रायपुर। श्रुत पंचमी महा पर्व प्रतिवर्ष ज्येष्ठ मास मे शुक्ल पक्ष की पंचमी को मनाया जाता है। दिगम्बर जैन परम्परा के अनुसार श्रुत पंचमी पर्व ज्ञान की आराधना का महान पर्व है जो जैन भाई बंधुओ को वीतराग संतो की वाणी सुनने आराधना करने और प्रभावना बाटने का सन्देश देता है। ज्येष्ठ शुक्ल पंचमी शुभ तिथि को इस युग के अंतिम तीर्थंकर व वर्तमान शासन नायक भगवान महावीर स्वामी के मोक्षगमन के उपरांत उनकी दिव्यध्वनि से प्राप्त वाणी का लेखनकार्य षटखंडागम ग्रंथ के रूप में पुष्पदंत व भूतबलि महराज के द्वारा सम्पन्न हुआ था। तीर्थंकर प्रभु की दिव्य ध्वनि से प्राप्त वाणी, जो समस्त जीवों के कल्याण की आधार है, उस वाणी के लेखन कार्य के क्रम में प्रथम ग्रंथ के लेखन की पूर्णता ज्येष्ठ शुक्ल पंचमी इसी तिथि को हुई थी। तभी से सभी श्रावकों ने इस तिथि को विशेष पर्व को मनाना प्रारम्भ किया। भगवान महावीर स्वामी के मोक्ष गमन के बाद उनकी वाणी का पूर्वाचार्यों द्वारा लेखन कार्य हुआ अतः वर्तमान में भी भगवान की वाणी हम लोगों के बीच उपलब्ध है। जिसको हम लोग निर्ग्रन्थ मुनिराजों के माध्यम से जानते हैं।
इस वर्ष श्रुत पंचमी पर्व 24 मई बुधवार को राजधानी के सभी दिगम्बर जैन मंदिरो मे धूम धाम सें भक्ति भाव के साथ मनाया गया। सर्वप्रथम आदिनाथ दिगम्बर जैन बड़े मंदिर मालवीय रोड के अध्यक्ष संजय जैन नायक ने बताया की बड़े मंदिर मे महिला मण्डल द्वारा सभी जिनवाणी ग्रंथो की वैयावृत्ति की गयी। श्रुत स्कन्द विधान पूजन अभिषेक शांति धारा व शास्त्र सजाओ प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। पार्श्वनाथ दिगम्बर जैन मंदिर टैगोर नगर के अध्यक्ष पुष्पेंद्र जैन ने बताया की श्रुत पंचमी पर्व मंदिर मे धूम धाम सें मनाया गया। इसमें जिनवाणी माता की वैयावृत्ति की गयी। 24 मई को समाज के धर्म प्रेमी बंधुओ द्वारा जिनवाणी माता की पालकी सजाकर नगर भ्रमण हेतु निकाली गयी, जिसमे बच्चे युवा महिलाये सभी धर्मिक धुनो मे नाचते जयकारा लगाते शामिल हुए। वासुपूज्य दिगम्बर जैन मंदिर के अध्यक्ष यशवंत जैन ने बताया की श्रुत पंचमी मे आज सुबह श्रीजी का पूजन अभिषेक कर समाज जन द्वारा जिनवाणी माता को पालकी मे विराजमान कर नगर भ्रमण करवाया गया, जिसमे सभी दिगम्बर जैन समाज के लोगो ने हिस्सा लिया।