108 दीपों से हुई विद्यादायिनी माँ सरस्वती की महाआरती

Update: 2022-08-22 03:54 GMT

रायपुर। राष्ट्रसंत श्रीललितप्रभ सागरजी महाराज एवं डॉ. मुनिश्री शांतिप्रिय सागरजी के पावन सानिध्य में उनके द्वारा मंत्रोच्चार के मध्य रविवार को आउटडोर स्टेडियम बूढ़ापारा के दिव्य सत्संग स्थल पर विद्यादायिनी माँ सरस्वती का हजारों श्रद्धालुओं ने अष्टप्रकारी महापूजन कर पुण्यार्जन किया। रायपुर के इतिहास में 36 कौमों द्वारा किया गया यह महापूजन ऐतिहासिक प्रसंग रहा। जिसमें माँ सरस्वती की प्रतिमा के समक्ष हरेक श्रद्धालुओं ने स्वद्रव्य से लाए अक्षत चावल, फल व मिष्ठान्न का अर्पण करने का सौभाग्य प्राप्त किया। नगर के प्रख्यात विधिकारक विमल गोलछा व साथियों ने संगीतमय भक्तिगीतों के साथ महापूजन को विधिवत संपन्न कराया। प्रत्येक पुरुष-महिला श्रद्धालुओं को बारी-बारी से उनके आयु वर्गों के आधार पर प्रत्येक तीस मिनट तक जल, चंदन, अक्षत, पुष्प, दीपक, धूप, फल, नैवेद्य पूजा का पुण्यलाभ प्रदान किया गया। श्वेत पूजन के वस्त्रों में पुरुष श्रद्धालु और पीले-केसरिया परिधानों में श्राविकाएं इस पूजन में सहभागी हुईं।

जयपुर से आईं अंतरराष्ट्रीय लोकप्रियता प्राप्त मधुर कोकिला सीमा दफ्तरी ने माँ सरस्वती, वीर प्रभु और गुरुजनों के गुणगान में एक से बढ़कर एक भजनों की सुरमयी प्रस्तुतियां देकर अनुष्ठान को अविस्मरणीय बना दिया। नन्हें बालक श्रेयांश बोथरा ने सरस्वती वंदना- हे शारदे माँ... का गायन का उपस्थित हजारों श्रद्धालुओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। वहीं बालिका सुश्री वृद्धि बैद ने गुरु महिमा पर अत्यंत प्रेरणास्पद संदेश दिया। माँ सरस्वती की 108 दीपों से महाआरती का लाभ श्रीमती मदनाबाई-जसराज बरड़िया परिवार से शांतिलाल अशोक कुमार तिलोकचंद बरड़िया परिवार ने प्राप्त किया।

इस प्रसंग पर माँ सरस्वती की प्रतिमा के समक्ष रंगीन अक्षत चावल से निर्मित विशालकाय रंगोली अर्थात् माँ सरस्वती का मांडला और चावल के द्वारा ही भगवान महावीर को चंदनबाला द्वारा पारणा कराने के प्रसंग का दृश्यांकन श्रद्धा-आस्था व आकर्षण का प्रमुख केंद्र बना रहा। भगवान के पारणे का सुंदर चित्रण दुर्ग से आईं श्राविका पूजा बैद और उनकी पुत्री ट्विंकल बैद ने तथा अक्षत के द्वारा माँ सरस्वती के मनोहारी मांडले का निर्माण एसपीजी ग्रुप से श्रीमती शीलू निम्माणी, श्रीमती शिल्पा झाबक, श्रीमती सीमा कांकरिया व बॉबी बुरड़ ने मिलकर किया था। इन श्राविकाओं का पूजन के मध्यान्तर में श्रीऋषभदेव मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष विजय कांकरिया व कार्यकारी अध्यक्ष अभय भंसाली व ट्रस्ट मंडल व दिव्य चातुर्मास समिति की ओर से बहुमान किया गया। इस महापूजन के लिए अपने-अपने घरों से हर श्रद्धालु यथासामर्थ्य अक्षत चावल, फल व मिष्ठान्न माता को अर्पित करने साथ लाए थे। हजारों श्रद्धालुओं द्वारा एकत्र अक्षत चावल से माता की प्रतिमा के समक्ष लगभग पांच क्विंटल चावल से स्वस्तिक (सातिया) का निर्माण कर तदुपरांत माता की महाआरती की गई।

जरूरतमंदों निर्धनों को बांटा जाएगा एकत्र चावल, फल व मिष्ठान्न

श्रीऋषभदेव मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष विजय कांकरिया, कार्यकारी अध्यक्ष अभय भंसाली, ट्रस्टीगण तिलोकचंद बरड़िया, राजेंद्र गोलछा व उज्जवल झाबक ने संयुक्त जानकारी देते बताया कि इस ऐतिहासिक महापूजन में अर्पण के लिए हजारों श्रद्धालुओं द्वारा लाए गए अक्षत चावल, फल व नैवेद्य-मिष्ठान्न में से दशांश को पुजारियों को भेंट कर शेष का वितरण ट्रस्ट मंडल व दिव्य चातुर्मास समिति के सदस्यों द्वारा गरीब जरूरतमंदों के बीच जाकर किया जाएगा।

आज प्रवचन 'कैसे पाएँ अनासक्ति और मुक्ति' विषय पर

दिव्य चातुर्मास समिति के अध्यक्ष तिलोकचंद बरड़िया, महासचिव पारस पारख व प्रशांत तालेड़ा, कोषाध्यक्ष अमित मुणोत ने बताया कि सोमवार 22 अगस्त को दिव्य सत्संग के अध्यात्म सप्ताह के आठवें दिन प्रात: 8.45 से 10.30 बजे के मध्य राष्ट्रसंत का दुर्लभ प्रवचन 'कैसे पाएँ अनासक्ति और मुक्ति' विषय पर होगा। 

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