रायपुर (जसेरि)। सिंचाई कालोनी के रिडेव्हलपमेंट योजना के लिए हाउंिसग बोर्ड को निर्माण एजेंसी ही नहीं भूमि हस्तांतरित कर मालिक भी बना दिया गया है। इससे राजधानी के बीचोबीच स्थित बेशकीमती जमीन पर बने सिंचाई कालोनी के मकानों को तोड़कर नए आवास व कामर्शियल काम्पलेक्स बनाकर करोड़ों की बंदरबाट का अवसर हाउसिंग बोर्ड के अधिकारियों को मिल गया है। इस पूरी योजना में 605 करोड़ की लागत और 135 करोड़ रुपए का लाभ होने की बात हाउसिंग बोर्ड ने सरकार को बताई है। इस पूरी योजना के लिए जलसंसाधन की लगभग 19 एकड़ और लगभग चार एकड़ सरकारी जमीन हाउसिंग बोर्ड को हस्तांतरित कर दी गई है। सवाल उठता है कि आखिर भूमि हाउसिंग बोर्ड को हस्तांतरित करने की जरूरत क्या थी? सरकार सिंचाई विभाग के अधिकारी-कर्मचारियों के आवास निर्माण और कामर्शियल कांम्पलेक्स के लिए पीपीपी मोड योजना बनाकर क्रियान्वित करती लेकिन भूमि हस्तांतरित कर हाउसिंग बोर्ड को खुली लूट की छुट दे दी गई। वैसे ही गौरव पथ पर स्थित गौरव वाटिका वाली जमीन के लिए भी प्लान बनाकर करोड़ों कमाई जा सकती है।
प्रदेश सरकार का एक ऐसा स्व वित्त पोषित संस्था है हाउसिंग बोर्ड है जो कुछ भी कर सकती है और सरकार उन योजनाओं को मंजूरी अवश्य दे देती है चाहे उसमें सरकार को अरबों-खरबों का नुकसान ही क्यों न हो। ऐसा लगता है कि यहां के प्रोजेक्ट प्लानर अधिकारी-कर्मचारी काला जादू जानते है, जो सरकार के पास जाते ही आंख मूंद कर मंजूरी कर दी जाती है। जबकि कैग ने साफ कर दिया है कि अब तक की हुई गड़बडिय़ों की रिकवरी कर स्व वित्त पोषित संस्था को घाटे से उबारा जाए उसके बाद भी चाहे तत्कालीन भाजपा सरकार हो या वर्तमान कांग्रेस की पूर्ण बहुमत वाली सरकार हो हाउसिंग बोर्ड के आगे घुटने टेक देती है।
हाउसिंग बोर्ड के पुराने तालपुरी, बिलासा परिसर के साथ राजधानी में बने हाउसिंग बोर्ड के निर्मित मकान, दुकान कमर्शियल काम्प्लेक्स भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गई है। ताजा मामला जो इन दिनों सुर्खियों में है वह है सिंचाई कालोनी का रिड्वलपमेंट प्रोजेक्ट जिसमें सरकार 605 करोड़ खर्च कर 135 करोड़ कमाने जा रही है। जबकि इसकी हकीकत यह है कि सिर्फ इस जमीन को बेचकर अरबों रुपए कमा सकती है। जबकि इस महति प्रोजेक्ट की जिम्मेदारी सरकार ने हाउसंिग बोर्ड के भ्रष्ट अधिकारी को सौंप कर हाउसिंग बोर्ड को नोडल एजेंसी बना दिया गया है। इसी क्या कहा जाएगा। जानबूझ कर सरकार अपने पैर में कुल्हाड़ी मारने के लिए उतावला हो गया है। बिना विचार -विमर्श नफा नुकसान को दरकिनार कर सरकार ने शांतिनगर सिंचाई कालोनी की रिडेवलपमेंट योजना के निर्माण के जिम्मेदारी दे दी है।
छत्तीसगढ़ गठन के बाद पिछले 21 सालों में हाउसिंग बोर्ड की प्रदेशभर में बनाए गए मकान दुकान, कामर्शियल काम्प्लेक्स, स्टेडियम, आटोडोरियम की सभी योजनाएं प्लाप होने के बाद सरकार ने बेस कीमती सिंचाई कालोनी की जमीन मुफ्त में हाउसिंग बोर्ड को लूटने के लिए छूट दे दी है। जनता से रिश्ता ने जन सरोकार को ध्यान में रखते हुए सूचना के अधिकार के तहत जानकारी लेकर इसके अच्छे-बुरे परिणामों को लगातार प्रकाशित करने के बाद भी सरकार के कर्ताधर्ताओं ने संज्ञान में नहीं लिया। हाउसिंग बोर्ड के भ्रष्ट अधिकारियों को ही जिम्मेदारी सौंप दी जिसके खिलाफ अमानत में ख्यानत के साथ बड़े-बड़े प्रोजेक्ट में गड़बड़ी को आरोपी है और जिसके खिलाफ मामला कोर्ट में लंबित है।