धान फसल की तुलना में दलहन-तिलहन फसल से अधिक लाभ

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Update: 2022-06-08 17:10 GMT

राजनांदगांव। खरीफ की बोनी के लिए किसान खेत की तैयारी में व्यस्त हो गये है, खरीफ में ज्यादातर किसान धान की फसल की खेती करते है। पिछले वर्ष किसानों द्वारा 3 लाख 33 हजार हेक्टेयर में धान फसल की बोनी की गई है। किसान धान फसल के बदले सुगंधित धान, अरहर, मक्का, उड़द, मूंग, सोयाबीन, केला, पपीता जैसे फसलों से अधिक मुनाफा कमा सकते है। धान फसल में अन्य फसलों की अपेक्षाकृत अधिक लागत लगने से अनुपातिक रूप से कम शुद्ध लाभ प्राप्त होता है, जबकि दलहन, तिलहन फसल से अधिक शुद्ध लाभ कमा सकते है।

धान फसल में बहुत अधिक पानी लगता है, जिसके कारण से कई क्षेत्रों में धान फसल में सिंचाई पानी की पूर्ति नहीं होने से कम उपज का सामना करना पड़ता है। धान फसल में भूमि तैयारी, जुताई, बोआई में अधिक लागत लगता है। इसी प्रकार धान फसल में खरपतवार, नींदा की अधिक समस्या होने से निंदाई में भी अधिक लागत लगता है। धान फसल में अधिक रासायिक उरर्वक लगता है, जिससे भूमि की उपजाऊ क्षमता में कमी आती है तथा लागत भी अधिक हो जाती है। दलहन-तिलहन फसलों की कम लागत लगने से शुद्ध लाभ अधिक प्राप्त होती है।
धान के बदले सुगंधित धान बेहतर विकल्प
जिले में धान फसल किसानों द्वारा ज्यादा बोयी जाती है। इन किसानों के लिये धान के बदले सुगंधित धान बेहतर विकल्प है, सुगंधित धान को बाजार में सामान्य धान की अपेक्षाकृत अधिक मूल्य मिलता है। सामान्य धान के बदले सुगंधित धान लगे वाले किसानों को शासन की तरफ से प्रोत्साहन के रूप में प्रति एकड़ 10 हजार रूपए की राशि प्राप्त होगा। इस प्रकार से लाभ के साथ-साथ घरेलू उपभोग के लिए सुगंधित धान बेहतर विकल्प है। सेवा सहकारी समितियों में सुगंधित धान की प्रमाणित बीज बोआई हेतु उपलब्ध है।
दलहन-तिलहन फसल की बाजार मूल्य धान से अधिक
धान के स्थान पर कम पानी में आसानी से रागी, अरहर, मूंग, उड़द, सोयाबीन, मक्का, कोदो-कुटकी, तिल की फसल उगाई जा सकती है। जिनके बाजार मूल्य धान से भी अधिक हैं। इसके साथ-साथ ही दलहन-तिलहन फसलों से कम लागत में अच्छा उत्पादन प्राप्त कर अच्छी आय प्राप्त कर सकते है। धान की समर्थन मूल्य एवं बोनस मिलकर 2500 रूपए प्रति क्ंिवटल है। जबकि अरहर की 6800 रूपए प्रति क्विंटल, मूंग की 6100 रूपए है। इसी प्रकार उड़द फसल की 5900 रूपए, सोयाबीन फसल की 6500 रूपए तथा कोदो-कुटकी की 2500 रूपए प्रति क्ंिवटल बाजार मूल्य मिल जाता है।
धान फसल के स्थान पर अन्य फसल से अधिक आय
धान फसल से 1 एकड़ में 16 क्विंटल प्रति एकड़ उत्पादन पैदावार होती है तथा समर्थन मूल्य एवं बोनस मिलाकर 2500 रूपए प्रति क्विंटल से मात्र 40 हजार रूपए धन राशि प्राप्त होती है। इसी प्रकार दलहन, अरहर फसल सें 6 क्विंटल उत्पादन मिलने से मण्डी व बाजार भाव 6800 रूपए दर से बेचने पर 40 हजार 800 रूपए की राशि प्राप्त होती है, जो धान फसल की अपेक्षा अधिक है। अरहर फसल में धान की अपेक्षा कम लागत होने से आय भी अधिक मिलता है। साथ ही राजीव गांधी किसान न्याय योजना में पंजीयन करने पर प्रति एकड़ 10 हजार रूपए की आदान प्रोत्साहन राशि प्राप्त होगी। इस प्रकार प्रति एकड़ 50 हजार 800 लाभ प्राप्त होगी, जो धान की अपेक्षा 10 हजार 800 अधिक लाभ प्राप्त होगी। इसी प्रकार दलहन-तिलहन फसलों में भी अधिक आय प्राप्त कर सकते है।
प्रति क्विंटल लाभ प्रतिशत में भी दलहन-तिलहन फसल अव्वल
धान की फसल की खेती में खेती लागत अधिक होने से प्रति क्विंटल लाभ प्रतिशत लगभग 50-56 प्रतिशत तक प्राप्त होता है, जबकि दलहन-तिलहन फसल के तहत मक्का में लाभांश लगभग 74 प्रतिशत, अरहर में 84 प्रतिशत, उड़द 70 प्रतिशत, मूंग 75 प्रतिशत है, जो धान की अपेक्षा बहुत अधिक है।
राजीव गांधी किसान न्याय योजना से लाभ
शासन के द्वारा दलहन-तिलहन, उद्यानिकी फसलों को उत्पादन को प्रोत्साहित करने हेतु राजीव गांधी किसान न्याय योजना प्रारंभ की गई है। जिसके तहत योजनांतर्गत खरीफ में धान के साथ अन्य चयनित कृषि एवं उद्यानिकी उत्पादक कृषकों को प्रति वर्ष 9 हजार प्रति एकड़ आदान सहायता राशि दी जाएगी। साथ ही वर्ष 2021-22 में जिस रकबे से किसान द्वारा न्यूनतम समर्थन मूल्य पर धान विक्रय किया था। यदि वह धान के बदले कोदो कुटकी, गन्ना, अरहर, मक्का, सोयाबीन, दलहन, तिलहन, सुगंधित धान, अन्य फोर्टिफाईड धान, केला, पपीता अथवा वृक्षारोपण करता है, तो उसे प्रति एकड़ 10 हजार रूपए आदान सहायता राशि दिया जाना है। वृ़क्षारोपण करने वाले कृषकों को तीन वर्षों तक आदान सहायता राशि दी जायेगी।
किसान ध्यान दें
धान के अतिरिक्त अन्य फसलों के लिए भी अधिक से अधिक ऋण लें। कोदो-कुटकी का विक्रय 3 हजार रूपए प्रति क्ंिवटल एवं रागी फसल विक्रय 3 हजार 377 रूपए प्रति क्ंिवटल की दर से वन समिति केन्द्रों में कर सकते है।
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