पुलिस और नक्सली मुठभेड़ को नक्सलियों ने बताया फर्जी, जारी किया प्रेस नोट
छग
सुकमा। छत्तीसगढ़ के सुकमा जिले के दंतेश्पुरम में हुए मुठभेड़ को लेकर नक्सलियों और पुलिस के बीच पत्र वार छिड़ गया है। एक तरफ पुलिस ने मुठभेड़ में इनामी नक्सलियों के मारे जाने और भारी मात्रा में हथियार बरामद करने की बात कर रही है। वहीं नक्सली इस मुठभेड़ को झूठा बताकर तरह-तरह के आरोप पुलिस पर लगा रहे हैं।
बता दें कि, कोन्टा एरिया कमेटी के सचिव मंगड़ू ने पुलिस पर गंभीर आरोप लगाते हुए मीडिया को पत्र प्रेषित किया है। पत्र में कहा गया है कि, 8 मई को सुकमा जिले के दंतेश्पुरम में कोई मुठभेड़ नहीं हुई। पुलिस ने सरेंडर किए नक्सली मड़कम ऐर्रा और सदस्या पोडियाम भीमे को उनके घर से उठाया और उनकी हत्या कर दी। इस पूरी वारदात को मुठभेड़ का नाम दिया गया, जबकि उस दिन हमारी कोई टीम दंतेश्पुरम में थी ही नहीं।
इसके अलावा नक्सलियों ने पुलिस पर आरोप लगाते हुए कहा है कि, मारे गए नक्सली मड़कम ऐर्रा और सदस्या पोडियाम भीमे का अंतिम संस्कार भी पुलिस ने ही करवाया है। साथ ही शव लेने गए उनके परिजनों संतोष मड़काम (शिक्षादूत), वेको हिड़मा, मड़काम कोसा, पोड़ियाम मासे, पोड़ियाम हन्दा संतोष मड़काम (शिक्षादूत), वेको हिड़मा, मड़काम कोसा, पोड़ियाम मासे, पोड़ियाम हन्दा सहित कुल 9 निर्दोष लोगों को पुलिस हिरासत में रखकर पूछताछ के नाम से तरह-तरह की यातना दे रहे हैं।
वहीं पुलिस ने भी इसके जवाब में कहा है कि, नक्सली फर्जी विज्ञप्ति और भ्रामक प्रचार-प्रसार कर रहे हैं। मारे गए इनामी नक्सल कमांडर मड़कम ऐर्रा और सदस्या पोडियाम भीमे के शवों का गाइडलाइन के साथ पोस्टमार्टम किया गया और उनके परिजनों को सौंपा गया। पुलिस ने बताया कि, उनके किसी भी परिजन को गिरफ्तार नहीं किया गया है। नक्सली ग्रामीणों को भ्रमित कर संगठन में जोड़ने का प्रयास कर रहे हैं। मारे गए नक्सलियों के परिजनों को कोई सहायता न देना पड़े इसलिए इस तरह का झूठा प्रचार कर रहे हैं। पुलिस ने ग्रामीणों से अपील की है कि, इस तरह की भ्रामक प्रचार से बचें और नक्सलियों की साजिश में न आएं।