छत्तीसगढ़ में महाविद्यालयों द्वारा नैक से मूल्यांकन कराने में 5 गुना की हुई वृद्धि

Update: 2021-07-30 13:01 GMT

रायपुर। छत्तीसगढ़ में महाविद्यालयों द्वारा नैक से मूल्यांकन कराए जाने में 05 गुना की वृद्धि हुई है, जो प्रदेश के उच्च शिक्षा के गुणवत्ता उन्नयन के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण कदम है। यह जानकारी आज 30 जुलाई को उच्च शिक्षा मंत्री उमेश पटेल की अध्यक्षता में आयोजित नैक की समीक्षा बैठक में दी गई। बैठक में बताया गया कि उच्च शिक्षा मंत्री श्री पटेल द्वारा विगत माह फरवरी में नैक की समीक्षा के दौरान दिए गए निर्देशों पर अमल करते हुये उच्च शिक्षा विभाग अभासीय पटल पर सतत् कार्यशालायें आयोजित कर तथा भौतिक रूप से संभाग एवं जिला स्तर पर कार्यशालायें आयोजित करने के परिणाम स्वरूप माह जुलाई में 78 शासकीय महाविद्यालयों ने आई.आई.क्यू.ए. एवं 30 शासकीय महाविद्यालयों ने एस.एस.आर. नैक के पोर्टल में जमा किया है, जो कोरोना संकट के विषम परिस्थिति तथा समय में एक उल्लेखनीय उपलब्धि है। उच्च शिक्षा मंत्री श्री पटेल ने बैठक में संपूर्ण टीम को प्रगति के लिए बधाई दी। गौरतलब है कि माह फरवरी में प्रदेश के नैक से मूल्यांकन हेतु अर्हता प्राप्त 170 शासकीय महाविद्यालयों में से 16 महाविद्यालयों द्वारा आई.आई.क्यू.ए. एवं 07 महाविद्यालयों द्वारा एस.एस.आर. नैक में जमा किया गया था।

उच्च शिक्षा मंत्री श्री पटेल द्वारा विगत माह फरवरी में राजकीय विश्वविद्यालयों के कुलपतियों, कुलसचिवों, संभागीय अपर संचालकों एवं अग्रणी महाविद्यालयों के प्राचार्यों की बैठक में नैक से महाविद्यालयों का मूल्यांकन एवं प्रत्यायन मिशन मोड पर कराये जाने हेतु निर्देशित किया गया था। इसमें मूल्यांकन की कार्ययोजना तैयार कर विश्वविद्यालयों को अग्रणी भूमिका निभाते हुए वर्ष 2022 तक प्रदेश के समस्त महाविद्यालयों का नैक से मूल्यांकन एवं प्रत्यायन कराने के लिए कहा गया था। उन्होंने बैठक में सेमिनार, प्रशिक्षण इत्यादि आयोजित कर सभी को दक्ष बनाने पर जोर दिया था। उच्च शिक्षा मंत्री श्री उमेश पटेल द्वारा गहन निगरानी व मॉनीटरिंग पर जोर देते हुये त्रिस्तरीय टीम का गठन संचालनालय, विश्वविद्यालय और जिला स्तर पर करने हेतु निर्देश दिए गए थे।

बैठक में अवगत कराया गया कि शासकीय महाविद्यालयों के नैक से मूल्यांकन में सरगुजा एवं बिलासपुर संभाग ने बेहतर प्रदर्शन किया है। सरगुजा संभाग के 33 अर्हता प्राप्त शासकीय महाविद्यालयों में से 30 के द्वारा आई.आई.क्यू.ए. एवं बिलासपुर के 45 अर्हता प्राप्त शासकीय महाविद्यालयों से 26 महाविद्यालय द्वारा आई.आई.क्यू.ए. नैक में जमा किया जा चुका है। उक्त दोनों संभागों की कार्यप्रणाली को प्रदेश के अन्य संभागों में भी अनुकरण करने पर विभाग द्वारा निर्देश दिये गये। उच्च शिक्षा मंत्री ने नैक से मूल्यांकन कराए जाने को महत्वपूर्ण बताते हुये यह कहा कि उच्च शिक्षा में बेहतर सोच व बेहतर गुणवत्ता का पैमाना नैक से मूल्यांकन है। उन्होंने शेष सभी महाविद्यालयों को भी नैक से मूल्यांकन शीघ्र सुनिश्चित करने के लिए कहा।

उच्च शिक्षा संस्थानों की गुणवत्ता के मूल्यांकन के लिये विश्वविद्यालय अनुदान आयोग द्वारा 1994 में राष्ट्रीय मूल्यांकन एवं प्रत्यायन परिषद् का गठन किया गया है। जिसे नैक के नाम से जाना जाता है, जो कि एक स्वशासी संस्था है। जिसका मुख्यालय बेंगलूरू में स्थित है। नैक के द्वारा गठित निरीक्षण दल में विश्वविद्यालयों के कुलपति, प्राध्यापक एवं महाविद्यालय के प्राचार्य सदस्य के रूप में नामित किये जाते हैं, जो उच्च शिक्षण संस्थाओं का नैक के द्वारा निर्धारित 7 मानदंडों के आधार पर मूल्यांकन करते है। नैक के द्वारा मूल्यांकित किये जाने से उच्च शिक्षण संस्थानों को उनकी क्षमता, कमियाँ, अवसर एवं चुनौतियों को जानने का मौका मिलता है, नैक से मूल्यांकन कि समस्त प्रक्रिया में विद्यार्थी को केन्द्र में रखकर मानदंड तैयार किये गये है।

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