कांग्रेसियों ने सत्ता के साथ पार्टी फंड का भी बिना अप्रूवल निजी फायदे के लिए किया बंदरबांट
पांच साल कांग्रेसियों ने सरकार के साथ संगठन को बपौती की तरह लूटा
डायन भी एक घर छोड़ देती है, मगर कांगे्रसियों ने कांग्रेस के खजाने को ही लूटा
विनोद वर्मा व उसके बेटे ने भूपेश को ब्लेक मेल करके चुनावी फंड के लिए पैसे का जमकर दोहन किया, पीसीसी के खाते के बैंक स्टेेटमेंट के अनुसार
पिछले दो साल से आखिर कहां गया कांग्रेस के कोषाध्यक्ष रामगोपाल का मुनीम देवेंद्र डडसेना
डायरी में कई राज, रामगोपाल की गिरफ्तारी से होगा राजफाश
प्रदेश कांग्रेस कमेटी के कोषाध्यक्ष रामगोपाल अग्रवाल सरकार बदलने से पहलेे से फरार है। ईडी की कार्रवाई से बचते-बचाते 6 माह से ऊपर हो गया। शहर में चर्चा है ककि ईडी और रामगोपाल में आंख-मिचौली का खेल चल रहा है। ईडी वाले रामगोपाल अग्रवाल को गिरफ्तार करने की बहुत कोशिश कर रहे है पर रामगोपाल अग्रवाल को ढूंढ नहीं पा रहे है। मात्र रामगोपाल के घर जाकर नोटिस चस्पा कर आ रहे है या उनके पुत्र से सिर्फ पूछताछ कर छोड़ दे रहे है। ये कार्रवाई तो ईडी जैसी सशक्त संस्था की नहीं हो सकती? बड़े लेवल पर सेटिंग की चर्चा: इसके पीछे कई सवाल सामने आ रहे है या कोई खबर उड़ा रहे है कि बड़े लेवल पर सेटिंग हो गई ऐसी चर्चा से भी गुरेज नहीं कर रहे है। जब-जब ईडी वाले महादेव ऐप और कोयला दलाली के आरोपियों को ईडी कोर्ट में लाते है तब-तब रामगोपाल का विषय राजनीतिक गलियारों में खूब चलता है । वरना अपराधियों को पकडऩे के लिए सरकारी एजेंसी या पुलिस को 24 घंटे पर्याप्त होते हैं परिवार को बैठा दिया जाता है संपत्ति कुर्की कर ली जाती है और दबाव बनाकर आरोपी अपराधी को तत्काल आत्मसमर्पण कराया जाता हैं या गिरफ्तार किया जाता है ।
लेकिन वर्तमान परिस्थितियों और 6 महीने का वक्त गुजर जाने के उपरांत अभी तक किसी भी प्रकार की उचित कानूनी कार्रवाई ईडी के अधिकारी रामगोपाल अग्रवाल के खिलाफ होते दिख नहीं रही है, यह तमाम कानूनी और राजनीतिक टिप्पणीकारों को हजम नहीं हो रहा है। रामगोपाल की गिरफ्तारी राजनीतिक गलियारे में आश्चर्य का विषय बना हुआ है, होगा या नहीं होगा ? रामगोपाल अग्रवाल की गिरफ्तार के बाद ही संपूर्ण घोटाले और डायरी का सच सामने आएगा । एक जानकार वरिष्ठ कांग्रेस नेता ने नाम नहीं छापने की शर्तों में बताया कि प्रदेश कांग्रेस कमेटी की स्थिति खराब होने के पीछे भी पूर्व कोषाध्यक्ष रामगोपाल अग्रवाल ही दोषी है जिन्होंने पैसे को अपने अधीन रखा और जाते-जाते खाते को सफा चट कर गए। रामगोपाल अग्रवाल और देवेंद्र डडसेना की तलाश जमीं और आसमां तक : छत्तीसगढ़ में इन दिनों ईडी की रेड ने सियासत को सर्द मौसम में गर्म किया हुआ है। देखा जा रहा है कि जिन नेताओं के यहां ईडी की रेड पड़ी है या जिन नेताओं का नाम ईडी के रेड में शामिल है उनमें से कई बड़े चेहरे लगभग गायब हो गए हैं। उनमें प्रदेश कांग्रेस के कोषाध्यक्ष रहे रामगोपाल अग्रवाल का नाम प्रमुखता से लिया जा रहा है। जो फिलहाल कांग्रेस भवन में दिखाई नहीं दे रहे हैं। महत्वपूर्ण की बात ये है कि कांग्रेस भवन में एकाउंट सम्हाल रहे एकाउंटेंट देवेंद्र डडसेना भी गायब है। लोग तो यह भी कयास लगा रहे हैं कि उसका मर्डर भी हो गया है। वही कुछ लोग कुछ लोग तो दबी जुबान से यह भी बोल रहे हैं कि या तो उसे विदेश भेज दिया गया है या किडनैप भी कर लिया गया है। क्योंकि ईडी के नजर में वह महत्वपूर्ण कड़ी साबित हो सकती है। करोड़ों के लेनदेन करने वाले कांग्रेस के खाते में जीरो बैलेंस: सूत्र यह भी बता रहे हैं कि दो माह पहले तक कांग्रेस के खाते में करोड़ों रूपये होते थे लेकिन आज की स्थिति में जीरो बैलेंस है। कांग्रेस के कुछ नेता यह भी बोल रहे हैं कि पिछले दो माह से शंकर नगर स्थित प्रदेश कांग्रेस का मुख्यालय राजीव भवन की बिजली बिल भी नहीं पटा है। देखा जा रहा है कि छत्तीसगढ़ में अक्टूबर 2022 से लगातार ईडी की कार्रवाई चल रही है। कभी अधिकारियों को पकड़ा जा रहा है तो कभी कांग्रेस के नेताओं को। ईडी के दावे के अनुसार पहले 500 करोड़ रुपये के कोयला घोटाला हुआ फिर 2 हजार करोड़ का शराब घोटाला किया गया।
गौरतलब है कि इन दोनों मामलों पर एक दर्जन से अधिक लोगों को गिरफ्तार किया गया है। कई जेल में हैं तो कई जमानत पर हैं। चूँकि आगामी कुछ माह में लोकसभा का चुनाव होना है, ऐसे में सियासत गरमाई हुई है। दोनों पार्टी के बीच आरोप प्रत्यारोप का दौर चल रहा है। रायपुर। कांग्रेस को 2018 में सत्ता क्या मिली कांग्रेसियों के तकदीर ही बदल गई। कांग्रेसियों ने निजी हित के लिए सरकार और पार्टी दोनो को जमकर लूटा। जहां भी जितना भी मिला सारे अंदर कर लिए। न सत्ता में कोई हिसाब-किताब रहा और न संगठन में कोई हिसाब-किताब रहा। कांग्रेसियों ने सत्ता और संगठन को अपनी निजी जागीर बपौती की तरह उपयोग किया। जिसका परिणाम यह हुआ कि जनता तो कुछ नहीं कर पाई, लेकिन जिन कांग्रेसियों को सत्ता का सुख नहीं मिला या सत्ता और संगठन के खजाने के लाभ से वंचित रहे, उन्होंने अपनी खुन्नस निकालने के लिए इन छुटभैया नेताओं ने भाजपा के साथ मिलकर कांग्रेस को हरा कर सत्ता के बाहर कर दिया। कांग्रेसी भी भाजपा के स्लोगन हमने ही बनाया है, हम ही संवारेंगे को उलट कर कांग्रेस को हमने ही जिंदा किया है, हम ही मारेंगे को चरितार्थ कर रहे है। सत्ता से बाहर होते के पहले ही जो मोटा माल दबाए थे, भूमिगत हो गए। इसमें कांग्रेस स्वयंभू कोषाध्यक्ष रामगोपाल अग्रवाल और उसके निजी मुनिम देवेंद्र पटेल विधानसभा चुनाव से 6 माह पहले ही कांग्रेस के पिक्चर सेे गायब हो गए। तत्कालीन सीएम भूपेेश बघेल के निष्ठावान पर विश्वासियों विनोज वर्मा और रामगोपाल अग्रवाल ने ही भूपेश के नाम पर सत्ता और संगठन के करोड़ों रुपए अपने कंपनियों बिना किसी की जानकारी और सहमति के जमा कराए। भूपेश को लग रहा था कि जो पैसा विनोद वर्मा और रामगोपाल अग्रवाल ने अपने कंपनियों में अरबों रुपए डलवाए उसे चुनाव में खर्च करेंगे लेकिन ऐसा नहीं हुआ। दोनों ने बड़ी होशियारी से चुनाव के समय अपने को दूर कर लिया। रामगोपाल अग्रवाल कतो चुनाव से 6 महीने पहले ही अपने मुनिम के साथ लापता हो गए वहीं विनोद वर्मा जाते-जाते कुछ और लूटने के फिराक सारे कानून कायदे को ताक में रखकर सरकारी और संगठन को फंड को अपने बेटे के कंपनी में ट्रांसफर करवा दिए। चुनाव में अरबों में से एक कौड़ी भी खर्च नहीं करने का परिणाम यह हुआ कि कांग्रेस 75 पार के नारे के हिसाब से सत्ता से 75 साल दूर हो गई और 75 के आधे तक भी नहीं पहुंच पाई 35 में सिमट गई। ये दो अभी दो लोगों के कच्चे रिकार्ड हैै, जो लोग सत्ता और संगटन के करीब थे ऐसे कांग्रेसियों की संगठन ही हिसाब निकालने में जुटी हुई है। जो -जो अपने को भूपेश के खास कहते थे, दरअसल वो किसी के खास न होकर पैसों के खास थे, जहां से मिले जितना मिले लूटने के लिए सत्ता और संगठन का खजाना अपने नाम से खुलवा लिया था। कांग्रेसियों का तो यहां तक कहना है कि भूपेश तो बिना खाए पिए गिलास फोड़कर बदनाम बादशाह की सूची में पहले नंबर पर खड़े हो गए है। छत्तीसगढिय़ा सबले बढिय़ा जैसे स्लोगन को कांग्रसियों अपने काले कारनामे से कालिख पोत दिया है। सत्ता का दुरूपयोग का सारी हदे पार करने की कोई भी कसर नहीं छोड़ी है? कांग्रेस का दरी और झंडा उठाने वाला भी अपने आप को सीएम कहता था, जो कांग्रेस शासन से पहले साइकिल पर चलते थे, कांग्रेस शासन में बीएमडब्ल्यू में घूमने लगे थे। इससे साफ पता चलता है कि सत्ता की भूखी कांग्रेस भाजपा के 15 सालों के बराबर कमाई की खाना पूर्ति करती रही । 2003 से 2018 तक सत्ता से 15 साल बाहर रही कांग्रेस और कांग्रेसियों की तथाकथित मंडली की भूख 2023 में सत्ता जाने के बाद सामने आ रही है। पांच साल तक सत्ता का दुरूपयोग की सारी सामाएं लांघ दी गई । वनमैन आर्मी चलता रहा। हर नेता अपने आप को सीएम से नीचे मानता ही नहीं था। राजनीतिक अजगरों ने पांच साल तक अपने हितों के लिए कांग्रेस पार्टी के आचार संहिता को तोड़ मरोड़ कर अपनों को इतना ओव्हरडोज खिला दिया कि ईडी, आईटी जैसे डाक्टरों को इलाज के लिए आना पड़ा। अब भागते फिर रहे है। भाजपा का ताजा और नया स्लोगन हमने बनाया हम ही संवारेंगे की तरह कांग्रेसियों ने पांच साल तक एक स्लोगन बोलते रहे है हमने जिंदा किया हम ही मारेंगे। और सचमुच में कांग्रेस को अपनी हेकड़ी चलाने की होड़ में मार डाला आज कांगे्रस इसी की खामियाजा भुगत रही है। सत्ता को लूटने के लिए पूरी बनाई जिसने इतना लूटा की 75 के पार का नारा भी शरमा गया। जिन विधायकों के टिकट काटे वो चीख -चीख कर गुहार लगाते रहे कि हमें टिकट देने चार करोड़ मांग रहे है सबसे शिकायत की लेकिन किसी ने भी तवज्जो नहीं दी। जिसका परिणाम यह रहा कि गोगपा जीत गई पर कांग्रेस नहीं जात पाई। छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के राजनीतिक सलाहकार विनोद वर्मा के नाम से बेटे के कंपनी में लगभग 5 करोड़ 90 लाख रुपए बिना प्रदेश अध्यक्ष के अप्रूवल के दे दिए जाने की खबर आ रही है। एक नेता ने जनता से रिश्ता को दस्तावेज सबूत के रूप में भेजा है । जिसमें साफ तौर पर दिख रहा है कि राम गोपाल अग्रवाल कोषाध्यक्ष प्रदेश कांग्रेस कमेटी के द्वारा भूपेश बघेल के राजनीतिक सलाहकार रहे विनोद वर्मा के बेटे की कंपनी को लगभग 6 करोड़ रूपये का भुगतान बिना किसी अप्रूवल के कर दिया गया है। जबकि कोषाध्यक्ष को किसी को भी बिना प्रदेश अध्यक्ष और महामंत्री की जानकारी के या अप्रूव्ड नोटशिट के भुगतान करने का अधिकार नहीं है। छत्तीसगढ़ प्रदेश कांग्रेस कमेटी के बायोलॉजी के अनुसार प्रदेश महामंत्री के नोट सीट पर प्रदेश अध्यक्ष के अप्रूवल के बाद कोषाध्यक्ष को धनराशि आहरण एवं भुगतान का अधिकार होता है परंतु छत्तीसगढ़ प्रदेश कांग्रेस कमेटी में अपने ही घर में चोरी करने का मामला उजागर हुआ है इस कंपनी में स्वाति देवांगन और विनोद वर्मा के पुत्र डायरेक्टर है साथ ही साथ यह कंपनी नोएडा में है जिसका इस कार्य आदेश से पहले 2016 में गठित होने के बाद से मात्र 10 लाख की स्वयं की वैल्यू थी इस समझौता पत्र में गवाह के रूप में भी गिरीश देवांगन और सुनील अग्रवाल उर्फ सनी है यह साबित करता है कि पूरी तरीके से प्रदेश कांग्रेस कमेटी के कोष को लूटने का काम किया है ऐसे लोगों पर शख्स से सख्त कार्रवाई किया जाना चाहिए साथ ही कोषाध्यक्ष रामगोपाल अग्रवाल को तुरंत पद से हटना चाहिए वह इस धांधली में संलिप्त लोगों को कभी कांग्रेस पार्टी के किसी पद में या सदस्यता में नहीं रखना चाहिए ऐसे लुटेरों के ऊपर कांग्रेस जन की भावना के अनुरूप करवाई किया जाना चाहिए। संगठन को कमजोर करने की साजिश इस तरह की अन्य कुछ गतिविधियों एवं पिछले चार सालों में संगठन को कमजोर करने की साजिश में शामिल और उनको संरक्षण देने वाले के खिलाफ की भी पूरी जानकारी के साथ राहुल जी को 11 तारीख को रायगढ़ में सबूतों के साथ शिकायत की तैयारी में पार्टी के कुछ पदाधिकारी जुट गए हैं। इस सम्बन्ध में विभिन्न राजनीतिक पार्टी के नेताओं का कहना है कि डायन भी एक घर छोड़ कर चलती है लेकिन ये तो उससे भी एक हाथ आगे निकले जो सरकार को तो चूना लगाए ही अपनी पार्टी को भी नहीं छोड़े। मोदी की बात सच हो गई विनोद वर्मा के बेटे की कंपनी का सालाना टर्न ओवर मात्र दस लाख था जबकि उसको करोड़ों का काम किस बिना पर दिया गया यह लोग समझ नहीं पा रहे हैं।
विपक्ष के लोग चटखारे भी ले रहे हैं और कह रहे हैं कि बाप ने सरकार को लूटा और बेटे ने पार्टी को। लोग तो यह भी बोल रहे हैं की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की बात भी सौ फीसद सही साबित हो रही है। मोदी ने पिछले दिनों कहा था कि एक दिन कांग्रेस दर्शक दीर्घा में बैठे लायक रहेगी। ऐसे कांग्रेसी रहे तो वो दिन दूर नहीं है की कांग्रेस दर्शक दीर्घा में ही बैठने लायक रहेगी। तीन की तिकड़ी ने सरकार को डुबोया और पार्टी को भी कांग्रेस के नेताओ ने दिल्ली में कांग्रेस हाई कमान को खुला शिकायत किये थे की विधायकों को हराने में खुद भूपेश बघेल तिकड़म करते रहे और अब पार्टी को लूट खसोट करने में उनके तिकड़ी ने कोई कोर कसार बाकि नहीं रखा। रामगोपाल अग्रवाल,गिरीश देवांगन और सन्नी अग्रवाल की तिकड़ी ने पार्टी फंड का जमकर दोहन किया है। खुद रामगोपाल अग्रवाल पर अरबों रूपये के गबन का आरोप है जो फिलहाल फरार चल रहा है। क्या यही था भूपेश बघेल का छत्तीसगढिय़ा मॉडल भूपेश बघेल के सोशल मीडिया को हैंडल करने के लिए विनोद वर्मा के बेटे की कंपनी को दस लाख रूपये महीने भुगतान किया जा रहा था। भूपेश बघेल का यह छत्तीसगढिय़ा मॉडल का असली रूप था। प्रदेश कांग्रेस कमेटी को चारागाह समझकर जमकर दोहन किया गया। मजे की बात है की इन सबकी जानकारी प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष को नहीं थी सिर्फ रामगोपाल अग्रवाल, गिरीश देवांगन और सन्नी अग्रवाल ही इसका निर्णय लेते थे और भुगतान भी कर देते थे. यह घोर अनुशानहीनता ही श्रेणी में आता है। कुछ कांग्रेसियों ने कहा की इन तीनों को तत्काल कांग्रेस से बाहर कर इन पर आपराधिक मामला दर्ज कर जेल भेजे जाना चाहिए।