व्यापार पर ताला: हताश कारोबारियों में चेंबर की भूमिका से निराशा

कारोबार ठप्प, शासन-प्रशासन नेे व्यवसाय शुरू करने की मांग अनसुनी की, तीसरे लॉकडाउन में भी नहीं मिली राहत

Update: 2021-05-06 06:55 GMT

जसेरि रिपोर्टर

रायपुर। रायपुर में लॉकडाउन एक बार फिर 12 दिनों के लिए बढ़ गया है जिससे कारोबारियों की चिंता भी बढ़ गई है। पिछले 9 अपै्रल से लगातार कारोबार बंद रहने से इनके सामने कई तरह की परेशानी खड़ी हो गई है। व्यापार बंद और कमाई नहीं होने से व्यापारियों को आर्थिक तंगी सहित कई परेशानियों से जुझना पड़ रहा है। बैंक लोन से लेकर व्यापारी अपना इनकम टैक्स भी जमा करने में परेशानी महसूस कर रहे है। व्यापारियों का कहना है कि सरकार ने लॉकडाउन में कारोबारियों के हितों का ध्यान नहीं रखा, वही व्यापारिक संगठन के कर्ता-धर्ता भी सिर्फ औपचारिकता पूरी कर अपने कर्तव्यों की इतिश्री कर ली। उन्होंने कारोबार शुरू कराने शासन प्रशासन को सहमत करने गंभीर प्रयास नहीं किए।
कुछ तो राहत मिलनी थी: वीरेंद्र वालिया
चेंबर ऑफ़ कॉमर्स के वरिष्ठ व्यापारी ने कहा कि लॉकडाउन की वजह से आर्थिक व्यस्था सभी की डामाडोल चल रही है। इस लॉकडाउन में व्यापारियों को कुछ राहत मिलनी चाहिए थी। जिससे व्यापार भी चलता और लोगों को दैनिक आवश्यकता के अनुसार सामान भी मिल पाएंगे। वीरेंद्र वालिया ने बताया कि व्यापारी बिना लोन लिए अपने काम शुरू भी नहीं कर पाता है जिसका ब्याज बैंक व्यापारी से वसूलता है ये भी एक बहुत बड़ी समस्या व्यापारियों के लिए बना हुआ है। व्यापारी अपने कर्मचारियों के लिए भी बहुत परेशान हो गए है। कोरोना महामारी ने अच्छे-अच्छे व्यापारियों को परेशान कर रखा है। व्यापारी ने कहा कि वर्तमान अध्यक्ष द्वारा व्यापारियों के हित में आवेदन पत्र दिया गया और लॉकडाउन में भी कारोबार करने की अनुमति मांगी। लेकिन सिर्फ अनुमति मांगने से सब कुछ मिल जाये ये भी तो संभव नहीं है। अध्यक्ष व्यापारियों की हित को ध्यान में रखकर ही कुछ कर रहे है लेकिन व्यापारियों को इससे ज्यादा की उम्मीद थी।
व्यापरियों का भी सोचें: अमरदास खट्टर
अमरदास खट्टर ने बताया कि कोरोना महामारी से बचने के लिए राज्य सरकार ने जो लॉकडाउन लगाया है वो सराहनीय काम है, लेकिन इस लॉकडाउन से व्यापारियों को कारोबार में अच्छा-ख़ासा नुकसान हो रहा है जिसकी वजह से आर्थिक तंगी का भी सामना करना पड़ रहा है। इस लॉकडाउन सरकार व्यापारियों को कुछ आंशिक राहत देती तो व्यापारी भी अपना कारोबार चला पाते। लेकिन ऐसा किसी भी लॉकडाउन में देखने को नहीं मिला। एक तरफा लॉकडाउन लगा देने की वजह से व्यापारिक संघ भी बहुत परेशान हो गया है। और हर तरफ से व्यापारियों को नुकसान झेलना पड़ रहा है। इसी बीच छत्तीसगढ़ चेंबर ऑफ कॉमर्स के नए अध्यक्ष अमर पारवानी ने व्यापारियों के हित को देखते हुए मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के समक्ष एक पत्र दिया था जिसमें व्यापारियों को भी लॉकडाउन में कारोबार करने की अनुमति मांगी थी लेकिन इसका फैसला नहीं दिया गया। एक तरह से व्यापारी सरकार को इनकम टैक्स और जीएसटी पटाती है जो कि सीधे सरकार के खाते में आम जनता के लिए जाता है। तो सरकार को इस पर ध्यान देकर आंशिक राहत देनी चाहिए।
व्यापार बंद होने से ट्रांसपोर्टिंंग ठप्प: गुरजीत सिंह संधू
व्यापार चलेगा तो व्यापारी जि़ंदा रहेगा। एक व्यापारी के साथ 15 परिवार के भरण-पोषण की जिमेदारी रहती है। ट्रांसपोर्टिग के कोरबार में हमाल, ड्राइवर, ऑफिस स्टाफ, सभी को वेतन देना पड़ता है, लेकिन व्यापारी कमाएगा नहीं, तो देगा कहा से ? सरकार को कुछ हद तक लॉकडाउन में छूट देना चाहिए था। कोई भी व्यापारी अपने स्टाफ को समय पर वेतन नहीं दी पा रहा है। बड़े तबके के व्यापारियों को उतनी तकलीफ नहीं होती लेकिन जो व्यापारी रोज कमाना खाना का काम करते है उनका क्या ? वो व्यापारी तो हर लॉकडाउन में आर्थिक तंगी से जूझ ही रहा है। रोज कमाने रोज खाने वाले के लिए तो कोई व्यवस्था नहीं है। ट्रांसपोर्टिंग में रोजाना गाडी चलती है तो गाड़ी वालों को रोज भत्ता दिया जाता है जिससे उनका रोजाना खर्च निकल जाता है लेकिन कोरबार ही बंद है तो भत्ता कहा से दिया जाये। व्यापारी अगर लोन लेकर अपना कारोबार कर रहा है तो उसे बैंक द्वारा निर्धारित ब्याज की रकम देनी ही पड़ती है। जिसका पूरा बोझ व्यापारी पर आ जाता है। कुछ दिन पहले छत्तीसगढ़ चेंबर ऑफ कॉमर्स के नए अध्यक्ष अमर पारवानी द्वारा आवेदन दिया गया। लेकिन सिर्फ आवेदन देने से अगर मांग पूरी हो जाती है तो हर दूसरा व्यक्ति आवेदन दे सकता है। आवेदन के आगे बढ़कर मुख्यमंत्री, और मंत्रियों से इस विषय में चर्चा करनी चाहिए। ऐसा तो कुछ अमर पारवानी ने नहीं किया है। और जहां तक बात आश्वाशन की है तो वो हर कोई दे सकता है। आश्वाशन दिया ही जा सकता है कभी पूरा नहीं किया जा सकता।
मध्यम और छोटे कारोबारियों के सामने अंधेरा: राधाकृष्ण सुंदरानी
माध्यम वर्गीय परिवार के व्यापारियों का लॉकडाउन में बहुत बूरा हाल है, माध्यम वर्गीय व्यापार करने वाले लोग सबसे ज्यादा आर्थिक तंगी का सामना कर रहे है केंद्र और राज्य सरकार द्वारा माध्यम वर्गीय व्यापारियों को कोई सहायता नहीं दी जाती है। छत्तीसगढ़ का व्यापारी हर तरह से दुखी है उसे कोई सहायता नहीं पहुचाता है। और जहां तक बात करें अमर पारवानी के आवेदन कि तो इस आवेदन में कोई दम नहीं था इस लिए सरकार ने व्यापरियों को राहत नहीं मिली। व्यापारी तो तब खुश होगा जब उनके पक्ष पर कोई फैसला हो लेकिन ऐसा भी तभी होगा जब कोई जिम्मेदार व्यक्ति की हाथों में बागडोर हो। व्यापारियों को दुकान किराया के साथ बैंक लोन, सरकार को जीएसटी और इनकम टैक्स भी देना पड़ता है जिसकी वजह से व्यापारी अपना कारोबार करता है लेकिन इस लॉकडाउन में कोई व्यापारी आर्थिक रूप से मजबूत नहीं रहा। सभी की स्थिति डामाडोल हो गई है। अब तो सवाल ये खड़ा होता है कि आज से लागू होने वाले नियमों का कितना पालन किया जा रहा है ये देखने वाली बातें है।
80त्न व्यापारी आर्थिक तंगी से जूझ रहे: राजेश्वर ठाकुर
अलग-अलग ग्रेड के अलग-अलग व्यापारी होते है और अलग-अलग व्यापारियों कि अलग-अलग परेशानी होती है, जब से लॉकडाउन लगा है व्यापारियों में कोई भी अपने घरों से बाहर नहीं निकला है। अगर कोई दवा व्यापारी को भी दवा चाहिए तो उसे सरकारी अस्पाताल के डॉक्टर से पर्ची बनवाना होता है। तकलीफ तो सभी तरफ से हो रही है लेकिन दवा कारोबारियों को इसका सबसे ज्यादा सामना करना पड़ रहा है। सरकार को लॉकडाउन में भी कारोबार करने के लिए समय निर्धारित कर देना चाहिए था। जिससे व्यापारी अपना कारोबार तो ठीक से कर सकते थे। मगर ऐसा कुछ नहीं हुआ। आज के समय में 80 प्रतिशत व्यापारी आर्थिक तंगी से जूझ रहे है। और व्यापारियों को वेतन देने की भी चिंता बनी रहती है। सिर्फ वेतन ही नहीं बल्कि हर व्यापारी अपना क्रेडिट स्कोर बचाने के लिए बैंक के ब्याज को जमा कराता है अगर एक बार भी उसका पेमेंट बाउंस हुआ तो बैंक उस व्यापारी को डिफाल्टर घोषित कर देता है। और जहा तक बात अमर पारवानी की है वो सभी के हित को सोचकर काम कर रहे है लेकिन शायद उनके काम से किसी का भला हो रहा होगा। ऐसा व्यापारिक संघ को भी लग रहा है।
किराना सामान कोई ठेले में कैसे बेचेगा: अरविंद जैन
आर्थिक स्थिति से तो व्यापारी परेशान है, लेकिन कोरोना काल में जान है तो जहान है वह हिसाब चल रहा है। वर्तमान स्थिति को देखते हुए सरकार ने जो लॉकडाउन लगाया है वो काबिले तारीफ है। मगर इस लॉकडाउन से अच्छे-अच्छे कारोबारियों की कमर ही तोड़ दी है। हालांकि लॉकडाउन में फल, सब्जी, किराना सामानों की छूट मिली है लेकिन वो भी सिर्फ ठेले में तो कोई किराना सामान को ठेले में कैसे बेच सकता है। लेकिन जब तक महामारी है तब तक सब कुछ सहन करना ही पड़ेगा। अब बात करें अमर पारवानी के आवेदन की तो उनके द्वारा दिया गया आवेदन सही है। व्यापारियों का जो प्रतिनिधित्व करता है वो तो व्यापारी की हित में ही बोलेगा। लेकिन अगर वही व्यक्ति एक आम आदमी की हैसियत से देखेगा तो उसकी सोच दूसरी हो जाएगी। लेकिन व्यापारियों के लिए वर्तमान में अपनी जान को मायने देना चाहिए ना कि धंधे को। अगर व्यापारियों को सरकार कारोबार को चालू करने की अनुमति भी देती है तो उसमें भी ग्राहकों की भारी भीड़ देखने को मिलेगी। जिससे कोरोना महामारी का फैलने का भी भय बना रहेगा।
व्यापारी हितों को लेकर व्यापारी नेता गंभीर नहीं: राजेश वासवानी
राजेश वासवानी ने बताया कि चेंबर ऑफ़ कॉमर्स के नए अध्यक्ष अमर पारवानी के पास अनुभव और संगठन की कमी है। कोरोना की असली मार सबसे ज्यादा व्यापारियों को पड़ रही है। व्यापारी वर्ग इन सभी मारों को झेल रहा है। व्यापारियों को तो ऊपर से भी झेल रहा है और नीचे से भी झेल रहा है। अगर सीधे शब्दों में कहा जाए तो कोरोना है ही व्यापारियों के लिए अफसरशाही लोगों को तो वेतन मिल जायेगा जिससे उनका परिवार भी चलेगा। लेकिन व्यापारी वर्ग को अपनी दुकान का किराया पटाना है, इनकम टैक्स और जीएसटी, बिजली बिल, नौकरों को भी वेतन देना पड़ता है। एक व्यापारी अपने पीछे अपने स्टाफ का भी भरण-पोषण करता है। जो कि लॉकडाउन की वजह से नहीं हो पा रहा है। एक व्यापारी को दुकान के साथ-साथ अपने परिवार को भी सुरक्षित रखना है। ऑफिस के कर्मचारियों की तबियत का भी ध्यान रखना है। और सबसे बड़ी बात ये कि दुकान के माल लाने ले जाने में भी कोई तकलीफ होती है तो व्यापारी पर ही गाज गिरती है। अगर होलसेल से महंगे दामों में सामान आ रहे है, तो उसकी मार भी व्यापरियों को ही झेलनी पड़ती है। व्यापारी को बैंक का ब्याज देना ही पड़ता है कोरोना में व्यापारी भले ही घर में बैठा है लेकिन उसका ब्याज चलता ही रहता है। बैंक को लॉकडाउन से कोई मतलब नहीं है। चेंबर ऑफ कॉमर्स के नए अध्यक्ष ने जो पत्र दिया लेकिन उसके पीछे का जो संगठन है वो कमजोर है। आप नए निर्वाचित पदाधिकारी चुने गए है लेकिन इनमें अनुभव की कमी है वर्तमान अध्यक्ष में अनुभव की कमी है। जो चेंबर ऑफ कॉमर्स के अध्यक्ष की ताकत होती है उसकी कमी अमर पारवानी में है। और उनका संगठन भी बहुत कमजोर है।
लॉकडाउन ने व्यापारियों को किया सबसे ज्यादा परेशान
व्यापारियों को लॉकडाउन में बहुत परेशानी का सामना करना पड़ रहा है, लॉकडाउन अब व्यापारियों के लिए एक बोझ सा बन गया है। क्योंकि ये वही लॉकडाउन है जिसकी वजह से व्यापारियों को आर्थिक संकट का सामना करना पड़ा था चाहे वो साल 2020 हो या 2021 लॉकडाउन ने अच्छे से अच्छे व्यापारियों की कमर तोड़कर रख दिया है। व्यापारियों का कहना है कि व्यापारी कभी सरकार से नहीं लेता बल्कि सरकार को इनकम टैक्स, जीएसटी सबका भुगतान करता है। और उसके बाद अपने स्टाफ को वेतन, घर के खर्च इन सभी खर्चों की पूर्ति भी तभी होती है जब व्यापार खुले। लेकिन व्यापार खुल नहीं रहा और व्यापारी आर्थिक रूप से परेशान होते जा रहे है।
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