छत्तीसगढ़ हाउसिंग बोर्ड के अधिकारियों पर जानकारी देने में सूचना आयोग का गोलमोल जवाब!
दो आरटीआई का एक ही फार्मेट में एक जैसा जवाब, अधिकारी का नाम भी नहीं बदला...
जसेरि रिपोर्टर
रायपुर। धोटालों और अनियमितताओं के लिए चर्चित छत्तीसगढ़ हाउसिंग बोर्ड के अधिकारी भी काफी रसूख वाले और सूचना आयोग जैसी संस्था से भी अपने हक में फैसला कराने में सिद्ध हस्त हैं। हाउसिंग बोर्ड के बड़े-बड़े प्रोजेक्ट्स में अनियमितता और घोटाले उजागर हुए जिन पर महज विभागीय जांच के बाद लीपा-पोती कर जिम्मेदार अधिकारियों को बख्श दिया गया। अनियमितता और घोटालों के आरोपी कई अधिकारी प्रमोट होकर अपर आयुक्त के पद पर शोभित हैं। सरकारी पैसों का बंदरबांट कर ये अधिकारी करोड़ों के चल-अचल संपत्ति अर्जित कर चुके हैं। सरकार की उदासीनता और हाउसिंग बोर्ड प्रबंधन की लापरवाही से इन अधिकारियों को मनमानी करने की खुली छूट मिली हुई है। ऐसे अधिकारियों के खिलाफ सूचना के अधिकार के तहत मांगी गई जानकारी भी हाउसिंग बोर्ड देने से लगातार बच रहा है। हैरान करने वाली बात यह है कि अपील करने पर सूचना आयोग से भी वही जवाब दिया जा रहा है जो हाउसिंग बोर्ड के जनसूचना अधिकारी दे रहे हैं। हद तो तब हो गई जब सूचना आयोग द्वारा दो अलग-अलग अधिकारियों के संबंध में चाही गई जानकारी पर एक ही फार्मेट में एक जैसा जवाब दिया गया है जिसमें अधिकारी का नाम दर्शाने में भी बड़ी त्रुटि सामने आई है। हालाकि इस संदर्भ में अवगत कराने पर आयोग ने इसे मानवीय भूल स्वीकार करते हुए इसे सुधारने की बात कही है।
सूचना के अधिकार के तहत हाउसिंग बोर्ड के अधिकारी हर्षकुमार जोशी, एचके वर्मा और एमडी पनेरिया के संदर्भ में जानकारी मांगी गई थी। जिसमें से हर्ष कुमार जोशी और एचके वर्मा के संबंध में हाउसिंग बोर्ड ने इन अधिकारियों की सहमति नहीं मिलने और आरटीआई अधिनियम की धारा 8(1)(आई) के तहत जानकारी देने से इंकार कर दिया। प्रथम अपीलीय अधिकारी ने भी यही बात कहते हुए जानकारी देने से इंकार कर दिया तब सूचना आयुक्त के कार्यालय में इसके खिलाफ अपील की गई। जहां कई महीने बाद मामले में संज्ञान लेते हुए सूचना आयोग ने भी प्रकरण बिना किसी फेरबदल के प्रकरण नस्तीबद्ध कर दिया। इतना ही नहीं एक अन्य अधिकारी एमडी पनेरिया के संदर्भ में भी इन्ही अधिकारियों की के साथ जानकारी चाही गई थी लेकिन उस आवेदन पर आयोग ने पेशी ही 10 मई 2021 को तय की है ताकि आवेदक मामले में कोर्ट भी न जा सके।
एनएमडीसी के प्रोजेक्ट में खर्चे की वसूली पर भी नहीं दे रहे जवाब
छत्तीसगढ़ हाउसिंग बोर्ड अपने कारनामे और अनियमितताओं को लेकर हमेशा से सुर्खियों में रहा है। बावजूद सरकार और प्रशासन के साथ सत्ताधारी दलों के नेता बोर्ड और उसके अधिकारियों पर मेहरबान रहे। बोर्ड के शीर्ष अधिकारियों द्वारा बड़े-बड़े प्रोजेक्ट्स में खुलेआम अनियमितता, भ्रष्टाचार करने और कैग व विभागीय जांचों में अनियमितता साबित होने के बावजूद न कभी कोई कार्रवाई हुई और न ही किसी अधिकारी पर गाज गिरी। अपने कुप्रबंधन और मनमानियों से सरकार को करोड़ों के घाटे में झोंकने वाले बोर्ड के अधिकारियों का एक और कारनामा सामने आया है। हाल ही में एनएमडीसी ने जगदपुर के नियानार में बनने वाले अपने महत्वाकांक्षी हाउसिंग प्रोजेक्ट छग हाउसिंग बोर्ड से छिन लिया था। इस महत्वाकांक्षी योजना के लिए 2018 में स्थल चयन के साथ प्रारंभिक तैयारियां शुरू हो गई थी. लेकिन बोर्ड के लचर कार्य प्रणाली के चलते एनएमडीसी ने इस प्रोजेक्ट को बोर्ड से छिन लिया। धरातल पर नहीं उतार सके। इस योजना के लिए हाउसिंग बोर्ड ने 26189826.00 रुपए खर्च कर डाले। इन खर्चों की स्वीकृति आखिर कहां से मिली और इसकी भरपाई बोर्ड कहां से करेगा? हाउसिंग बोर्ड इस संबंध में आरटीआई के तहत मांगी गई जानकारी महीनों बाद भी देने से बच रहा है।
एनएमडीसी ने नगरनार स्टील संयंत्र के लिए जगदलपुर के नियानार में एक बड़े हाउसिंग प्रोजेक्ट तैयार करने के लिए छग हाउसिंग बोर्ड को निर्माण एजेंसी नियुक्त किया था, लेकिन हाल ही में एनएमडीसी ने 1200 करोड़ की इस महत्वाकांक्षी योजना से छग हाउसिंग बोर्ड को अलग कर दिया। एनएमडीसी ने इस योजना की 2016 में घोषणा की थी। हाउसिंग बोर्ड ने हैदराबाद में इसके प्रेजेन्टेशन भी दिया था जिसके बाद उसे एनएमडीसी ने निर्माण एजेंसी नियुक्त किया था। हाथ से गवां चुके इस प्रोजेक्ट के लिए हाउसिग बोर्ड के अधिकारियों ने पानी की तरह रुपए खर्च किए। सूचना के अधिकार के तहत जुटाई गई जानकारी में जगदलपुुर संभाग के कार्यपालन अभियंता के अनुसार 2016 से 2020 तक यात्रा व्यय होटल, खाना, गाडिय़ों व बैठकों में ही 26189826.00 रुपए फूंक दिए गए और इसके बाद भी प्रोजेक्ट हाथ से खिसक गया
किसकी मर्जी या आदेश से खर्च किया गया
सूचना के अधिकार अधिनियम के अंतर्गत गृह निर्माण मंडल जगदलपुर संभाग से जो सूचना प्राप्त हुई है उसके अनुसार छत्तीसगढ़ गृह निर्माण मंडल ने एनएमडीसी जगदलपुर हाउसिंग प्रोजेक्ट में बेवजह 2 करोड़ 60 लाख 898 खर्च किया गया। सवाल यह है प्रोजेक्ट में इतनी बड़ी रकम किस अधिकारी के अधिकार क्षेत्र में और किसकी मर्जी से यह रकम को सिर्फ प्रोजेक्ट को हवा में लाने के लिए ही उपयोग किया गया, हद तो तब हो गई जब प्रोजेक्ट का कोई निर्माण नहीं हुआ।
बगैर टेंडर/किसकी अनुमति से एक करोड़ 68 लाख का पेमेंट
आर्किटेक्ट ग्रुप को बिगर टेंडर के और बगैर किसी लेखा परीक्षण (ऑडिट) के एक करोड़ 68 लाख रुपए का पेमेंट कर दिया गया, होटल और ट्रैवलिंग खर्च के नाम पर 25 लाख 40 हजार लगभग खर्च करती है । हाउसिंग बोर्ड सबसे घाटे में चलने वाला सरकारी उपक्रम है और राज्य सरकार के लिए सफेद हाथी साबित घोषित हो चुका है । अधिकारी जनता की गाढ़ी कमाई का पैसा मनमानी ढंग से उपयोग कर हाउसिंग बोर्ड का प_ा बताए जा रहे हैं अब सवाल यह उठता है कि 2 करोड़ 18 लाख जितनी बड़ी रकम किससे और कैसे सरकार वसूल करेंगे। बिगर की अनुमति के बगैर किसी जांच के बगैर किसी परमिशन के इतनी बड़ी रकम का खर्च कर देना हाउसिंग बोर्ड के हित में नहीं हुआ है।
सूत न कपास जुलाहों में ल_म-ल_
हाउसिंग बोर्ड सरकारी धन को निजी हित में साधने का सबसे आसान माध्यम है। जो स्व वित्त पोषित होकर काम करने के नाम पर प्रोपोगंडा कर माल हड़पना और जनता की गाढ़ी कमाई के साथ सरकारी धन को गटकना ही है। तत्कालीन पदाधिकारी और अधिकारी नूरा कुश्ती खेलकर सूत न कपास जुलाहों में ल_म-ल_ वाली कहावत को चरितार्थ करते हुए छत्तीसगढ़ की जनता का करोड़ों रुपए को बर्बाद कर चुके है। छत्तीसगढ़ गृह निर्माण मंडल सरकारी धन को सुनियोजित तरीके से बंदरबाट कर चूना लगाने का उपक्रम बना हुआ है।
संचालक मंडल की बैठक रद्द
हाउसिंग बोर्ड की संचालक मंडल की बैठक कर्मचारियों के विरोध के बाद रद्द कर दिया गया है। बैठक में कर्मचारियों के हित में लिए पूर्व में लिए गए निर्णयों को शामिल नहीं किए जाने की सूचना पर कर्मचारी फेडरेशन के अध्यक्ष राकेश नैयर के नेतृत्व में कर्मचारियों ने पर्यावास भवन में अधय्क्ष का घेराव कर उन्हें इससे अवगत कराते हुए कर्मचारियों के हित से जुड़े मसलों को शामिल करने की मांग की। कर्मचारियों के विरोध को देखते हुए संचालक मंडल की बैठक रद्द कर दी गई।