लकी ड्रा, इनाम का झांसा देकर लोगों से हो रही ठगी

ई-कामर्स कंपनियों पेमेंट एप के नाम से फर्जी फोन काल, पढ़े-लिखे भी फंस रहे

Update: 2021-02-05 05:09 GMT

जसेरि रिपोर्टर

रायपुर। धोखाधड़ी करने वाले आए दिन नई-नई तरकीब से लोगों को ठग रहे हैं। अब ऐसे ही ठगों के बारे में पता चला है जो अमेजन और गो.आई.बीबो जैसी बड़ी कंपनियों के प्रतिनिधि बनकर फेक कॉल करते हैं और लोगों को अपना शिकार बनाते हैं। इन फर्जी कॉल्स के जरिए लोगों को भरोसा दिया जाता है कि उनके अकाउंट में कोई संदिग्ध गतिविधि हो रही है।

जब एक बार यूजर को विश्वास हो जाता है कि उनके अकाउंट में ऐसी कोई गड़बड़ी हो रही है, तब ये ठग अकाउंट रिस्टोर करने या इसे ठीक करने का झांसा देते हैं। यूजर्स को इसके लिए '1Ó डॉयल करवाते हैं। इसके बाद यूजर्स का कॉल स्कैमर्स के पास ट्रांसफर हो जाता है। ये स्कैमर्स पासवर्ड, पर्सनल डिटेल्स, क्रेडिट कार्ड समेत अन्य संवेदनशील जानकारियां चुरा लेते हैं। अमेजन के नाम पर ऐसे ही एक कॉल पर बताया गया कि यूजर के अकाउंट की मदद से कोई संदिग्ध खरीद हुई है और यह पैकेज डिलीवरी के समय गुम हो गया। गो.आई.बीबो के हवाले से किए दूसरे कॉल में यूजर्स को बताया गया कि उनके में कुछ संदिग्ध गतिविधि हो रही है या उनके अकाउंट को किसी ने एक्सेस किया है। इसे तुरंत ठीक किया जाना बेहद जरूरी है।

ऐसे बनाते हैं शिकार

दरअसल इन दिनों साइबर अपराधियों ने बड़ी-बड़ी नामी ई-कॉमर्स कंपनियों की वेबसाइट और एप का क्लोन बना लिए हैं। ये वेबसाइट आपको ऑरीजनल वेबसाइट के जैसी ही लगेंगी। वेबसाइट के प्रोडक्ट्स पर भारी ऑफर और डिस्काउंट देकर फंसाया जाता है। लेकिन जब इन वेबसाइट्स या एप्स पर पेमेंट कर दिया जाता है तो उसके कुछ देर बाद ये लिंक गायब हो जाता है। इस तरह साइबर अपराधी बड़े ही शातिराना अंदाज में लोगों को चूना लगा रहे हैं। साइबर सेल ऐसी घटनाओं की जांच कर रहा है लेकिन ऑनलाइन लिंक डिलीट होने की वजह से इस तरह के क्राइम पर लगाम नहीं लग पा रही है।

ऐसे चलता है पूरा नेटवर्क

साइबर अपराधी प्लेस्टोर पर ऐसी फर्जी एप्स को लॉन्च कर देते हैं जो काफी आसान होता है। प्ले स्टोर पर ऐसे कई फर्जी एप्स मिल जाएंगे। इन एप्स को ब्रांडेड ई-कॉमर्स वेबसाइट्स या एप्स के फर्जी क्लोन के तौर पर बनाया जाता है। उसके बाद शातिर अपराधी अपनी फर्जी वेबसाइट्स पर लोगों को सामानों पर 60 से 80 फीसदी तक का डिस्काउंट ऑफर करते हैं। आपको जब सस्ती चीजें मिल रही होती हैं तो तुरंत ऑर्डर कर दिया जाता है। बस इसी सस्ते के झांसे में लोग फंस जाते हैं। अपने पसंदीदा सामान को कम कीमत में देखर तुरंत पेमेंट कर देते हैं। लेकिन आपके सामान की डिवरी कभी नहीं आती। जब लोग उस लिंक को चेक करते हैं तो वो लिंक भी आपको डिलीट मिलता है।

ऑर्डर कैंसल करने पर भी हो रही है ठगी

इसके अलावा सोशल मीडिया पर शॉपिंग लिंक देकर भी लोगों के साथ ठगी की जा रही है। इसमें पहले ऑर्डर कम दाम में बुक किया जाता है। इसके बाद उसे ठग कैंसल कर देते हैं। फिर रिफंड के नाम पर ठगी की जाती है। लोगों से 1 हजार रुपये में पैंट-शर्ट ऑर्डर किया जाता है। बाद में कोरोना काल में डिलिवरी बॉय नहीं होने की बात कहकर आर्डर कैंसल कर दिया जाता है। इसके बाद रिफंड देने के नाम पर ठगबाज लोग 1 लाख ठग तक ठग लिया जाता है।

एक सप्ताह में किए ऑर्डर की जानकारी ठगों को

हाल ही में ठगी का ऐसा मामले सामने आया हैं। जिसमें किसी न किसी नामी वेबसाइट से शॉपिंग करने के एक सप्ताह के अंदर ही खरीदार के पास ठगों की कॉल आ गए। कॉल करने वाले के पास ऑर्डर की पूरी जानकारी होती है। विश्वास जीतने के लिए वह पुराने ऑर्डर की भी जानकारी देते हैं। यही नहीं ये लोग संबंधित कंपनी के नाम से अपना फर्जी आईकार्ड बना लेते हैं। साइबर सेल अधिकारी ने बताया कि इस प्रकार का डेटा इक_ा करना ठगों के लिए बड़ा कार्य नहीं है। दिल्ली समेत कई आईटी हब वाली जगहों पर ऐसे हैकर हैं जो लोगों के इस तरह के डेटा को चुराते हैं। इसके अलावा कई बार कंपनी के कर्मचारी भी डेटा को बेचने का कार्य करते हैं।

झांसे में लेने के लिए लकी ड्रॉ को बनाया हथियार

रायपुर में ठग ऑनलाइन खरीदारी करने वालों को कंपनी की तरफ से लकी ड्रॉ का झांसा देकर चूना लगा रहे हैं। जालसाज लोगों को 10 लाख रुपये से अधिक का लालच देते हैं। इसके बदले में वे 1 लाख रुपये तक पीडि़तों से ऐंठ लेते हैं। घर बैठे ऑनलाइन शॉपिंग ने बेशक लोगों को काफी सुविधा दी है। लेकिन जालसाज इसका फायदा उठाकर खरीदारों को चपत भी लगा रहे हैं। पिछले कुछ दिनों में ठगी का एक नया ट्रेंड सामने आया है। इसमें ठग ऑनलाइन खरीदारी करने वालों को कंपनी की तरफ से लकी ड्रॉ का झांसा देकर चूना लगा रहे हैं। जालसाज लोगों को 10 लाख रुपये से अधिक का लालच देते हैं। इसके बदले में वे 1 लाख रुपये तक पीडि़तों से ऐंठ लेते हैं। वहीं ऐसे मामलों में अभी तक पुलिस को कोई कामयाबी नहीं मिली है। 

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