नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक ने अवैध शराब बिक्री के लिए अलग मंत्रालय चलाने का आरोप लगाया, कहा- रोकने में नाकाम है राज्य सरकार

शराब तस्करों के आगे आबकारी विभाग मौन

Update: 2021-02-11 02:12 GMT

छत्तीसगढ़ विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक ने कहा कि पूरे प्रदेश में अवैध शराब की बिक्री चरम पर है। इसे रोकने में प्रदेश की कांग्रेस सरकार पूरी तरह से नाकाम है। उन्होंने कहा कि अब लगने लगा है, प्रदेश में अवैध शराब की बिक्री का अलग से मंत्रालय ही चल रहा है। जिसके माध्यम से पूरे प्रदेश में अवैध शराब की बिक्री का लक्ष्य निर्धारित है। शराब तस्करों के आगे आगे आबकारी विभाग मौन है।

नेता प्रतिपक्ष आज रायपुर निवास पर बातचीत में कहा, महासमुंद जिले के कोमाखान थाना के अंतर्गत ग्राम नर्रा में अवैध शराब की बिक्री से ग्रामीण नाराज हैं। वे इसके खिलाफ आंदोलन कर रहे हैं। ग्रामीणों की बात सुनने के बजाय पुलिस ने उन्हें बल पूर्वक गिरफ्तार कर लिया है। यह अलोकतांत्रिक घटना है।
भाजपा के वरिष्ठ नेता ने कहा, अवैध शराब के खिलाफ ग्रामीण सत्याग्रह कर रहे हैं तो प्रदेश सरकार असत्यता को आधार बनाकर आंदोलन को कुचलने में लगी है। भाजपा इसकी निंदा करती है। उन्होंने कहा कि पूरे प्रदेश में कमोबेस एक ही स्थिति है। गांव, गली, कूचे में अवैध शराब सहजता से उपलब्ध है। यही सरकार है जो शराबबंदी के नाम पर सत्ता पर आयी है। अब सत्ता में आने के बाद अवैध शराब की बिक्री को प्रोत्साहित कर रही है।
रिहाई नहीं तो प्रदर्शन की चेतावनी
नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक ने कहा, महासमुंद SP को जनहित में काम करना चाहिए। उन्हें बेवजह किसी को परेशान नहीं करना चाहिए। उन्होंने कहा, कोमाखान के नर्रा गांव के लोगों की गिरफ्तारी से स्थानीय ग्रामीणों मेंं आक्रोश है। ग्रामीणों ने ज्ञापन देकर रिहाई नहीं मिलने पर उग्र प्रदर्शन की चेतावनी दी है।
पुलिस, ग्रामीणों को बता रही हमलावर
30 सितंबर को शराब और गांजा तस्करी के आरोपियों को पकड़ने नर्रा गई कोमाखान थाना पुलिस पर ग्रामीणों ने हमला किया था। इसमें कई पुलिसकर्मी घायल हुए थे और तीन सरकारी वाहनों को नुकसान पहुंचा था।
पुलिस ने 5 फरवरी को आरोपियों में से तीन युवकों जितेंद्र बेलदार, संजय पटेल और प्रीतम पटेल को गिरफ्तार किया था। इसके विरोध में सोमवार को ग्रामीणों ने कोमाखान थाने का घेराव किया। पुलिसकर्मियों ने आरोपियों को रिहा करने से मना किया तो पत्थरबाजी हुई। ग्रामीणों को खदेड़ने के लिए पुलिस ने लाठी चार्ज और आंसू गैस के गोलों का इस्तेमाल किया।
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