रायपुर। जंगल सफारी में थोक के भाव में चौसिंगा की मौत का मामला शांत नहीं हुआ है, इसके पूर्व जंगल सफारी में मैसूर जू से लाए एक जोड़ी मीरकैट की संदिग्ध परिस्थिति में मौत हो गई। एनिमल की मौत होने के बाद सफारी में वन्यजीवों के स्वास्थ्य की रक्षा करने वाले डॉक्टर को मीरकैट की मौत की खबर कई दिन बाद हुई। मीरकैट की लाश सड़ने के बाद बदबू आने पर सफारी के डॉक्टर को वन्यजीव की मौत की जानकारी मिली। इसके बाद एनिमल का पोस्टमार्टम कर दफना दिया।
गौरतलब है कि, दक्षिण आफ्रीका में पाए जाने वाले नेवला प्रजाति के वन्यजीव मीरकैट को सफारी प्रबंधन एक वर्ष पूर्व मैसूर जू से लेकर आया था। वन्यजीव को सफारी में लाने वन अफसरों को काफी मशक्कत करनी पड़ी, तब कहीं जाकर एनटीसीए तथा सीजेडए की टीम ने मीरकैट को मैसूर से जंगल सफारी लाने की अनुमति प्रदान की। सीजेडए से अनुमति मिलने के बाद भी मैसूर जू प्रबंधन मीरकैट को हैंडओवर करने को तैयार नहीं था। इसके लिए अफसरों को मैसूर जू प्रबंधन के साथ लंबी वार्ता करनी पड़ी, तब कहीं जाकर मैसूर जू प्रबंधन ने मीरकैट को ले जाने की अनुमति प्रदान की।
सूत्रों के मुताबिक मीरकैट की मौत पिछले महीने ही हो गई। मौत किन कारणों से हुई है, उन कारणों की जानकारी वन अफसरों को नहीं है। सफारी में जहां वन्यजीवों को रखते हैं, उसके आसपास बदबू आने पर डॉक्टर ने बाड़ों की जांच की, तो पता चला कि जिस बाड़े में मीरकेट रह रहे थे, वहां उसकी लाश मिली। मीरकैट की लाश पूरी तरह से सड़ चुकी थी। इस वजह से पोस्टमार्टम रिपोर्ट में मीरकेट की मौत के कारणों का पता नहीं चल पाया है।