एटीएम की तरह दोहन करने वाले कर्मचारी पर तुरंत कार्रवाई हो

Update: 2024-08-06 05:52 GMT

प्रेस क्लब के पदाधिकारी अपने कर्तव्य मार्ग में डटे रहें, पत्रकारों के हितों की रक्षा करें और दोषियों को चलता करें

सामाजिक कार्यकर्ता नितिन लॉरेंस ने मांग की कि दोषियों पर तत्काल कार्रवाई हो

कर्मचारी के अब तक के कार्यकाल की जांच की जाए ताकि पता चले कि क्या गुल खिलाया

वर्तमान अध्यक्ष दोषियों पर कार्रवाई कर पत्रकारों की संस्था में डकैती करने वालों पर एक्शन लें

तथाकथित वेतन भोगी कर्मी अपने रिश्तेदारों और चहेतों को पत्रकार बताकर मकान दिलाया

संलिप्त दोषी वेतन भोगी कर्मचारियों के खिलाफ एफआईआऱ दर्ज कर जांच कराई जाए

प्रेस क्लब के निर्वाचित पदाधिकारियों को अंधेरे में रखकर अपने -अपने रिश्तेदारों को किया उपकृत

पत्रकारों ने शुरूआत में ही आपत्ति दर्ज कराई थी, कि ये न्यायसंगत नहीं होगा,विरोध की अनदेखी किया

raipur news रायपुर। सामाजिक कार्यकर्ता एवं पत्रकार नीतिन लारेंस ने आरोप लगाया है कि सोनडोंगरी में जो फर्जी मकान आवंटन हुए है उसमें निगम के अधिकारी और प्रेसक्लब के कर्मचारी के खिलाफ सरकार कार्रवाई करे ताकि किसी आगे आने वाली योजना में भ्रष्टाचार नहीं हो। सोनडोंगरी में मिले खरीदी-बिक्री कर रहे उस पर रोक लगे। एसा नहीां होने पर हम आंदोलन करेंगे। उन्होंने आगे कहा कि प्रेस क्लब की गरिमा को जिन पत्रकारों ने अपने लेखनी से पूरे देश में लोहा मनवाया उसको बरकरार रखना युवा पत्रकारों का कर्तव्य है। जानकार पत्रकारों का कहना है कि अब जो मामले सामने आ रहे वह सबसे दु:खदाई और भयावह है। प्रेस क्लब में नौकरी करने वाला वेतन भोगी कर्मी निर्वाचित पदाधिकारियों से ज्यादा पावर वाला होकर खेल खेलता रहा । अब तक के 20 वर्षों का रिकार्ड देखेंगे तो दंग रह जाएंगे। सारे अध्यक्षों ने अपने कार्यकाल में वेतन भोगी कर्मचारी के भरोसे रहे। सामान्य सभा की बैठक से लेकर सभी निर्णय वेतन भोगी ही लिय़ा करता था, 15 अगस्त , 26 जनवरी में होने वाले आयोजनों पर वो ही निर्णय लेता था । इससे हौसले बढ़े और देखा कि प्रेस क्लब तो पूरी तरह अंधेर नगरी बना हुआ है, तो सचिव के हौसले बढ़ते गए और सरकार द्वारा पत्रकारों प्रेस कर्मियों को दिया जाने वाला बीएसयूपी मकान में पूरी तरह से अधिकतर अपने चाहने वालों को सैकड़ों मकान आवंटित कराकर झोला भरता रहा। जिसे मकान नहीं मिला उसने यह पोल खोल दी। कर्मी ने प्रेस क्लब को एटीएम कार्ड की तरह उपय़ोग किया एसा लोगों का कहना है। एसे कमर्चारी पर अध्यक्ष तुरंत एक्शन लेकर कार्रवाई करे। जो प्रेस क्लब का गरिमा को तार-तार कर रहा है इन सब कारणों से वरिष्ठ पत्रकारों ने कुछ खास मौकों को छोड़कर आम दिनों में प्रेस क्लब आना भी छोड़ दिया है। कई पत्रकार तो मान मनौव्वल करने पर सिर्फ चुनाव के दिन वोट डालने आते है। भीभी पत्रकारों को सरक्षण देने सरकारी योजना का लाभ दिलाने और उनके पारिवारिक हितों की रक्षा करने के उद्देश्य से 1960 में रायपुर प्रेसक्लब की नींव रखी गई थी। जिसमें सर्वश्री राघवेंद्र गुमास्ता, मधुकर खेर, पं. गुलाम अली फरिश्ता, बसंत तिवारी, रामाश्रय उपाध्याय, गोविंद लाल वोरा, प्रमोद श्रीवास्तव,रम्मू श्रीवास्तव, कलाकर खेर, एम बोधनकर( सभी दिवगत) सहित जैसे मूर्धन्य पत्रकार शामिल थे। प्रेस क्लब की नियमावली (बाइलाज) को इनमें से कुछ दिवंगत पत्रकारों ने दिल्ली, लखनऊ के प्रेस क्लब की नियमावली के अनुसार रायपुर में भी एसा सिस्टम लागू किय़ा गया था। देखने में आ रहा है कि पिछले कई सालों से नियमावली को दरकिनार कर दिए है। प्रेस क्लब के सदस्य पत्रकारों को बीएसयूपी मकान देना था, औऱ बांट दिए गैर पत्रकारों को। chhattisgarh news

chhattisgarh राजधानी के प्रतिष्ठित संस्था जो बुद्धिजीवियों की संस्था प्रेस क्लब है। जहां के सदस्यों के लिए निर्वाचित पदाधिकारियों की टीम पत्रकारों के हित में काम करने का वादा कर चुनाव तो जीत जाते है। बड़े -बड़े दावे खोखले साबित होते हैं। क्योंकि वहां एक तथाकथित वेतन भोगी कर्मचारी जो पदाधिकारियों को फंडिग का गणित समझा देता है और वो साल भर इसी उधेड़बुन में संलिप्त हो जाते है। पत्रकारों को हितों को देखने का उनके पास वक्त ही नहीं बचता है। पत्रकारों के बड़े -बड़े सपने दिखाकर निर्वाचित पदाधिकारी में वेतम भोगी सचिव के हां में हां मिलाने लगते है। पिछले चार सालों से चुनाव नहीं होने का भरपूर फायदा उठाया। तत्कालीन अध्यक्ष दामू आंबेडारे थे, लेकिन किसे उपकृत करना है यह वेतन भोगी सचिव तय करता था। सचिव का अपना एक केबिन बना है जहां शहर भर के उपकृत लोगों की भीड़ रहती है। राजनीतिक और सामाजिक संगठनों का काम तथाकिथत सचिव करता था, तथाकथित सचिव ने सोनडोंगरी में जो बीएसयूपी मकान पत्रकारों को आवंटित करना था, उसे गैर पत्रकारों से पैसा लेकर कुछ को बांट दिया कुछ इंतजार कर रहे थे। जब नया चुनाव मार्च में हुआ तो जिन लोगों ने पैसे दिए थे और मकान नहीं मिला था, मकान के लिए चक्कर लगाने लगे। सचिव ने कहा था कि फाइल आगे बढ़ गई है। जल्द से जल्द मकान एलाटमेंट हो जाएगा। लोगों को विश्वास था कि जब सैकड़ों गैर पत्रकारों को बीएसयूपी मकान दिया है तो हमें भी मिलेगा। उस समय फार्म भऱवाने के दौरान सारे गैर पत्रकार प्रेस कर्मियों को कहा गया था कि जल्दी-जल्दी पैसा दो मकान मिल जाएगा । कायार्लय सचिव के झांसे में आकर सैकड़ों गैर पत्रकारों ने मकान के लिए पैसा दिए । कोई 50 हजार तो किसी ने 25 हजार दिए। कुछ लोग तो मकान मिलने से खुश है, लेकिन जिन लोगों को पैसा देने के बाद भी मकान नहीं मिलने पर लिखित शिकायत प्रेसक्लब अध्यक्ष और महासचिव से की है। वर्तमान प्रेस क्लब अध्यक्ष का कहना है कि इतनी बड़ी बात थी तो हमारे संज्ञान में लाना था, जिस समय मकान के फार्म भरवाया जा रहा था उस दौरान वर्तमान अध्यक्ष तत्कालीन अध्यक्ष के खिलाफ राजनीतिक मोर्चा खोला था, उस समय ही उनके संज्ञन में था,लेकिन अध्यक्ष को हटाने के लिए घेराबंदी कर रहे थे।

मामले के जानकार पत्रकारों का कहना है कि जब उस समय पैसा लेकर फार्म भऱवाया जा रहा है।तब ही आवाज उठाना था, लेकिन किसी ने भी इस घोटाले के मामले में आवाज नहीं उठाया । सभी लोगों अपने-अपने करीबियों को दिया गया। बीएसयूपी मकान की योजना पत्रकार और गैर पत्रकार जो प्रेस कर्मी है उनको देना था, लेकिन सोनडोगरी में मकान दिया गया उसमें बाहरी लोग अधिक जिसका प्रेस से कोई लेना देना नहींं है। उसकी जाच की मांग भी उठती रही है लेकिन मामला दबा रहा।

जो फर्जी मकान आबंटन हुए है उसमें निगम के अधिकारी औऱ प्रेसक्लब के कर्मचारी के खिलाफ कार्रवाई करे सरकार ताकि किसी आगे आने वाली योजना में भ्रष्टाचार नहीं हो। सोनडोंगरी में मिले खरीदी-बिक्री कर रहे उस पर रोक लगे। ऐसा नहीं होने पर हम आंदोलन करेंगे।

-नितिन लारेंस

सामाजिक कार्यकर्ता एवं पत्रकार    

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