Khusur Fusur: बड़ों पर करम, छोटों पर सितम ये है नगर निगम, ऐ जान-ए वफा ये जुल्म न कर

Update: 2024-06-14 05:45 GMT

ज़ाकिर घुरसेना/ कैलाश यादव

Khusur Fusur जोरा ट्रेजर आईलैंड के 15 करोड़ टैक्स और पेनाल्टी को घटाकर 2.25 करोड़ करने के मामले ने बड़ा राजनीतिक बवाल खड़ा कर दिया है। महापौर इसे सीधे तौर पर पूर्व निगम कमिश्नर के कार्यकाल में हुुई बड़ी गड़बड़ी करार दे रहे हैं। वहीं नेता प्रतिपक्ष मीनल चौबे इस मामले में सीधे तौर पर महापौर पर आरोप लगा रही हैं कि जब टैक्स घटाया गया तब वे ही महापौर थे और अब भी हैं। फिर कैसे हो गया। जनता में खुसुर-फुसुर है कि इस तरह के पक्षपात करने का हक सत्ता पक्ष को होता है। वहीं अधिकारियों पर भी दोष लगाने का लायसेंस सत्ता में रहने के दौरान मिल जाता है। इसलिए तो छुटभैया नेता बड़े नेता बनने के लिए किसी भी हद को पार करने में कोताही नहीं बरतते हैं। ताली दोनों हाथों से बजती है, अगर महापौर ने किया तो कमिश्नर को अडंगा लगाना था, और कमिश्नर ने किया तो महापौर को अडंगा लगाना था, लगता है यहां भी ऊपर सेे नीचे तक सभी को खुश कर दिए गए हैं। इसी बात पर लता मंगेशकर के गाए गीत के बोल याद आता है-कि गैरों पे करम अपनो पे सितम ऐ जान-ए वफा ये जुल्म न कर ...। chhattisgarh news

ऊपर से नीचे तक यहां भी खुश...

Corruption भ्रष्टाचार के लिए कोई विभाग नहीं बचा है। शिक्षा के क्षेत्र में भ्रष्टाचार सुनने में अटपटा जरूर लगता है, लेकिन उसका भी व्यवसायीकरण हो गया है तो भ्रष्टाचार स्वाभाविक है। गुरुकुल तो रहा नहीं, जो बिना भेदभाव के शिक्षा मिले। लाखों रूपये खर्च करना पड़ रहा है स्कूल वालों को चंदा भी देना पड़ रहा है तो खरचा भी निकलना ही पड़ेगा। पिछले दिनों डमी क्लास के नाम पर करोड़ों के वारे-न्यारे स्कूल वालों ने किया था जिसके लिए नोटिस थमा दी गई थी और कई स्कूलों की मान्यता रद्द भी कर दी गई थी, कुछ दिन बाद उनमें से कुछ स्कूलों की मान्यता बहाल कर दी गई अधिकारी भी खुश और स्कूल वाले भी खुश और तो और छात्र और पालक भी खुश। काम ऐसा ही होना चाहिए ऊपर से लेकर नीचे तक सभी खुश। व्यापम घोटाले के बाद अब नया शिक्षा घोटाला सामने आया है नीट-यूजी मामला। अपने चहेते लोगों को कृपांक देकर आगे बढ़ा दिया था और अपने इस कृत्य को जायज भी ठहराने लगे थे । जनता में खुसुर फुसुर है कि भला हो सुप्रीम कोर्ट का जिसके संज्ञान में आने के बाद सब उनका खेल खराब हो गया।

खुश तो इधर भी हैं...

रेत से तेल हर कोई नहीं निकाल सकता। जिसकी सेटिंग और पहुृंच होगी वही रेत से तेल निकल सकता है । रोजाना समाचार पत्रों में छपता है कि अवैध रेत परिवहन करते ट्रक जब्त तो मशीने जब्त, फिर से ये गाडिय़ां रेत खदान तक कैसे पहुंच जाती है आम जनता के मन में यही सवाल उठता है। मजे की बात जब चप्पे चप्पे पर खनिज विभाग और पुलिस विभाग सहित ग्रामीण भी डटे हुए हैं वहां अवैध खुदाई कैसे हो सकती है। जनता में खुसुर फुसुर है कि यहां भी शिक्षा विभाग की तरह ऊपर से नीचे तक सभी खुश हैं। भगवान एक दरवाजा बंद करता है तो दूसरा दरवाजा खोल देता है। किसी को भी दु:खी नहीं देख सकता वही तो भगवान की माया है।

खुशी कहां नहीं है...

पिछले दिनों बलौदाबाजार में कुछ लोगों द्वारा कलेक्टर और एसपी दफ्तर में तोडफ़ोड़ करते हुए सैकड़ों वाहनों और कार्यालय को आग के हवाले कर दिया था। आनन-फानन में जिले के कलेक्टर और कप्तानों को हटा दिया गया था और अब सस्पेंड भी कर दिया गया। मुख्यमंत्री ने निर्देश दिया की जो दोषी हैं उनको सजा दी जाएगी और जो निर्दोष हैं उनको प्रताडि़त नहीं किया जायेगा। जनता में खुसुर फुसुर है कि अब पता कौन लगाएगा कि दोषी कौन और निर्दोष कौन है। सीसी टीवी फुटेज को देखें तो कई नप जायेंगे और फुटेज के हिसाब से सभी दोषी पाए जायेंगे फिलहाल दो लोग तो दोषी पाए गए और मुख्यालय हाजिर हो गए। बाकी लोग सीसीफुटेज जिसके पास है उसको खुश करने के लिए जुगाड़ लगा रहे है। ताकि बाकी की नेतागिरी बची रहे।

दिल्ली दूर तो है...

पहले बुजुर्गो कहते थे कि दिल्ली दूर है। जिसे आधुनिक टेक्नालाजी और सुविधाओं ने बदल दिया था। यदि दिल्ली में कोई काम है तो सुबह जाकर रात में अपने घर आ सकते हैं लेकिन ये काम बड़े लोगो तक सीमित था। कम बजट वालों के लिए सरकार ने भी सुविधाओं में कमी नहीं की थी, तेज रफ्तार ट्रेने चलकर चलकर दिल्ली को नजदीक कर दिया था। लेकिन अभी हाल में ही जिस प्रकार से विकास के नाम ट्रेने रद्द हो रही है या विलम्ब से चलने लगी है उससे लोग परेशान तो हैं ही और यात्रा का स्वरुप भी बदल रहे हैं यदि जाना जरूरी हुआ अपने साधन का उपयोग करने लगे हैं, जनता में खुसुर फुसुर है कि अब लोग फिर से बोलने लगे हैं दिल्ली तो हमारे जेब में है, लोगों के पास बहुत पैसा आ गया है अब वो सरकार के भरोसे नहीं बैठते है अपना हाथ जगन्नाथ का फैसला लेते है।

मुआवजे की मटकी कब फूटेगी...

मुआवजे का भूत सिर चढ़ कर बोल रहा है शारदा चौक , तात्यापारा सडक़ चौड़ीकरण भी मुआवजे की भेंट चढ़ गया है। उसी तरह कचना रेलवे ओव्हर ब्रिज भी मुआवजे के नाम पर रूक गया है। गौर तलब है कि कचना रेलवे ओव्हर ब्रिज के जद में कई मकान और दुकान आ रहे है जिन्हें मुआवजा ,दिया जाना है। बात यही पर अटक गई है। शारदा चौक तात्यापारा चौक चौड़ीकरण का काम तो अभी शुरू हुआ नहीं है इसलिए जैसेे तैसे जनता रेंग रही है। लेकिन शंकर नगर कचना रेलवे ब्रिज का आधा काम हो चुका है ऐसे में धूल और अब बरसात में कीचड़ से जनता जूृझेगी, आसपास के रहने वाले भी हलाकान होंगे। जनता में खुसुर-फुसुर है कि किसी भी काम के इच्छा शक्ति का होना जरूरी है, ये ऐसा हो गया जैसे आधे अधूरे मन से किया जा रहा है जबकि सरकार से भरपूर पैसा मिल रहा है। 

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