गौठानों में हरे चारे के लिए नेपियर घास का हो रहा रोपण

Update: 2021-08-03 11:17 GMT

रायपुर। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की मंशा के अनुरूप सुराजी गांव योजना के तहत गांवों में निर्मित गौठानों में पशुधन को हरा चारा उपलब्ध कराने के लिए चारागाह विकास के साथ-साथ नेपियर घास का रोपण तेजी से किया जा रहा है। चारागाहों में नेपियर घास के रोपण के अलावा हरे चारे की व्यवस्था के लिए ज्वार, मक्का, बाजरा आदि की भी बुआई की जा रही है। गौरतलब है कि छत्तीसगढ़ शासन की महात्वाकांक्षी योजना नरवा, गरूवा, घुरवा, बारी योजना के अंतर्गत राज्य में 10 हजार से अधिक गौठानों के निर्माण की स्वीकृति दी गई है, जिसमें से लगभग 6 हजार गौठान निर्मित एवं संचालित हो रहे हैं। मुख्यमंत्री के निर्देश के परिपालन में संचालित गौठानों के साथ-साथ निर्माणाधीन गौठानों में भी चारागाह विकास का कार्य तेजी से कराया जा रहा है।

राज्य के सुदूर वनांचल का जिला सुकमा में सुराजी गांव योजना के तहत विकसित 80 गौठानों में चारागाह विकास का कार्य तेजी से किया जा रहा है। इस योजना के तहत् पशुधन विकास विभाग द्वारा जिले सुकमा, कोंटा एवं छिन्दगढ़ विकासखंड के गौठान ग्रामों के चारागाह में पशुओं के लिए पौष्टिक हरा चारा उपलब्ध कराने हेतु हाईब्रिड नेपियर घास का रोपण किया जा चुका है। चारागाह हेतु आरक्षित भूमि को तार से फेंसिंग कर संरक्षित किया गया तथा सिंचाई सुविधा भी उपलब्ध कराई जा रही है। यहां यह उल्लेखनीय है कि एक बार नेपियर घास का रोपण कर देने से उससे आगामी 4-5 वर्षों तक हरा चारा प्राप्त होता है। एक बार घास की कटाई करने के बाद उसकी शाखाएं पुनः फैलने लगती है और 40 दिन बाद कटाई हेतु पुनः तैयार होती है। हाईब्रिड नेपियर घास में क्रुड प्रोटिन 8-10 प्रतिशत, क्रुड रेशा 30 प्रतिशत और कैल्सियम 0.5 प्रतिशत होता है। इसके अलावा 16-20 प्रतिशत शुष्क पदार्थ, 60 प्रतिशत पाचन क्षमता और 3 प्रतिशत औक्सालेट होता है।

उपसंचालक पशु चिकित्सा सुकमा ने बताया कि जिले में 88 गौठान स्वीकृत है। जिसमें विकासखण्ड सुकमा में 22, छिंदगढ में 39 एवं कांेटा में 19 इस प्रकार कुल 80 स्वीकृत हैं। गौठान के 133.7 एकड़ भूमि में पशुधन विकास विभाग एवं गौठान प्रबंधन समिति के स्व-सहायता समूह द्वारा हाईब्रिड नेपियर घास का रोपण कार्य पूर्ण कर लिया गया है। चारागाह विकास की जिम्मेदारी गौठान प्रबंधन समिति की निगरानी में स्व-सहायता समूह द्वारा किया जा रहा है। हरा चारा उत्पादन से होने वाली आय स्व-सहायता समूह की होगी।

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