रायपुर/दिल्ली। जैन धर्म के 24वें तीर्थंकर महावीर स्वामी के 2623 वें जन्म कल्याणक (जयंती) के अवसर पर प्रदेशवासियों को शुभकामनाएँ देते हुए श्रमण डॉ पुष्पेन्द्र ने कहा है कि तीर्थंकर महावीर केवल जैनों के नहीं वरन सम्पूर्ण मानवता के भगवान हैं। महावीर उन्हीं लोगों के काम के हैं जो ज्योर्तिमयता में विश्वास रखते हैं। वे ही पहले ऐसे महापुरुष थे जिन्होंने सरे बाजार में बिकने वाली नारी को बिक्री की वस्तु से हटाकर उसे आमजन मानस में गौरवपूर्ण स्थान दिलवाया।
आज जरूरत केवल इतनी-सी है कि भगवान महावीर में आस्था रखने वाला लोग केवल मंदिरों में उनकी पूजा-आरती न करते रहें, अपनी पंथ-परम्पराओं की चारदिवारी में बंधकर न रहें, वरन् उनके द्वारा दिए गए अहिंसा, अनेकांत, समता, समानता, सहयोग जैसे संदेशों को विश्वभर में फैलाने की जी-जान से कौशिश करें फिर वह दिन दूर नहीं जब संयुक्त राष्ट्र संघ में शांति और मैत्री की केवल बातें नहीं होगी वरन् विश्व मैत्री और विश्व शांति का सपना साकार होता दिखेगा। महावीर के संदेश तब भी उपयोगी थे आज भी उपयोगी हैं और सदा उपयोगी बने रहेंगे। वे कभी आउट ऑफ डेट नहीं होंगे, सदा अप-टू-डेट बने रहेंगे।
आगे उन्होंने कहा कि महावीर का म कहता है महान बनो - जहाँ भगवान श्री राम दिए हुए वचन को निभाने की प्रेरणा देने वाले आदर्श-स्तंभ हैं वहीं भगवान श्री महावीर लिए हुए संकल्प पर दृढ़ रहने के आदर्श स्रोत हैं। स्वयं महावीर शब्द में गूढ़ रहस्य छिपा हुआ है। महावीर का म महान बनने, ह हिम्मत रखने व वचन निभाने और र रमन करने का पाठ सिखाता है। भले ही सिकन्दर ने पूरी दुनिया को जीता, पर सिकन्दर बनकर दुनिया को जीतना सरल है, पर उसी सिकन्दर के लिए स्वयं को जितना बड़ा मुश्किल है। जो स्वयं को जीतते हैं वही दुनिया में वीरों के वीर महावीर कहलाते हैं।