लता मंगेशकर का छत्तीसगढ़ से विशेष नाता, लौटा दिया था फीस की रकम
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रायपुर: स्वर साम्राज्ञी 'भारत रत्न' लता मंगेशकर का छत्तीसगढ़ से विशेष नाता रहा है। उन्हें एशिया महाद्वीप के एकमात्र खैरागढ़ संगीत विश्वविद्यालय (राजनांदगांव जिला ) के सातवें दीक्षांत समारोह में 9 फरवरी 1980 को 'डी-लिट' की उपाधि प्रदान की गई थी। लता मंगेशकर को यह उपाधि संगीत के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान के लिए दी गई थी। रविवार की सुबह लता मंगेशकर के निधन की खबर आई तो पूरा छत्तीसगढ़ शोक में डूब गया।
वरिष्ठ पत्रकार मुहम्मद जाकिर हुसैन ने बताया कि लता मंगेशकर ने छत्तीसगढ़ी फीचर फिल्म 'भकला' के लिए 'छुट जाही अंगना दुआरी' गीत भी गाया था। इस गीत की रचना मदन शर्मा ने की थी और संगीत कल्याण सेन ने दिया था। यह गाना शादी के बाद बेटी की विदाई पर गाए जाने वाला गीत है। भकला फिल्म का यह गीत मुंबई के स्वरलता स्टूडियो में रिकार्ड हुआ था। यह स्टूडियो उनके निवास प्रभुकुंज में ही है। बताया जाता है कि इस गाने के लिए 2 लाख रुपए की फीस तय हुई थी। गाने की रिकॉर्डिंग पूरी हुई तो लता मंगेशकर ने फीस की तय रकम में से 50 हजार रुपए यह कहकर लौटा दिया था कि छत्तीसगढ़ी में यह मेरा पहला गीत है। इस राशि से यहां से लौटकर सभी को मेरी तरफ से मिठाई खिलाना।
छत्तीसगढ़ में भाजपा शासनकाल के दौरान सन 2007 में उन्होंने पर्यटन विभाग के लिए निर्मित डॉक्यूमेंट्री 'महानदी के किनारे' में थीम सांग भी गाया था। इसके अलावा लता मंगेशकर को छत्तीसगढ़ के स्थापना दिवस पर बतौर राज्य अतिथि बुलाने पूर्व मंत्री बृजमोहन अग्रवाल द्वारा कई बार प्रयास किया गया, लेकिन स्वास्थ्यगत परेशानियों की वजह से लता मंगेशकर छत्तीसगढ़ नहीं आ पाई।
वरिष्ठ पत्रकार मुहम्मद जाकिर हुसैन ने बताया कि लता मंगेशकर ने पहली छत्तीसगढ़ी फिल्म कही देबे संदेश के एक गीत बिहनिया के उगत सुरुज देवता को अपनी आवाज देने वाली थी। फिल्म निर्माता से बातचीत भी हो गई थी। लेकिन आर्थिक दिक्कत की वजह से फिल्म निर्माताओं का यह सपना पूरा नहीं हो पाया।