तनाव कम करने के लिए जरूरी है सहयोगियों से चर्चा

Update: 2022-11-25 12:01 GMT

जगदलपुर। जिले में मानसिक स्वास्थ्य इकाई के द्वारा कार्यस्थल पर तनाव प्रबंधन एवं मानसिक दुष्प्रभाव के बारे में लोगों को जागरूक करने को विभिन्न शिविरों जैसे- हाट बाजार क्लीनिक, स्कूल, शासकीय विभाग आदि स्थानों पर जानकारी दी जाती रही है। इसी कड़ी में जिला मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम की टीम द्वारा, ग्राम कॉलेंग में स्थित सीआरपीएफ की 80वीं बटालियन कैम्प में 'कार्यस्थल पर तनाव प्रबंधन' के विषय पर एक दिवसीय कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस दौरान जवानों को कार्यस्थल पर उत्पन्न होने वाले तनाव और उसके उचित प्रबंधन सहित नशे से होने वाले शारीरिक और मानसिक दुष्प्रभाव के बारे में जानकारी दी गई।

इस सम्बंध में जानकारी देते हुए डीएमएचपी टीम की डॉ.रुख़सार खान ने बताया: "जिले में स्पर्श क्लिनिक के माध्यम से कार्यस्थल पर तनाव का प्रबंधन एवं मानसिक अस्वस्थता के दुष्परिणाम के बारे में लोगों को जागरूक किया जा रहा है। तनाव के बढ़ने से अवसाद की स्थिति निर्मित होती है। जब भी अवसाद अपनी चरम सीमा पर होता है तब व्यक्ति स्वंय को अकेला करने लग जाता है, उसे अपना जीवन अंधकारमय लगने लगता है, उम्मीद की कोई भी किरण नजर नहीं आती। कई बार मन में नकारात्मक विचारों के कारण गलत कृत्य करने की भावना भी जागृत हो जाती है इसलिए हमें समय रहते अपनी तनाव का प्रबंधन करना बहुत जरूरी हैं।''

उन्होंने आगे कहा: "कार्यस्थल पर तनाव प्रबंधन कर्मियों के लिए फायदेमंद होते हैं। तनाव प्रबंधन के तरीके को समझना सभी की जरूरत है। जीवन में जब समस्या आने लगती है तो उसका निराकरण भी लाती है। इसी प्रकार तनाव कम करने के लिए हमें उस तनाव को समझना होगा, अगर हम तनाव को आपसी चर्चा करके समझते हैं तो उसे हल करने के कई तरीके मिल जाते हैं। जो तरीका सबसे बेहतर होता है, उस तरीके को अपनाकर अपने तनाव व समस्या को समाप्त किया जा सकता हैं, इसे कम करने के लिए अपने सहयोगियों के साथ चर्चा जरूर करनी चाहिए।''

कम्युनिटी साइकोलॉजिस्ट रुपेश मसीह ने उपस्थित जवानों को विभिन्न गतिविधियों (द नम्बर गेम, ब्लो द बेलून, हैंडलिंग बॉटल) के माध्यम से तनाव,तनाव के कारण, तनाव का शरीर और मन पर प्रभाव के बारे में जानकारी दी। उन्होंने बताया: " 'नंबर गेम' तनाव की स्थिति को समझने के लिए होता है। 'हेंडलिंग बॉटल अर्थात बोतल को संभालना' इससे तनाव के संकेतों और लक्षणों को समझना होता है। इसके अतिरिक्त 'ब्लो द बलून' तकनीक से व्यक्ति के अंदर सकारात्मक/नकारात्मक दृष्टिकोण को समझकर उनके तनाव को दूर करना होता है। कार्यक्रम के दौरान एल्कोहल एडिक्शन पेशेंट का मेडिकल काउंसलिंग सेशन लिया गया। मानसिक अस्वस्थता की स्थिति में उचित परामर्श के लिए स्पर्श क्लीनिक में संपर्क करने की सलाह दी गयी।"

अंत में रिलैक्सेशन ट्रेनिंग से कार्यक्रम का समापन किया गया I इस कार्यक्रम को सफल बनाने में डॉ एम.के. शर्मा (आयुष मेडिकल ऑफिसर), कमांडेंट ऑफिसर, सब कमांडेंट ऑफिसर,पूनम वर्मा और मोनिका का विशेष सहयोग रहा।


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