35 एकड़ में अवैध प्लाटिंग, रजिस्ट्री पर बैन

Update: 2022-08-04 05:57 GMT

राजधानी के दतरेंगा मे अवैध प्लाटिंग के मामले में कलेक्टर ने की बड़ी कार्रवाई

राजधानी में बिल्डरों की बाढ़, सरकारी जमीन पर चल रहा कब्जा का खेल

नया राज्य बनने के साथ ही शुरू है अवैध प्लाटिंग और निर्माण का सिलसिला

रसूखदारों ने सरकारी जमीन को कब्जा कर कराया अवैध को वैध और तान दिया बहुमंजिला

जसेरि रिपोर्टर

रायपुर। राजधानी के आसपा 40 किमी तक कोई खाली जमीन नहीं बची है, अब आऊटर में बिल्डरों ने अवैध कब्जा कर प्लाटिंग का खेल शुरू कर दिया है। सरकारी जमीन पर तथाकथित बिल्डरों का कब्जा का सिलसिला कानूय कायदे को ताक में रखकर चल रहा है। इस खेल छुटबैया नेता से लेकर बिल्डरों की फौज जो सरकारी जमीनों पर रातोरात कब्जा कर प्लाटिंग कर मोटी कमाई कर रहे है। अविभाजित मध्यप्रदेश के दौर में जब नवंबर 2000 में मध्यप्रदेश से छत्तीसगढ़ अलग राज्य बनने के सुगबुगाहट शुरू होने के साथ तब के मकान-दुकान किराए से दिलाने वाले छुटभैया नेताओं ने बिल्डर बनकर मुख्यमार्ग की बेशकीमती जमीनों पर कब्जा करवा कर उसे सरकारी पट्टा में तब्दील कर उस पर कब्जा करने का खेल खेला। आज 22 साल बाद भी सरकारी जमीन पर झुग्गी-झोपड़ी बसाने का खेल छुटभैया नेता कर रहे है। अब सरकार ने सख्त रवैया अपना कर सारे अवैध कब्जा वाली जमीनों पर की रजिस्ट्री पर रोक लगा दी है।

तब ऐसे हुआ अवैध से वैध

शहर के आउटर और निगम की सीमा से सटे डूंडा, रायपुरा, देवपुरी और गोगांव की अवैध कालोनियों को वैध कर दिया है। 2009 में अवैध कालोनाइजरों ने खेतों को छोटे-छोटे प्लॉट में बदलकर लोगों को बेच दिया था। लेट आउट पास नहीं होने के कारण अब तक इन इलाकों के नक्शे पास नहीं हो रहे थे, जबकि यहां एक लाख से ज्यादा आबादी बस चुकी है। निगम और टाउन एंड कंट्री प्लानिंग के इस फैसले के बाद अब इस इलाके में मकानों के नक्शे पास हो सकेंगे। मकान बनाने के लिए लोगों को बैंक से लोन भी मिलेगा। नक्शे पास नहीं होने के कारण लोगों को लोन नहीं मिल पा रहा था। इतना ही नहीं इन इलाकों की कालोनियों और बसाहट में अब सरकारी तौर पर बिजली, पानी, नाली, सड़क सहित सभी तरह की सुविधाएं मिल सकेंगी।

अवैध कब्जे पर ग्रामीणों ने चलवा दिया बुलडोजर, मकान-दुकान ढहाए, शासकीय जमीन पर था कब्जा

बिलासपुर में अवैध कब्जा धारकों पर ग्रामीणों का गुस्सा फूट पड़ा। शिकायत के बाद भी प्रशासन के कार्रवाई नहीं करने से नाराज ग्रामीणों ने दर्जन भर मकान और दुकानों पर बुलडोजर चला दिया। इसके चलते गांव में जमकर बवाल हुआ। हंगामे की सूचना पर पहुंची पुलिस ने ग्रामीणों को रोकने की कोशिश की, लेकिन उनका आक्रोश देख सब शांत हो गए। यहां तक कि तहसीलदार और एसडीएम भी खामोश ही खड़े रहे। मामला तखतपुर तहसील क्षेत्र के ग्राम बेलमुंडी का है। दरअसल, गांव वाले गौठान और शासकीय जमीन में लगातार हो रहे अतिक्रमण से परेशान थे। ग्राम पंचायत के जनप्रतिनिधियों के साथ मिलकर ग्रामीणों ने अवैध कब्जा हटाने के लिए कई बार तहसील कार्यालय में जाकर शिकायत की। साथ ही जिला प्रशासन से भी अतिक्रमण तोडऩे की मांग की। आरोप है कि इसके बाद भी राजस्व अफसर ग्रामीणों की मांग को नजर अंदाज कर दिया। इसके कारण ग्रामीणों का आक्रोश मंगलवार को भड़क गया।प्रशासन ने नहीं सुनी तो ग्रामीणों ने ग्राम पंचायत में प्रस्ताव पास किया और अतिक्रमण हटाने की सूचना भी दी। इसके बाद भी राजस्व अधिकारियों ने कोई ध्यान नहीं दिया। इस पर मंगलवार दोपहर 12 बजे एकजुट होकर ग्रामीणों ने बुलडोजर मंगाया और पक्के मकान और दुकानों पर बुलडोजर चलाना शुरू कर दिया। इसके बाद तो हंगामा हो गया। थोड़ी ही देर में एसडीएम महेश शर्मा, तहसीलदार राजेंद्र भारत, नायब तहसीलदार गुरु दत्त पंचभाई और मनीषा झा पहुंच गए। ग्रामीणों के आक्रोश को देखते हुए अफसरों ने जिला मुख्यालय को इस घटना की जानकारी दी गई। इसके बाद बिलासपुर से बड़ी संख्या में पुलिस बल गांव रवाना किया गया। किसी तरह बीच-बचाव कर मामले को शांत कराया गया। इसके बाद ग्रामीणों ने अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई में सहयोग देने कहा। फिर पुलिस की मौजूदगी में ही ग्रामीणों ने करीब 10 मकान, 10 दुकान और झोपडिय़ों पर बुलडोजर चलवा दिया गया। इस दौरान पुलिस मूक दर्शक बनी ग्रामीणों की कार्रवाई को देखती रह गई। कहा कि ग्रामीणों ने मिलकर खुद ही गांव का कब्जा हटाया है। राजस्व अफसरों के साथ वह लॉ एंड आर्डर ड्यूटी पर थे।

अवैध निर्माणों के नियमितीकरण के लिए नियमों का ड्राफ्ट तैयार

राजधानी में 5000 वर्गफीट से ज्यादा जमीन पर पार्किंग के बिना बने सभी भवन और कांप्लेक्स अवैध हैं। ऐसे भवनों को अब वैध कराने के लिए आवेदन लेने की प्रक्रिया अगले सप्ताह से शुरू होगी। छह महीने पहले सरकार ने घोषणा की थी। विधि विभाग ने मसौदा तैयार कर लिया है। एक-दो दिनों में इसका आदेश टाउन एंड कंट्री प्लानिंग विभाग को भेज दिया जाएगा। इसके बाद अर्जियां निगम दफ्तरों और टाउन एंड कंट्री प्लानिंग में ली जाएंगी। 2016 में भी 18 हजार से ज्यादा आवेदन जमा हुए थे। इनमें से 2300 लोगों ने शुल्क और पेनाल्टी जमा नहीं की। इसकी वजह से इतने आवेदनों का नियमितीकरण रुक गया। ये लोग भी फिर से आवेदन कर सकेंगे। पेनाल्टी दो लाख तक हो सकती है।

2011 से पहले के निर्माण

1 जनवरी 2011 से पहले निर्मित ऐसे भवन या निर्माण जिनका नक्शा और भवन निर्माण अनुज्ञा स्वीकृत है और जहां छत्तीसगढ़ भूमि विकास नियम 1984 या अन्य विकास योजनाओं के अनुसार पार्किंग नहीं बनाए हैं, वे पेनाल्टी देकर नियमित करा सकेंगे। नए कानून के तहत यदि किसी व्यक्ति ने भूमि के तय उपयोग के विरुद्ध लैंड यूज बदलवाया है और उसपर निर्माण किया है तो उतनी जमीन पर वर्तमान प्रचलित कलेक्टर गाइडलाइन दर का 5 प्रतिशत अतिरिक्त पेनाल्टी लगाई जाएगी। जैसे जमीन कृषि है। इसका लैंडयूज बदलवाकर आवासीय किया गया है और उसपर निर्माण किया गया है।

193 खसरों की जमीन की खरीद बिक्री पर प्रतिबंध

रायपुर जिले में अवैध प्लाटिंग और अवैध निर्माण की शिकायतों को गंभीरता से लेते हुए कलेक्टर डॉ. सर्वेश्वर भुरे ने 193 खसरों में दर्ज 162 एकड़ से अधिक जमीन की रजिस्ट्री पर प्रतिबंध लगा दिया है। कलेक्टर ने रायपुर, तिल्दा और आरंग तहसील क्षेत्र में हो रही जमीनों की रजिस्ट्री में उप पंजीयक को गंभीरता से सावधानी बरतने के निर्देश दिए हैं। डॉ. भूरे ने छत्तीसगढ़ कॉलोनाइजर एक्ट के तहत अवैध प्लाटिंग करने वालो के विरुद्ध कड़ाई से कार्रवाई करने के भी निर्देश राजश्व अधिकारियों को दिए है। कलेक्टर डॉ. भूरे ने रायपुर नगर निगम और तिल्दा,आरंग तथा रायपुर एसडीएम की रिपोर्ट पर रायपुर तहसील के 12 गांवों में 126 खसरों, तिल्दा तहसील के आठ गांवों के 31 खसरों और आरंग तहसील के पांच गांवों के 31 खसरों की जमीन की खरीदी बिक्री प्रतिबंधित की है। कलेक्टर के निर्देश पर तीनों तहसीलों के इन खसरों को ई-पंजीयन सॉफ्टवेयर में प्रतिबंधित खसरों की श्रेणी में दर्ज कर दिया है। अब इन खसरों की भूमि की खरीद-बिक्री रजिस्ट्री नहीं हो पाएगी। कलेक्टर डॉ. भुरे ने जिले में अवैध प्लाटिंग और अवैध निर्माण की जांच कर कार्रवाई करने के निर्देश भी संबंधित राजस्व अधिकारियों को दिए हैं। इन गांवों के खसरों की रोकी गई खरीदी बिक्री रायपुर तहसील में रायपुरा के छह, देवपुरी के तीन, पुरैना के एक, अमलीडीह के चार,दतरेंगा के 11, सेजबहार के 13,कांदुल के 07, काठाडीह के 04,डोमा के 60, धरमपुरा के 01,पटिया के 02 और गोगांव के 14 खसरों की 93.339 एकड़ जमीन की खरीदी बिक्री पर रोक लगाई गई है । तिल्दा तहसील में सासाहोली,तिल्दा और कोहका गॉवों के 04-04, कुंदरू और टंडवा के 06-06 तुलसी के 03, बिलाडी के 02 और नेवरा के 01 खसरे की 40.878 एकड़ जमीन की खरीदी बिक्री रोकी गई है। आरंग तहसील में लखौली के 13, बैहार और नरदहा के 03-03,चंदखुरी के 07 और गनौद के 05 खसरों में शामिल 27.919 एकड़ भूमि की खरीदी बिक्री को कलेक्टर ने प्रतिबंधित कर दिया है। दतरेंगा में 35 एकड़ जमीन में अवैध प्लाटिंग के मामले में भी संबधित खसरों पर रजिस्ट्री पर रोक लगा दी गई है।

भारतमाला प्रोजेक्ट: 19 गांवो में जमीन खरीदी-बिक्री पर रोक

आरंग से नवा रायपुर होकर राजनादंगाव तक नई सिक्स लेन

नवा रायपुर से राजनांदगांव के बीच भारतमाला प्रोजेक्ट के तहत प्रस्तावित नई सिक्सलेन के रास्ते में आ रहे 19 गांवों में जमीन खरीदी-बिक्री पर रोक लगा दी गई है। ये भी गांव नवा रायपुर के आउटर में हैं। इन गांवों की जमीन का अब न तो नामांतरण होगा और न ही डायवर्सन। इस बारे में जिला प्रशासन ने आदेश जारी कर दिए हैं। अब इन गांवों में जहां-जहां से भातरमाला प्रोजेक्ट के तहत बनने वाली सड़क गुजरेगी, वहां की जमीन की नाप-झोंक होगी। ये देखा जाएगा कि किन-किन ग्रामीणों की कितनी-कितनी जमीन सड़क के रास्ते में आ रही है। सड़क के रास्ते की जमीन का अधिग्रहण किया जाएगा। इस दौरान जिन ग्रामीणों की जितनी-जितनी जमीन सड़क के दायरे में आएगी, उसी हिसाब से उनका मुआवजा तय होगा। रायपुर कलेक्टर ने दोनों एसडीएम को नई सड़क के लिए जहां-जहां जमीन की आवश्यकता है, उसकी डिटेल रिपोर्ट तैयार करने को कहा गया। सड़क के रास्ते में जो जमीन आ रही हैं, उसके मालिक के नाम के साथ उसका खसरा नंबर, रकबा सबुकछ डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट में रहेगा। रिपोर्ट तैयार होने के बाद ही जमीन खरीदी की जाएगी। इसके लिए जल्द ही अधिसूचना जारी की जाएगी। अफसरों का कहना है कि इस प्रक्रिया के साथ भारतमाला प्रोजेक्ट नेशनल हाईवे 53 के लिए अधिग्रहण शुरू हो गया है।

नया इकोनॉमिक कॉरीडोर : भारतमाला प्रोजेक्ट के तहत बनने वाले इस नई सड़क से भिलाई-दुर्ग जाने का रास्ता सबसे आसान हो जाएगा। अभी तक लोगों के पास टाटीबंध और अमलेश्वर के रास्ते से भिलाई-दुर्ग जाने का इकलौता प्रमुख विकल्प है। नवा रायपुर से भी भिलाई-दुर्ग के लिए नई और सिक्सलेन सड़क बनने से ट्रैफिक का झंझट नहीं होगा। अफसरों के अनुसार यह सड़क नई इकोनॉमिक कॉरीडोर होगी। आने वाले दिनों में सड़क का विस्तार कर इसे मुंबई-कोलकाता तक जोड़ा जाएगा। यानी ट्रांसपोर्ट गाडिय़ां भी इसी रास्ते से रायपुर तक आएंगी। आम लोगों के सड़क रास्ते का नया विकल्प भी उपलब्ध होगा।

कहीं फोर कहीं सिक्सलेन होगी: नवा रायपुर से राजनांदगांव के बीच प्रस्तावित ये नई सड़क 92.230 किमी लंबी होगी। यह सड़क कहीं फोर तो कहीं सिक्सलेन की होगी। भिलाई-दुर्ग तक यह पूरी तरह से सिक्सलेन होगी। जमीन की उपलब्धता के अनुसार इसे कहीं-कहीं फोर लेन भी किया जाएगा। भारतमाला प्रोजेक्ट के तहत इस सड़क को राजनांदगांव के टेडेसरा गांव से शुरू किया गया है। यही दुर्ग-भिलाई से होते हुए नवा रायपुर के पारागांव में खत्म होगी। रायपुर में इस सड़क की लंबाई 48.73 किमी होगी। इस सड़क में अभनपुर के 17 और आरंग के 2 गांवों की भूमि का अधिग्रहण किया जाएगा।

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