इंदिरा जी छोटे कार्यकर्ता का भी मान रखती थीं, आज तो चिट्ठी तक को तवज्जो नहीं मिलती: पुण्यतिथि पर विशेष
पूर्व राज्यमंत्री बदरुद्दीन कुरैशी ने याद किया वह दिन जब इंदिरा गांधी ने अपने घर पर कराया था लंच, संगठन स्तर पर इंदिरा जैसी गंभीरता की बताई जरूरत.
(फोटो कैप्शन-1970 में दुर्ग-भिलाई की चुनावी सभा से पहले नंदिनी एयरोड्रम पर इंदिरा गांधी। यहां एक पत्रकार के तौर पर मोतीलाल वोरा भी नजर आ रहे हैं।)
(मुहम्मद जाकिर हुसैन)
भिलाई। ''भूतपूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी सही मायनों में जननेता थीं और अपने हर छोटे से छोटे कार्यकर्ता का ध्यान रखती थी। आज संगठन स्तर पर ऐसी ही गंभीरता की जरूरत है।'' यह कहना है दुर्ग जिला कांग्रेस कमेटी के तीन दशक तक महामंत्री रहे पूर्व मंत्री और भिलाई विधायक बदरुद्दीन कुरैशी का। उनके जहन में स्व. इंदिरा गांधी से जुड़ी कई यादें हैं, जो आज भी उन्हें भाव-विभोर कर जाती हैं। कुरैशी बेहद भावुक होकर बताते हैं कि एक मौका ऐसा भी आया इंदिरा गांधी ने उन्हें अपने घर पर भोजन करवाया और दुर्ग में कांग्रेस से जुड़ी तमाम जानकारी ली। कुरैशी को इस बात का मलाल है कि इंदिरा और राजीव गांधी के दौर में संगठन स्तर पर जैसी गंभीरता शीर्ष नेतृत्व और प्रदेश स्तर के नेतृत्व में होती थी, वैसी अब देखने को नहीं मिलती। स्व. इंदिरा गांधी की पुण्यतिथि 31 अक्टूबर के मौके पर कुरैशी ने कुछ यादें बांटी।
कुरैशी बताते हैं-1978 में बारिश का मौसम था और तब दुर्ग जिला कांग्रेस कमेटी के महामंत्री की हैसियत से संगठन के कार्य से वह दिल्ली गए थे। उनके साथ स्टील वर्कर्स यूनियन (इंटक) के पदाधिकारी जीपी तिवारी भी थे। दिल्ली में उनकी मुलाकात युवा नेता जगदीश टाइटलर और युवक कांग्रेस के तब के महामंत्री सुदर्शन अवस्थी से हुई। इन दोनों नेताओं के साथ हम दोनों भी इंदिरा जी के निवास पहुंचे। दोपहर का वक्त था। हम लोगों ने पहले से समय ले रखा था इसलिए हम चारों को सीधे इंदिरा जी ने अपने बैठक कक्ष में बुलवाया। मेरे लिए निजी तौर पर यह सुखद आश्चर्य का विषय था कि इंदिरा जी दुर्ग के बहुत से कांग्रेसी नेताओं का नाम लेकर पूछ रहीं थी। खैर, हम लोगों की करीब पौन घंटे बात हुई। इसके बाद हम लोग जाने लगे तो इंदिरा जी ने कहा कि खाने का वक्त हो चुका है चलिए साथ में भोजन कर लीजिए। इंदिरा जी के इस व्यवहार से हम तो अभिभूत हो गए। फिर इंदिरा जी हम चारों को लेकर डाइनिंग हॉल में गईं और वहां हम सबको आत्मीयता के साथ भोजन करवाया। इस दौरान उन्होंने संगठन से जुड़ी कई बातें की और भविष्य को लेकर अपनी योजनाएं बताईं व हम लोगों से जरूरी सुझाव लेकर उसे अपनी डायरी में नोट किया। इसके बाद हम लोग इंदिरा जी के काफिले के साथ आदर्श कालोनी पहुंचे, जहां घनघोर बारिश की वजह से भारी तबाही हुई थी। यहां इंदिरा जी ने सहायता सामग्री का वितरण किया।
इस मुलाकात के बाद कुछ ऐसा हुआ कि जब भी देश के किसी भी हिस्से में कांग्रेस का कोई बड़ा आंदोलन होता था तो इंदिरा जी का संदेश जरूर आता था। इस मुलाकात के अलावा मुझे तीन बार चंदूलाल चंद्राकर जी के साथ भी इंदिरा जी से मिलने का मौका मिला। हमेशा वह अात्मीयता से मिलती थीं।
कुरैशी कहते हैं-तब इंदिरा जी जिस तरह संगठन को लेकर गंभीरता से बातें सुनती थी, उसका असर यह होता था कि पार्टी के कार्यकर्ता अपने आप को बेहद सम्मानित महसूस करता था। यही गंभीरता स्व. राजीव गांधी में भी थी। इसके चलते मध्यप्रदेश कांग्रेस कमेटी भी अपने ब्लाक स्तर तक के कार्यकर्ता की बात को तवज्जो देती थी। कुरैशी कहते हैं-आज पार्टी में ऐसी गंभीरता कम देखने मिल रही है। आज की परिस्थिति में चिट्ठी भी लिखो तो चिट्ठी का अता-पता नहीं रहता है। इस पर प्रदेश कांग्रेस कमेटी को भी गंभीरता से विचार करने की जरूरत है।
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जब इंदिरा जी का सारी रात इंतजार किया जनता ने
पूर्व मंत्री बदरुद्दीन कुरैशी बताते हैं-दुर्ग-भिलाई और छत्तीसगढ़ को लेकर इंदिरा जी का खास लगाव था। यहां के आदिवासी अंचल को लेकर वह हमेशा संवेदनशील रहीं। कुरैशी बताते हैं-1970 से 1980 तक हर लोकसभा-विधानसभा चुनाव में इंदिरा गांधी प्रचार के लिए आईं। 1970 की ऐसी ही एक चुनावी सभा में पत्रकार के तौर पर मोतीलाल वोरा भी मौजूद थे। 1980 की सभा का जिक्र करते हुए कुरैशी बताते हैं-3-6 जनवरी 1980 को लोकसभा चुनाव के लिए मतदान होना था और संभवत: 30-31 दिसंबर 1979 को इंदिरा जी छत्तीसगढ़ के दौरे पर थीं। खास बात यह थी कि भिलाई स्टील प्लांट की शेवरलेट एम्पाला कार मंगाई गई थी, जिसे विद्याचरण शुक्ल खुद ड्राइव कर रहे थे और इंदिरा जी सामने सीट पर बैठीं थी। तब सेक्टर-8 के मैदान में आमसभा थी और रात 8 बजे तक इंदिरा जी के आने की घोषणा हो चुकी थीं। दिसंबर की कड़कड़ाती ठंड में लोगों का हौसला कम नहीं हुआ था। हजारों की तादाद में मैदान में लोग शाम से इकट्ठा होने लगे थे लेकिन घोषणा पर घोषणा होती रहीं और इंदिरा जी नहीं पहुंच पाईं। इसके बावजूद जनता वहीं डटी रहीं। अंतत: रात करीब 2:30 बजे इंदिरा जी सभा स्थल पर पहुंची और लोगों ने पूरे धैर्य के साथ उनका भाषण सुना। तब चंदूलाल चंद्राकर कांग्रेस के प्रत्याशी थे। यहां से इंदिरा जी दुर्ग सर्किट हाउस पहुंची। कुछ देर विश्राम किया और फिर राजनांदगांव के लिए रवाना हो गईं। ऐसा जुझारू नेतृत्व बहुत कम देखने को मिलता है। इस चुनाव में चंदूलाल चंद्राकर भारी मतों से विजयी हुए थे। कुरैशी एक अन्य घटनाक्रम का जिक्र करते हुए कहते हैं-जब 19 दिसंबर 1978 को मोरारजी देसाई सरकार ने इंदिरा गांधी को जेल भेजा तो पूरे देश में आक्रोश उबल पड़ा था। इन्हीं दिनों दुर्ग नगर निगम के चुनाव भी थे। उस आक्रोश का जवाब दुर्ग की जनता ने कांग्रेस को निगम चुनाव में भारी मतों से जीता कर दिया था।