CG के कार्यशाला में न्यायधीशों ने दी नए कानूनों की जानकारी

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Update: 2024-06-21 14:53 GMT
Gariaband. गरियाबंद। एक जुलाई से देशभर में लागू होने वाले तीन नये आपराधिक कानूनों के संबंध में जानकारी देने शुक्रवार को जिला पंचायत के सभाकक्ष में एक दिवसीय कार्यशाला आयोजित किया गया। जिसमें अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश यशवंत वासनिकर, अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश श्रीमती तजेश्वरी देवांगन एवं न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी प्रशांत देवांगन ने आईपीसी 1860, सीआरसी 1973 एवं एविडेंस एक्ट 1872 में किये गये संशोधन भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता एवं भारतीय सजा अधिनियम के बारे में जानकारी दी गई।
इस दौरान उन्होंने बताया कि देश में 1 जुलाई से तीन नए आपराधिक कानून लागू हो जाएंगे। केंद्र सरकार की तरफ से इस संबंध में अधिसूचना जारी कर दी गई है। तीन नए कानूनों को संसद के शीत कालीन सत्र में पारित किया गया था। इस अवसर पर कलेक्टर दीपक अग्रवाल, वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक अमित कांबले, अपर कलेक्टर अरविन्द पाण्डेय, अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक जितेन्द्र चन्द्राकर, उप पुलिस अधीक्षक निशा सिन्हा सहित जिला एवं पुलिस प्रशासन के अधिकारीगण, मीडियाकर्मी उपस्थित थे।
कार्यशाला में बताया गया कि केंद्र सरकार द्वारा बनाए गए तीनों क्रिमिनल लॉ एक जुलाई 2024 से अमल में आ जाएगा। लेकिन हिट एंड रन से जुड़े प्रावधान के अमल पर रोक रहेगी। आईपीसी, सीआरपीसी और इंडियन एविडेंस एक्ट की जगह बनाए गए तीनों नए कानून को एक जुलाई 2024 से अमल में लाने के लिए नोटिफाई कर दिया है। केंद्र सरकार द्वारा लाए गए तीनों नए कानून भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य एक्ट को एक जुलाई से लागू किया जाएगा लेकिन नोटिफिकेशन में कहा गया है कि केंद्र सरकार ने भारतीय न्याय संहिता की धारा-106 (2) को फिलहाल होल्ड कर दिया है यानी धारा-106 (2) फिलहाल लागू नहीं होगा।
केंद्र सरकार द्वारा इस मामले में नोटिफिकेशन जारी कर कहा गया है कि तीनों क्रिमिनल लॉ एक जुलाई 2024 से लागू हो जाएंगे। सिर्फ धारा-106 (2) अभी अमल में नई आएगा। पहले जहां चार सौ बीस (420) यानी धोखाधड़ी, दफा 302 यानी हत्या व 376 यानी रेप जैसे अपराध के लिए कानून की किताब में लिखी धाराएं लोगों के जुबान पर चढ़ी हुई थी वह सब अब बदल गई है।
कार्यशाला में बताया कि भारतीय न्याय संहिता में कुल 358 धाराएं हैं और उसमें 20 नए अपराध को परिभाषित किया गया है। जिनमें स्नेचिंग से लेकर मॉब लिंचिंग शामिल किया गया है। साथ ही 33 अपराधों में सजा को बढ़ाया गया है। साथ ही 83 ऐेसी धाराएं या अपराध हैं जिनमें जुर्माने की राशि भी बढ़ा दी गई है। ऐसे 23 अपराध हैं जिनमें न्यूनतम सजा का जिक्र नहीं था जिसें न्यूनतम सजा को शुरू किया गया है। 19 धाराएं ऐसी हैं जिन्हें हटा दिया गया है। साथ ही सजा के तौर पर सामाजिक व समुदायिक सेवा को भी रखा गया है। पहले यह नहीं था। राजद्रोह जैसे अपराध को अब नए कानून में हटा दिया गया।
कार्यशाला में बताया गया कि राजद्रोह को खत्म किया गया है। सरकार के खिलाफ नफरत, अवमानना, असंतोष पर दंडात्मक प्रावधान नहीं होंगे, लेकिन राष्ट्र के खिलाफ कोई भी गतिविधि दंडनीय होगी। सामुदायिक सेवा को सजा के नए स्वरूप के तौर पर पेश किया गया है। आतंकवाद- भारतीय न्याय संहिता में पहली बार आतंकवाद को परिभाषित किया गया है और इसे दंडनीय अपराध बनाया गया है। संगठित अपराध के लिए नई धारा जोड़ी गई है। भारत की संप्रभुता या एकता और अखंडता को खतरा पहुंचाने वाली गतिविधि के लिए नए प्रावधान जोड़े गए हैं। शादी, रोजगार, प्रमोशन, झूठी पहचान आदि के झूठे वादे के आधार पर यौन संबंध बनाना नया अपराध है। गैंगरेप के लिए 20 साल की कैद या आजीवन जेल की सजा होगी। अगर पीड़िता नाबालिग है तो आजीवन जेल/मृत्युदंड का प्रावधान किया गया है।
नस्ल, जाति, समुदाय आदि के आधार पर हत्या से संबंधित अपराध के लिए नए प्रावधान के तहत लिंचिंग के लिए न्यूनतम सात साल की कैद या आजीवन जेल या मृत्युदंड की सजा होगी। स्नैचिंग के मामले में गंभीर चोट लगती है या स्थायी विकलांगता होती है तो ज्यादा कठोर सजा दी जाएगी। बच्चों को अपराध में शामिल करने पर कम से कम 7-10 साल की सजा होगी। हिट-एंड-रन के मामले में मौत होने पर अपराधी घटना का खुलासा करने के लिए पुलिस/मजिस्ट्रेट के सामने पेश नहीं होता है, तो जुर्माने के अलावा 10 साल तक की जेल की सजा हो सकती है। जीरो एफआईआर, ई-एफआईआर का कानून में प्रावधान किया गया है। कोई भी एफआईआर पुलिस स्टेशन की सीमा के बाहर, लेकिन राज्य के भीतर दर्ज हो सकती है। इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से एफआईआर दर्ज की जा सकती है। हर जिले और हर पुलिस स्टेशन में किसी भी गिरफ्तारी की सूचना देने के लिए पुलिस अधिकारियों को नामित किया गया है। अपराध के पीड़ित को 90 दिनों के भीतर जांच की प्रगति के बारे में जानकारी दी जाएगी। यौन हिंसा की पीड़िता का बयान महिला न्यायिक मजिस्ट्रेट द्वारा उसके आवास पर महिला पुलिस अधिकारी की उपस्थिति में दर्ज किया जाएगा। इस दौरान पीड़िता के माता-पिता या अभिभावक मौजूद रह सकते हैं। चोरी, घर में जबरन घुसना जैसे कम गंभीर मामलों के लिए समरी ट्रायल अनिवार्य कर दी गई है। नए प्रावधान के तहत घोषित अपराधियों पर उनकी अनुपस्थिति में मुकदमा चलाया जाएगा। कोर्ट के आदेश के बाद अपराध की आय से संबंधित संपत्ति की जब्ती। फोटोग्राफी/विडियोग्राफी की तारीख से 30 दिनों के भीतर पुलिस स्टेशनों में पड़ी केस संपत्ति का निपटारा। दस्तावेज के तहत इलेक्ट्रॉनिक और डिजिटल रिकॉर्ड, ईमेल, सर्वर लॉग, कंप्यूटर में फाइलें, स्मार्टफोन/लैपटॉप संदेश; वेबसाइट, लोकेशन डाटा; डिजिटल उपकरणों पर मेल संदेश शामिल हैं। एफआईआर, केस डायरी, चार्ज शीट और फैसले का डिजिटलीकरण जरूरी। साथ ही समन और वॉरंट जारी करना और तामील करना। शिकायतकर्ता और गवाहों की जांच, साक्ष्य की रिकॉर्डिंग, मुकदमेबाजी और सभी अपीलीय कार्यवाही। पुलिस की ओर से किसी भी संपत्ति की तलाशी और जब्ती अभियान की वीडियो रिकॉर्डिंग। रिकॉर्डिंग बिना किसी देरी के संबंधित मजिस्ट्रेट को भेजी जाएगी।
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