जगदलपुर। बस्तर में देसी आम की फसल इस बार चौपट होने की वजह से बस्तर का खास अमचूर का उत्पादन प्रभावित हुआ है। सालाना करोड़ों रुपये का अमचूर बस्तर के दूरस्थ ग्रामीण अंचलों से ग्रामीणों के जरिए राष्ट्रीय अंतर्राष्ट्रीय बाजार तक पहुंचता है। गर्मियों के मौसम में वर्षों पहले पर लगाए गए बस्तर के देसी आम अपनी अलग पहचान रखते हैं, लेकिन अंधड़ और बारिश की वजह से इस बार फसल को खासा नुकसान हुआ है।
एक तरफ बाजार में जहां हाइब्रिड आम लोगों की जुबान का जायका बनते जा रहे हैं, वहीं बस्तर का देसी आम अब भी मसालों की खास पसंद है। वैसे भी इन देसी आम से बनाया गया अमचूर का जायका मसालों की खासियत को और बढ़ा देता है। यही वजह है कि राष्ट्रीय स्तर पर कई बड़ी मसाला कंपनियां बस्तर के व्यापारियों से अमचूर खरीदी करती हैं। बस्तर में आज भी प्राकृतिक तौर पर देसी आम के पेड़ों की बहुतायत है । ग्रामीण वर्षों से गर्मियों के दौरान इन देशों से अमचूर बनाकर उन्हें बाजार में बेचते हैं।
व्यापारी ₹5000 प्रति क्विंटल की दर से आमचूर खरीदते हैं और बाजार में ढाई सौ रुपये प्रति किलो तक बेचा जाता है। जगदलपुर मंडी से यह अमचूर विदेशी बाजार तक भी पहुंचता है। बस्तर में कांकेर से लेकर बीजापुर सुकमा जिले तक आम के आम राहों से हर साल करोड़ों रुपए का कारोबार होता है, लेकिन बेमौसम बारिश और अंधड़ ने इस बार आम की फसल को प्रभावित किया है इसके अमचुर के दाम भी बढ़ सकते हैं।