सूरजपुर। जिला न्यायाधीश अध्यक्ष जिला विधिक सेवा प्राधिकरण सूरजपुर, गोविन्द नारायण जांगडे के मार्गदर्शन में 18 मार्च को ग्राम चम्पकनगर एवं अगस्तपुर में हुआ विधिक जागरुकता शिविर का आयोजन किया गया। जागरुकता शिविर में चन्द्र कुमार अजगले, प्रधान न्यायाधीश परिवार न्यायालय सूरजपुर एवं रंजू राउतराय, अपर जिला सत्र न्यायाधीश, एफटीसी विशेष न्यायालय सूरजुपर उपस्थित रहे। शिविर में प्रधान न्यायाधीश चन्द्र कुमार अजगले ने ग्रामीणों को विधिक सेवा प्राधिकरण अधिनियम 1987 के संबंध में जानकारी प्रदान करते हुए कहा कि न्याय पाने का सभी को समान अधिकार है। यदि आप अपना प्रकरण न्यायालय में प्रस्तुत करना चाहते या आपका कोई प्रकरण न्यायालय में लंबित है तो आपकी गरीबी आपको न्याय दिलाने में रूकावट नही होगी, अब आपके प्रकरणों में तहसील स्तरीय न्यायालय से उच्चतम न्यायालय तक विधिक सेवा समितियां कार्य कर रही है. जो निःशुल्क सेवा प्रदान करती है। उन्होंने आगे कहा देश के सभी जिला न्यायालय, उच्च न्यायालयों में विधिक सेवा प्राधिकरण के कार्यालय संचालित है।
जहां से अपने प्रकरण संबंधी सलाह या सहायता निःशुल्क प्राप्त किया जा सकता है। उक्त सेवा को लाभ स्त्री या बालक. अनुसचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति का सदस्य आपदा पीड़ित व्यक्ति, मानसिक रूप से अस्वस्थ व्यक्ति, जेल में निरूद्ध व्यक्ति तथा पांच लाख रुपए से कम आय वाला सामान्य वर्ग का कोई भी व्यक्ति निःशुल्क सेवा के लिए आवेदन प्रस्तुत कर सकता है। वहीं उन्होंने पारिवारिक विवादों के संबंध में जानकारी देते हुए अन्य विधिक विषयों में भी उपस्थित ग्रामीणों को जानकारी दी। रंजू राउतराय ने लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम के संबंध में जानकारी देते हुए उपस्थित ग्रामिणजन को कहा दिन में एक रोटी कम खाए, मगर अपने बच्चों को शिक्षा जरूर दे। उन्हें पढ़ाएं शिक्षा प्राप्त करना उनका अधिकार है। अगर आप की आर्थिक स्थिति सही नहीं है तो बच्चों को हॉस्टल में रखकर पढ़ाएं हर जिले में शासन की ओर से छात्रावास की व्यवस्था उपलब्ध कराई गई है। आगे उन्होंने महिलाओं के अधिकार व अन्य विधिक विषयों पर जानकरी प्रदान की।