खैरागढ़ से होगा दोनों प्रमुख राजनीतिक पार्टियों का भविष्य तय

Update: 2022-04-02 05:46 GMT

चुनावी घमासान युद्ध में कांग्रेस ने भाजपा को पीछे छोड़ा

कांग्रेस की चुनावी नीति

९ पीठ में छुरा भोंकने वालों की पहचान करना

९ जिले के असंतुष्ट नेताओं को चुनावी समर से दूर रखना

९ आरएसएस समर्थक घुसपैठिए-जोगी कांग्रेस के समर्थक से पार्टी के नेताओं की दूरी बनाए रखना

९ नगर पंचायत और नगरपालिका के चुनाव के समय गद्दार नेताओं के कारण पार्टी को जो सबक मिला है उसके आधार पर कड़ी और मुस्तैदी वाली रणनीति अपना कर चुनाव जीतना

९ जातिगत समीकरण को ध्वस्त करते हुए पार्टी को मजबूती के साथ चुनाव में विजयी दिलाना

भाजपा की चुनावी रणनीति

९ भाजपा के वरिष्ठ नेताओं को अपनी आखिरी और खोई हुई बाजी वापस हासिल करने के लिए सभी प्रकार के चुनावी प्रयोग करने की खुली छूट

९ जातिगत रणनीति के आधार पर चुनाव को अपने ओर करने की पूरी ताकत झोंकेगी

९ उच्चवर्ग और आरएसएस के कर्मठ कार्यकर्ताओं को अंदर ही अंदर घुसकर काम करने की रणनीति पर खुली छूट

९ कांगे्रस पार्टी में अपने मुखबिर तंत्र को पूरी तरीके से उपयोग में लाना होगा

९ भाजपा अपने सभी बड़े नेताओं को चुनाव की परीक्षा में तौलने का मन बनाया इसलिए सभी नेताओं को दिनरात एक कर चुनाव जीतने की रणनीति पर काम करने की नसीहत और कड़ाई से पालन करने के लिए निर्देश जारी करने पड़े

मुख्यमंत्री भूपेश की घोषणा साबित होगी रामबाण

भाजपा के लिए खैरागढ़ करो या मरो की स्थिति वाली

जसेरि रिपोर्टर

रायपुर। खैरागढ़ उपचुनाव में राजनीतिक पार्टियों का घमासान मचा हुआ है। तीनों राजनीतिक दल चुनावीसमर में अस्त्र-शस्त्र लेकर कूद पड़े। सारे राजनीतिक योद्धा अपने तरकसों से तीर पर तीर छोड़ रहे है। आरोप-प्रत्यारोप खुले मंच पर सुनाई दे रहा है। सभी पार्टी मतदाताओं को साधने में जुट गई है। उपचुनाव में जहां भाजपा के वरिष्ठ नेताओं का जमावड़ा है और भारतीय जनता पार्टी की महिला कार्यकर्ताओं की फौज खैरागढ़ विधानसभा चुनाव के प्रत्येक ब्लॉक में उतारी है, वहीं दूसरी ओर कांग्रेस के सभी छोटे बड़े नेता रायपुर से जाकर लगातार अपनी आमद दे रहे। चुनाव अंतिम समय पर किस करवट बैठेगा यह कहना अभी मुश्किल है। लेकिन मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की जिला बनाने वाली घोषणा इस चुनाव के लिए सबसे बड़ा रामबाण साबित होगी। कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ और पुराने नेतागण अपनी पूरी जी-जान और ताकत इस चुनाव में झोंक रहे है। जिले के नेताओं ने संकल्प लिया है कि हम अपनी पार्टी के लिए कमरतोड़ मेहनत करेंगे और पार्टी को इस चुनाव में जिताएंगे, वहीं दूसरी ओर भारतीय जनता पार्टी में कार्यकर्ता, नेता, पार्षद और 5 लोगों के आपस में पैसे की बंदरबांट को लेकर विवाद पहले दिन से ही बहस चालू हो गई है । खैरागढ़ उपचुनाव जाति के आधार पर ना लड़कर खुला खेल फरूर्खाबादी के कहावत चरितार्थ कर रहा है। मेहनत तो सभी पार्टी करते दिख रही है। लेकिन भाजपा के स्टार प्रचारक जिस तरह शुरूआत में खैरागढ़ को जिला बनाने के लेकर ठगने का आरोप कांग्रेस पर लगा रहे थे उसे सीएम भूपेश बघेल ने धोबी पछाड़ लगाकर भाजपा की बोलती बंद कर दी है। भाजपा के बड़े-बड़े महारथी भूूपेश के चक्रव्यूह में फंसकर चारों खाने चित दिखाई दे रहे है। कांग्रेस सीएम भूपेश ने कहा कि कांग्रेस के उपचुनाव जीतने के 24 घंटे के अंदर खैरागढ़, छुईखदान, गंडई को मिलाकर जिला बना दिया जाएगा। साथ ही खैरागढ़ को सर्वोच्च प्राथमिकता दिया जाएगा।

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दाऊ का भाजपा के बाउंसर पर छक्का

खैरागढ़ उपचुनाव में जीत के लिए कोई भी पार्टी कोई कोर कसर नहीं छोड़ रही है। खैरागढ़ को जिला बनाने की सौगात कांग्रेस सरकार के 3 वर्ष पूरे होने के बाद प्रदेश के मुखिया ने की है। वहीं खैरागढ़ उपचुनाव भारतीय जनता पार्टी के लिए एक इज्जत का सवाल बना हुआ है। कांग्रेस पार्टी के लिए इस चुनाव से किसी प्रकार का कोई हानि या नुकसान नहीं है, लेकिन मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के लिए उपचुनाव अतिमहत्वपूर्ण माना जा रहा है इसलिए भूपेश बघेल ने इस चुनाव को गंभीरता से लेते हुए खुद से ही जिम्मेदारी चुनाव जीतने की ठानी है। मुख्यमंत्री भूपेश खैरागढ़ उपचुनाव को बेहद गंभीर ढंग से अपने अनुभव और रणनीति के आधार पर तीन मंत्रियों की लगातार ड्यूटी लगा रखी है ।

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चौथे और पांचवें मंत्री भी ऊपर से लगातार नजर बनाए हुए है। राजनीतिक पंडितों की नजर से देखे चुनाव को मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने जिले बनाने वाली घोषणा तुरूप के इक्के के रूप में इस्तेमाल की है । इसका सीधा फायदा कांग्रेस पार्टी को मिलेगा । भारतीय जनता पार्टी के लिए इस चुनाव को जीतना अतिआवश्यक माना जा रहा है इस चुनाव के उपरांत भारतीय जनता पार्टी के जमीनी स्तर कार्यकर्ताओं को और नेताओं को संजीवनी प्राप्त होगी। ऐसा राजनीतिक पंडितों की राय है। अगर उपचुनाव को भारतीय जनता पार्टी हारती है तो सीधा आरोप पूर्व मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह और भारतीय जनता पार्टी के शीर्ष नेताओं पर लगाने से भाजपा के कार्यकर्ता बाज नहीं आएंगे। भारतीय जनता पार्टी के आलाकमान स्पष्ट रूप से इस चुनाव में डॉ रमन सिंह खैरागढ़ क्षेत्र से जुड़े होने के कारण उन्हें बड़ी जिम्मेदारी दी है, जिसमें भाजपा अब किसी प्रकार की कोताही बर्दाश्त नहीं करने वाली है ऐसी भी नसीहत हाईकमान ने दे रखी है। डा. रमनसिंह पर भाई-भतीजावाद के भी आरोप लगते रहे है

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जिससे वो बचने की कोशिश कर रहे है। क्योंकि पार्टी ने उनके भांजे भाजपा नेता विक्रांत सिंह को टिकट न देकर दो बार चुनाव हार चुके कोमल जंघेल को जातिगत समीकरण को देखते हुए दिया है। डा. रमन को खैरागढ़ जिताने की जिम्मेदारी के साथ सहयोग के लिए 4 बड़े पूर्व मंत्री तथा वरिष्ठ भाजपा नेताओं को खैरागढ़ के उपचुनाव के समर में उतारा है भारतीय जनता पार्टी के लिए खैरागढ़ करो या मरो की स्थिति वाली है। इस चुनाव के जो भी परिणाम आएंगे, उसका आने वाले विधानसभा चुनाव में दोनों प्रमुख पार्टियों में असर दिखाएगा। उसके हिसाब से विधानसभा की चुनावी फाइटर वाली रणनीति बनाकर दोनों प्रमुख पार्टी एक दूसरे को पटकनी देने की सोचेंगे। 

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