राजधानी में भी तो नहीं पहुंच रही नई ड्रग्स 'याबा' की खेप?

Update: 2020-12-16 06:12 GMT

सनद् रहे 'जनता से रिश्ता' पिछले कई महीनों से ड्रग तस्करी और अवैध कारोबार को लेकर रिपोर्ट प्रकाशित करते आ रहा है

बांग्लादेश के रास्ते भारतीय राज्यों-शहरों में तस्करी की आशंका

सुरक्षा एजेंसियां और बीएसएफ को किया गया है अलर्ट

छत्तीसगढ़ में भी लगे न्यू-ईयर पार्टियों पर रोक

ड्रग की सप्लाई में युवकों से ज्यादा युवतियां सक्रिय

नशीली पदार्थों पर रोक लगाने सख्त कानून बनाकर युवाओं को बरबादी से बचाए सरकार

जसेरि रिपोर्टर

रायपुर। सुरक्षा एजेंसियों ने बांग्लादेश से लगने वाली देश की पूर्वी सीमा पर होने वाली नशीली दवाओं की तस्करी को लेकर अलर्ट किया है। कारण है एक नई किस्म की नशीली दवा 'याबाÓ की तस्करी में अचानक बड़े पैमाने पर उछाल आ जाना। 'क्रेजी मेडिसिनÓ के नाम से मशहूर याबा की एक गोली से अभी तक युवाओं में प्रचलित फेंसिडाइल कफ सीरप के मुकाबले करीब दोगुना मिलने के कारण युवाओं में यह नशीली दवा तेजी से पैठ बना रही है। सरकारी रिपोर्टों और अधिकारियों के मुताबिक, सुरक्षा एजेंसियों को इस नए नशे पर काबू पाने के लिए अपनी रणनीति बदलने का अलर्ट जारी कर दिया गया है। मलेशिया में भी ड्रग की बड़ी खेप पकड़ी गई है जो समुद्र के रास्ता भारत भेजी जा रही थी। गौरतलब है कि विगत कुछ वर्षों से राजधानी रायपुर में भी ड्र्ग्स का चलन युवाओं में तेजी से बढ़ा है, ऐसे में इस तरह की नशे के सामान की खेप अगर राजधानी में भी पहुंच रही हो तो आश्चर्य नहीं होगा। राजधानी पुलिस पिछले तीन-चार महिनों से लगातार ड्रग्स तस्करों और पैडलर्स के खिलाफ कार्रवाई कर रही है। जिसमें अब तक लगभग दो दर्जन ड्रग पैडलर्स गिरफ्तार हो चुके हैं। गिरफ्तार पैडलर्स में कई रसूखदार और समाजसेवा से जुड़े परिवारों से हैं।

मीडिया में आई खबरों के अनुसार एक केंद्रीय सुरक्षा बल की तरफ से तैयार डोजियर के मुताबिक, भारत फिलहाल गोल आकार की लाल रंग वाली याबा ड्रग्स के लिए 'ट्रांजिट कंट्री (किसी अन्य देश में ले जाने के दौरान बीच में पडऩे वाला देश)Ó की भूमिका निभा रहा है। लेकिन इसकी तस्करी में बड़े पैमाने पर सामने आई बढ़ोतरी इस बात का स्पष्ट इशारा कर रही है कि याबा को देश में नशा करने वाले युवाओं के बीच पैठ बनाने में ज्यादा देर नहीं लगेगी। डोजियर में यह भी कहा गया है कि अभी तक अवैध फेंसिडाइल सीरप की तस्करी का काम कर रहे अधिकतर भारतीय तस्करों ने ज्यादा मांग व इससे ज्यादा कमाई होने के चलते खुद को याबा की तस्करी पर शिफ्ट कर लिया है। केंद्रीय गृह मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक, सुरक्षा, खुफिया व एंटी नारकोटिक्स एजेंसियों की याबा की सीमा पार तस्करी और हमारे देश में इसके उपयोग को लेकर चिंता पिछले दो साल में फेंसिडाइल के मुकाबले इस नशीली दवा की ज्यादा खेप पकड़े जाने के आंकड़ों के कारण बढ़ी है। इससे पहले के सालों में याबा की खेप फेंसिडाइल के मुकाबले कम रहती थी। बीएसएफ के दो वरिष्ठ अधिकारियों के मुताबिक, सबसे बड़ी चिंता पश्चिमी बंगाल जैसे अब तक तस्करी के काम में नहीं आने वाले राज्यों में इस नशीली दवा की खेप पकड़े जाने से ज्यादा चिंता बढ़ी है। इसी कारण बांग्लादेश से लगने वाली 4096 किलोमीटर लंबी सीमा पर बीएसएफ के गश्ती दश्तों को ज्यादा अलर्ट किया गया है। इसके अलावा तस्कर म्यांमार से मिजोरम में छंपाई और आइजॉल के जरिये त्रिपुरा की राजधानी अगरतला तक लाने के बाद इसे बांग्लादेश भेजने का तरीका भी अपना रहे हैं। त्रिपुरा में सीमा के दोनों तरफ सक्रिय तस्कर भी चरस की तस्करी छोड़कर ज्यादा वित्तीय फायदा होने के कारण इस नशीली दवा के व्यापार से जुड़ गए हैं।

तस्करी के ये आंकड़े दे रहे चिंता

  • 2019 में तस्करों से 7.22 लाख याबा टेबलेट पकड़ी गई
  • 3.08 लाख बोतल ही फेंसिडाइल पकड़ी गई पिछले साल
  • 2020 में नवंबर तक 6.65 लाख याबा टेबलेट जब्त हुईं
  • 05 लाख फेंसिडाइल बोतल ही जब्त हो सकी इस दौरान

चीन से आता है याबा का रॉ मैटीरियल

क्रेजी मेडिसिन के अलावा मैडनैस ड्रग, नाजी स्पीड आदि नामों से भी पुकारी जाने वाली याबाद में मुख्य तौर पर कैफीन और मेटहैंपटामिन कैमिकल होता है। याबा को बनाने वाली सभी अवैध लैब म्यांमार में चल रही हैं, लेकिन इसे बनाने वाला रॉ मैटीरियल चीन से तस्करी के जरिये म्यांमार लाया जाता है। इसके बाद इसे तस्करी के जरिये म्यांमार से लगने वाली 270 किलोमीटर लंबी सीमा या भारत के रास्ते बांग्लादेश ले जाया जाता है, जहां इसकी बेहद मांग है। अधिकारियों के मुताबिक, इस नशीली दवा से युवाओं में तनाव, उत्तेजना, गुस्सा और चिड़चिड़ापन जैसे लक्षण दिखाई देते हैं। यह गुर्दे, दिल, लीवर और मस्तिष्क को बड़े पैमाने पर नुकसान पहुंचाती है।

150 से 1000 रुपये तक है कीमत

याबा की एक गोली कहीं भी गुणवत्ता और मांग के आधार पर 150 रुपये से शुरू होकर 1000 रुपये तक बिकती है, जबकि फेंसिडाइल सीरप के दाम इससे बहुत कम हैं।

न्यू ईयर पार्टियों पर लगे रोक

राजधानी में क्रिसमस और न्यू ईयर के अवसर पर होटलों, क्लबों और रेस्टोरेंट में न्यू ईयर पार्टियों की तैयारी जोरों पर चल रही है। इसके लिए बाकायदा सोशल मीडिया पर प्रचार का दौर भी शुरू हो गया है। बाकायदा ड्र्ग्स और नशे का सामान भी स्टाक किया जा रहा है ताकि युवाओं को फूल मस्ती परोसी जा सके। इसके लिए महंगे और नामी डीजे भी अनुबंधित किए गए हैं जो मुंबई और गोवा से रायपुर पहुंचेंगे। कोरोनाकाल में कई बड़े शहरों में नाइट और न्यू ईयर पार्टी पर रोक लगा दी गई है। केरल, तमिलनाडू, गुजरात के अहमदाबाद जैसे शहर में भी न्यू ईयर पार्टी की इजाजत नहीं दी गई है। इस तरह के रोक राजधानी में भी लगाए जाने की जरूरत है। पुलिस और जिला प्रशासन को इस पर गौर कर सख्ती से पार्टियों पर रोक लगानी चाहिए।

वीआईपी रोड के होटलों में तैयारी

नशे की पार्टियों के लिए चर्चित वीआईपी रोड के होटलों और क्लबों सहित रेस्टोरेंट में भी न्यू ईयर पार्टियों की तैयारी बड़े जोर-शोर से जारी है। मेन रोड से लेकर गलियों में स्थित होटल-रेस्टोंरेंट में भी नए साल में फूल मस्ती और नशा परोसने के सामान किए जा रहे हैं। इस तरह की रंगीन पार्टियों के लिए वीआईपी रोड की कई होटलें और क्लब पहले से ही चर्चित हैं। पुलिस के लिए इन होटलों और पार्टियों के आयोजको पर कार्रवाई कर पाना बड़ी चुनौती है। पार्टियों के आयोजकों को छुटभैय्ये नेताओं और रसूखदारों का संरक्षण मिल रहा है। जिससे पुलिस कार्रवाई नहीं कर पाती।

युवतियों के माध्यम से पहुंच रहा ड्रग

दीपिका पादुकोण ने कहा था कि उसने सिर्फ ड्रग के लिए एसएमएस किया था यहां तो युवतियां बाकायदा ड्रग की सप्लाई कर रही हैं। क्रिसमस और नए साल में नशे की पार्टी करने के लिए शहर के वीआईपी रोड स्थित सभी बड़े-बड़े होटलों और क्लबों में नशे की खेप रोज पहुंच रही है। रायपुर जिले में आसानी से नशे की खेप आ रही है। इसको खेप को पहुंचने में कोई तकलीफ भी नहीं हो रही है। विश्वसनीय सूत्रों ने बताया कि पड़ोसी राज्य के नशे के बड़े कारोबारियों ने जिले में युवाओं तक अपनी पहुंच बना ली थी। और अब अफीम, कोकीन, गांजे की बड़ी खेप रायपुर के होटलों में पहुंच रही है। इन सभी नशे की पार्टियों में पर्याप्त नशे का सामान रोज किसी न किसी साधन के जरिए पहुंच रहा है। पुलिस को इस बात की भनक ना हो इसके लिए नशे का कारोबारी कुछ छुटभैय्या नेताओं का सहारा भी ली रहे है जिससे उन्हें अपने नशे के सामान की सप्लाई करवाने में आसानी हो। नशे के पाउडर को सीट कवर में बिछाकर उसके ऊपर दूसरा सीट कवर चढ़ाकर सप्लाई की जा रही है।

इन रास्तों से पहुंच रहा ड्रग

रायपुर शहर में नागपुर और जबलपुर के रास्तों से ड्रग्स लाया जा रहा है। जिसकी ख़बरें किसी को नहीं यहां तक की पुलिस के पास भी इस बात की सुचना नहीं है की ड्रग्स पार्टी के आयोजक नशे का साजोसामान कहां से और कैसे ला रहे है। अक्सर देखा गया है कि नशे के कारोबारी अपना कारोबार कर उससे होने वाली कमाई को अपने महंगे शौक पूरे करने के लिए खर्च करते है। नागपुर से आने वाली बड़ी खेप युवाओं को नशे की अंधेरी गुफाओं में धकेलने वाली है। रायपुर के बड़े होटलों और रेस्टोरेंटों वीआईपी रोड इलाके में नशे की खेप आ रही है और उसका चोरी छिपे लंबा कारोबार क्रिसमस से लेकर नए साल तक किया जाएगा।

न्यू ईयर पार्टियों को लेकर पुलिस भी अलर्ट

न्यू ईयर की पार्टी में रोक लगाने के लिए पुलिस भी अब अलर्ट हो चुकी है। वीआईपी रोड के सभी होटलों में कड़ी से कड़ी जांच चल रही। क्रिसमस से लेकर हैप्पी न्यू इयर तक नशे की पार्टियों का आयोजन होने वाले है। शहर के वीआईपी रोड स्थित सभी बड़े होटलों में 23 दिसंबर से लेकर 5 जनवरी की रात तक नशे की पार्टियां चलने वाली है। इन पार्टियों में एंट्री पास बनाकर सोशल मीडिया के जरिए दिए जा रहे है। इन सबको लेकर पुलिस भी अलर्ट हो चुकी है। पुलिस ने नशे के खिलाफ काफी अभियान चलाये है और नशे के सौदागरों को गिरफ्तार कर जेल भी भेजा गया है। इससे ये पता चलता है कि पुलिस भी नशे की पार्टी करने वालो पर कड़ी कार्रवाई करेंगे।

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