बिलासपुर। हाईकोर्ट में पति और पत्नी के बीच दो बच्चों का बंटवारा करने का अजीबोगरीब मामला न्याय के लिए लगाया गया है। हाईकोर्ट ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद याचिका पर फैसला सुरक्षित रख लिया है। दरअसल, रजिस्ट्रार फर्म एंड सोसायटी ने पति-पत्नी के बीच एग्रीमेंट करा दिया है। जिसमें यह तय किया गया है कि बेटी अपने पापा के पास रहेगी और बेटा अपनी मां के साथ रहेगा। एग्रीमेंट में यह भी शर्त है कि 15-15 दिन के भीतर पति-पत्नी दोनों बच्चों से मिल सकेंगे। इस आदेश को मां ने हाईकोर्ट में चुनौती दी है।
रायपुर की रहने वाली खुशबू जेठी और गुजरात के निसिर भावे जेठी की शादी 2011 में हुई थी। निसिर रायपुर में ही रहता है। शादी के बाद उनके एक बेटी और बेटा हुआ। इस दौरान 2017 में उनके पति-पत्नी के रिश्तों में दरार पड़ गई। विवाद इतना बढ़ गया कि दोनों एक-दूसरे से अलग रहने लगे।
पति निसिर ने अपनी पत्नी से तलाक लेने के लिए उसे गुमराह किया और रायपुर के रजिस्ट्रार फर्म एंड सोसायटी के समक्ष आपसी सहमति से आवेदन प्रस्तुत किया। रजिस्ट्रार फर्म एंड सोसायटी ने उनकी सहमति से एग्रीमेंट करा दिया।
इसमें यह तय किया गया कि 6 साल की बेटी को उसका पिता रखेगा और पालन पोषण करेगा। इसी तरह चार साल के बेटे की देखरेख उसकी मां करेगा। इस एग्रीमेंट में यह भी शर्त रखी गई कि 15-15 दिन में पति-पत्नी अपने बेटे और बेटी से मिल सकेंगे।
बेटी से मिलने नहीं दिया, तब मां ने हाईकोर्ट में लगाई याचिका
एग्रीमेंट की शर्तों का भी महिला के पति ने पालन नहीं किया। उसने अपनी बेटी को उसकी मां को बताए बिना गायब कर दिया। इस बीच उसकी मां अपनी बेटी से मिलने के लिए परेशान होती रही। आखिरकार, मां ने अपनी बेटी को पाने के लिए हाईकोर्ट में वकील काशीनाथ नंदे के माध्यम से बंदीप्रत्यक्षीकरण याचिका दायर की। चीफ जस्टिस अरुप कुमार गोस्वामी और जस्टिस एनके चंद्रवंशी की डिवीजन बेंच ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया है।
पिता ने कहा-गुजरात में है बेटी
इधर, हाईकोर्ट ने जब महिला के पति को नोटिस जारी कर जवाब मांगा, तब उसने कोर्ट को बताया कि उसने अपनी बेटी को गुजरात में रखा है और उसकी पढ़ाई वहीं चल रही है। इधर, महिला का आरोप है कि जब उसका पति रायपुर में रहता है तो उसने बेटी को गुजरात क्यों भेज दिया है। याचिका में फर्म एंड सोसायटी के इस आदेश को अवैधानिक बताते हुए निरस्त करने की भी मांग की गई है।