किसान दिवस के रूप में मनाया गया भगवान बलराम जयंती

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Update: 2024-09-11 18:33 GMT
Gariaband. गरियाबंद। मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के मंशानुसार सोमवार 09 सितम्बर को जिले में कृषि के शिल्पकार भगवान बलराम जयंती को किसान दिवस के रूप में मनाया गया। इस अवसर पर कृषि विज्ञान केंद्र गरियाबंद में प्राकृतिक एवं गौ आधारित कृषि पर कार्यशाला का आयोजन किया गया। इस दौरान ज़िले में प्राकृतिक खेती तथा गौ आधारित खेती के लिए किसानों को प्रोत्साहित किया गया। कार्यक्रम की शुरुआत संस्था प्रमुख डॉ मनीष चौरसिया द्वारा कार्यक्रम की विस्तृत रूपरेखा की जानकारी प्रदान कर की गई। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि अध्यक्ष भारतीय किसान संघ फलेंद्र साहू, ज़िला मंत्री गंगाराम सिन्हा, उपाध्यक्ष गरियाबंद तहसील ललित राम निषाद, विशिष्ट अतिथि पारस ठाकुर, पूर्व उपाध्यक्ष ज़िला पंचायत गरियाबंद, उपसंचालक कृषि चंदन राय सहित वरिष्ठ कृषि वैज्ञानिक मौजूद रहे। भारतीय किसान संघ के अध्यक्ष साहू के द्वारा किसानों को प्राकृतिक खेती की ओर आगे बढ़ने
आह्वान किया गया।

केवीके के द्वारा प्राकृतिक खेती पर दिये जाने वाले प्रशिक्षणों में शामिल हो कर लाभ लेने की सलाह दी गई। ठाकुर के द्वारा किसानों को जैविक खेती कर अपनी खेती में लागत को कम करने का सुझाव दिया गया एवं केवीके के द्वारा किसानों के लिए किए जाने वाले कार्यों की सराहना की गई। कृषि विभाग के प्रमुख रॉय ने किसानों को जैव आधारित खेती पर ज़ोर दिया जिसमे सूक्ष्म पोषक तत्वों के महत्व के बारे में जानकारी दिये साथ ही खेतो में हरी खाद सनई, ढेंचा का उपयोग करने की भी सलाह दी गई। केविकी के वैज्ञानिक डॉ शालू अब्राहम द्वारा कृषकों को प्राकृतिक खेती पर प्रशिक्षण एवं विस्तृत जानकारी वीडियो के माध्यम से दी गई। साथ ही कृषि महाविद्यालय एवं अनुसंधान केंद्र, ज़िला गरियाबंद के सहायक प्राध्यापक डॉ. लेखराम वर्मा के द्वारा भी प्राकृतिक खेती पर संछिप्त व्याख्यान दिया गया। इस कार्यक्रम में मौजूद सभी अधिकारी, कर्मचारी एवं कृषक गण लाइव वेबकास्टिंग के माध्यम से इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय, रायपुर के परिसर में आयोजित कार्यक्रम में जुड़े हुए थे। जिसमें मुख्य अतिथि मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय, कृषि मंत्री रामविचार नेताम, सांसद लोकसभा क्षेत्र, रायपुर बृजमोहन अग्रवाल एवं कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. गिरीश चंदेल सहित अधिष्ठाता, वैज्ञानिक, विभिन्न ज़िले के कृषकगण मौजूद रहे।
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