन्ह प्रदाय किया गया। जिला कार्यक्रम अधिकारी महिला एवं बाल विकास गुरप्रीत कौर द्वारा अध्यक्ष, सदस्य उपस्थिति विभिन्न विभागों के अधिकारियों का आभार व्यक्त किया गया। समीक्षा बैठक के दौरान उप पुलिस अधीक्षक नेहा गुप्ता, जिला महिला एवं बाल विकास अधिकारी एनएस रावटे तथा परियोजना अधिकारी सह अधीक्षक शासकीय बालिका सम्प्रेक्षण गृह रीना ठाकुर उपस्थत रहे। बैठक में लैंगिक अपराधों से बच्चों का संरक्षण अधिनियम 2012 के तहत दर्ज प्रकरणों व निराकरण की समीक्षा, जिले में बाल कल्याण अधिकारियों के प्रशिक्षण की स्थिति, बच्चों के सुरक्षित परिवहन से संबंधित मार्गदर्शी निर्देशों के पालन पर चर्चा की गई। विशेष आवश्यकता वाले दिव्यांग बच्चों के लिए उपलब्ध शिक्षा के संसाधनों की समीक्षा, विशेष आवश्यकता वाले बच्चों के लिए उपलब्ध शिक्षा के संसाधनों की समीक्षा, शालाओं में बच्चों के कोविड संक्रमण से बचाव, जिले में बाल संरक्षण से संबंधित विभिन्न बिन्दुओं पर चर्चा की गई।
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