बिलाईगढ़। सरकारी स्कूलों की दुर्दशा की कहानी तो आप आए दिन देखते-सुनते होंगे, लेकिन यहां हम जो कहानीआपको बताने जा रहे हैं, वह एक ऐसे सरकारी स्कूल की है, जो आज पूरे क्षेत्र के लिए आदर्श बन रहा है। सरकारी स्कूल और वह भी आदर्श, शायद इसकी कल्पना भी हम नहीं करते, लेकिन जिद और जुनून हो तो कुछ भी असंभव नहीं। अपनी जिद और जुनून से ऐसे ही अकल्पनीय को सच्चाई के धरातल पर उतारा है, शिक्षक हितेंद्र पांडेय ने और शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय सलिहा की नई इबारत लिख दी।
मन में कुछ करने का जज्बा और जुनून हो तो कुछ भी असंभव नहीं है। ऐसा ही कर दिखाया है शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय सलिहा के प्राचार्य हितेंद्र पांडेय ने। यह सरकारी स्कूल क्षेत्र के किसी निजी स्कूल से कम नहीं है। स्कूल परिसर में पूरी तरह से गार्डनिंग का कार्य किया गया, जिससे यहां का वातावरण हमेशा शुद्ध और शांत बना रहता है। स्कूली बच्चे घर से ज्यादा स्कूल में रहना पसंद करते हैं। स्कूल में हाइटेक लैब के साथ बच्चों के लिए लाइब्रेरी भी बनाई गई है, ताकि स्कूली बच्चों को बाहरी किताबों का भी ज्ञान मिल सके। स्कूल के दीवारों में ज्ञानवर्धक बातें लिखी गई है, जिससे पढ़कर अपने आप में कुछ कर गुजरने का आत्मविश्वास आ जाता है।
प्राचार्य हितेंद्र पांडे द्वारा स्कूल में नवाचार करने का भी प्रयास किया गया है, यहां संगीत के साथ बच्चों की प्रार्थना कराई जाती है, जिससे बच्चों को शिक्षा के साथ संस्कार भी मिलता है। साथ ही बच्चों को नैतिक शिक्षा दी जाती है, ताकि बच्चों का परीक्षा परिणाम उत्तम हो और बच्चों का भविष्य उज्ज्वल हो सकें। प्राचार्य के इस प्रयास को ध्यान में रखते हुए सलिहा से ही महाविद्यालय में अध्ययनरत रहे तीन बालिकाओं द्वारा स्कूल के बच्चों को नि:शुल्क शिक्षा दी जा रही है। हितेंद्र पांडे क्षेत्र के शिक्षकों के लिए प्रेरणा बने हैं। उनका कहना है कि शासन से स्कूलों के लिए जो भी फंड आता है, वहां नवाचार के लिए पर्याप्त है, बस उसका सही उपयोग किया जाए, इसके बाद स्कूल को शिक्षा का मंदिर बनने से कोई नहीं रोक सकता।