महासमुंद : बिहान ने महिलाओं की बदली तकदीर

Update: 2021-09-22 11:58 GMT

छत्तीसगढ़ राज्य में संचालित ग्रामीण आजीविका मिशन ''बिहान'' एक महत्वाकांक्षी योजना हैं। ''बिहान'' योजना महिलाओं को आर्थिक तौर पर सशक्त बनाने की एक अनूठी पहल है। इस योजना से महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए स्व-सहायता समूहों को कौशल विकास उन्नयन का प्रशिक्षण दिया जाता है। जिससे महिलाएं स्वरोजगार प्राप्त कर आर्थिक रूप से सशक्त हो सकें। 'बिहान'' योजना से जुड़ने वाली महिला स्व-सहायता समूह को आर्थिक रूप से सशक्त बनानें के लिए जिला प्रशासन द्वारा भी भरपूर सहयोग किया जा रहा है। इसके लिए उन्हें एक निश्चित प्लेटफॉर्म उपलब्ध कराया जाता है, ताकि वे अपने निर्मित सामग्रियों को आसानी से बिक्री कर सकें। प्रशासन के माध्यम से महिला स्व-सहायता समूह द्वारा निर्मित विभिन्न सामग्रियों को स्कूल, ऑगनबाड़ी, आश्रम-छात्रावास के अलावा अन्य विभागों में भी सप्लाई किया जाता है। जिससे स्व-सहायता समूह की महिलाओं की आर्थिक स्थिति और सुदृढ़ हो सकें।

दुर्गा महिला स्व-सहायता समूह भोरिंग की अध्यक्ष कुमारी साहू ने बताया कि इस समूह में गॉव के 12 महिला सदस्य हैं। जिन्हें जिला प्रशासन के सहयोग से कलेक्ट्रेट के सामनें सामग्रियों को बेचनें के लिए स्टॉल उपलब्ध कराया गया है। वे सभी महिलाएं एक वर्ष पूर्व जनपद एवं जिला पंचायत के अधिकारियों के द्वारा ''बिहान'' योजना के बारें में विस्तार पूर्वक जानकारी प्रदान करने से वे समूह में जुड़ने के लिए प्रेरित हुई। इन समूह की महिलाओं को 10 दिवसीय विशेष प्रशिक्षण दिया गया। समूह के कार्य और लगन को देखकर उन्हें बैंक के माध्यम से एक लाख का ऋण उपलब्ध कराया गया है। जिससे वे प्रतिमाह 10-10 हजार रूपए के आसान किस्तों में भुगतान कर माह मई में पूरी ऋण की राशि में ब्याज सहित चुकता कर दी है। दुकान उन्होंने सितम्बर 2020 में खोली थी। आस-पास सरकारी कार्यालय होने के कारण वे दुकान में चाय-नाश्ता की सामग्री का भी विक्रय करती है। इससे उन्हें अतिरिक्त आमदनी भी हो जाती है।

श्रीमती साहू ने बताया कि स्व-सहायता समूह से जुड़ने के पूर्व वे सब्जी-भाजी बेचकर अपने घर का जीविकोपार्जन करते थे। लेकिन उन्हें इस व्यवसाय में अच्छी आमदनी प्राप्त नहीं होती थी। इस कारण वे स्व-सहायता समूह में जुड़ी। स्व-सहायता समूह में जुड़ने से उनके साथ-साथ समूह की सभी महिलाओं को आर्थिक लाभ प्राप्त हो रहा है। जिला कार्यालय (कलेक्ट्रेट) के सामने स्थित उनके स्टॉल पर स्व-सहायता समूह की सामग्रियों की बिक्री काफी अच्छी होने के कारण अन्य महिला स्व-सहायता समूह की सदस्य भी उनके द्वारा निर्मित अन्य सामग्रियां भी यहां बिक्री के लिए रखती है। जिसके कारण ग्राहकों को सभी प्रकार की सामग्रियां इस स्टॉल से प्राप्त हो जाती है। जिससे ग्राहक यहां बड़ी संख्या में समूह द्वारा निर्मित सामग्रियों को लेने के लिए पहुंचते हैं। दुकान से वे अच्छी खासी कमाई कर रही है। बैंक से लिया गया ऋण भी समय पर चुकता हो गया।

अन्य समूह गणेश महिला स्व-सहायता समूह, प्रभु कृपा महिला स्व-सहायता समूह भोरिंग एवं सॉईनाथ महिला स्व-सहायता समूह टेमरी सहित अन्य महिला स्व-सहायता समूहों के सामग्रियां यहां बिक्री के लिए रखीं गई है। जिसमंे कपड़े, बर्तन धोनें एवं नहानें का साबुन, बर्तन साफ करने का लिक्विड, सर्फ, लाईट, मोमबत्ती, विभिन्न प्रकार के लड्डू, हर्बल शैम्पू, पैरदान, गोबर के दीएं, जैविक खाद, अगरबत्ती, करी लड्डू, बड़ी, पापड़, आचार, सेनेटाईजर, हैण्डवॉश, झालर, मॉस्क सहित अन्य सामग्रियां उपलब्ध हैं। दुकान का संचालन सबेरे 08ः00 बजे से शाम 05ः00 बजे तक करती है। उनके समूह के सदस्य घरांे में विभिन्न प्रकार की सामग्रियों का निर्माण करती हैं। उन्होंने कहा कि शासन की यह महत्वाकांक्षी ''बिहान'' योजना हमारें जैसे हजारों महिलाओं की सामाजिक, आर्थिक स्थिति सुधारने के लिए वरदान साबित हो रही है।

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