मकसद न हो तो बगावत फिज़़ूल होती है, तूफान भी हार जाते हैं जहाँ कश्तियाँ जिद्द पे होती है

Update: 2021-03-19 05:48 GMT

ज़ाकिर घुरसेना/कैलाश यादव

मुंबई में प्रसिद्ध उद्योगपति मुकेश अम्बानी के घर के बहार विस्फोटक मिलने के मामले में बड़ी सफलता मिली थी कि इसकी जिम्मेदारी जैश-उल-हिन्द ने ले ली थी। आतंकी संगठन ने टेलीग्राम सन्देश के जरिये दावा किया था की विस्फोटक रखने वाले आतंकी विस्फोटक रख कर सही सलामत अपने ठिकाने पर पहुंच गए हैं सन्देश काफी लम्बा चौड़ा था आगे यह भी लिखा था कि यह एक ट्रेलर है अभी पूरी पिक्चर आना बाकी है ऐसा मिडिया रपोर्ट से जानकारी मिली थी। कार मालिक ठाणे का रहने वाला था जो चोरी चली गई थी। कार मालिक मुफ्त में मारा गया। आतंकी संगठन भी पिक्चर से गायब हो गया कहानी में नया ट्विस्ट तब आ गया जब मुंबई पुलिस के अधिकारी सचिन वाजे इस मामले में गिरफ्तार कर लिए गए। जनता में खुसुर फुसुर है कि आतंकवादी संगठन का टेलीग्राम वाली बात देश की जनता का ध्यान बटाने के लिए तो नहीं जारी किया गया था, अगर सच था तो उसकी भी जांच होनी चाहिए थी। सचिन वाजे गिरफ्तार नहीं होते तो अभी तक कई निर्दोष सींखचों के पीछे धकेल दिए गए होते।

जय हो शैलेश नितिन त्रिवेदी की

पाठ्यपुस्तक निगम के चैयरमेन शैलेश नितिन त्रिवेदी असम दौर में नहीं गए हैं और यहीं रहकर निगम में हुए घोटालों को उजागर कर रहे हैं। पापुनि के अधिकारियों ने निगम का जमकर दोहन किया है। लगभग 72 करोड़ से अधिक का घोटाला किया गया है। जनता में खुसुर फुसुर है कि घोटाले का उजागर कर शैलेश भाई ने बहुत ठीक किया लेकिन अब देखना है कि कितने अधिकारियों को वे जेल भिजवा पाते हैं। इसी बात पर एक शायर कहता है -मकसद न हो तो बगावत फिजूल होती है, तूफान भी हार जाते हैं जहाँ कश्तियाँ जिद्द पे होती है।

कानून सिर्फ आम जनता के लिए

अभी रायपुर की जनता क्रिकेट के जुनून में है। पिछले वर्ष 18 मार्च यानी कोरोना का पहले मरीज के तस्दीक होने के बाद पूरा रायपुर हिल गया था, लेकिन अभी रोजाना लगभग तीन सौ के आसपास मरीज पॉजिटिव मिल रहे हैं , लेकिन जनता बेखौफ है और तो और क्रिकेट मैच देखने वालों में कई माननीय के अलावा पद्मश्री प्राप्त महानुभाव भी नजऱ आ रहे थे पर किसी के चहरे पर मास्क नहीं था. जनता में खुसुर फुसुर है कि पब्लिक जुर्माना दे और माननीय जुर्माना तय करे, मतलब कानून सिर्फ आम जनता के लिए है।

होलिका दहन में सिर्फ पांच लोग

इस बार कोरोना को देखते हुए होली में पुलिस की तगड़ी व्यवस्था होगी। जनता में खुसुर फुसुर है कि स्टेडियम में हजारों लोग एक साथ बैठकर मैच का लुत्फ उठाते तक कोरोना सोया रहेगा और जब होलिका दहन होगी तब केवल पांच लोग ही रहेंगे, क्योंकि उस वक्त कोरोना जाग चुका होगा, है ना अजीब बात। किसको किसका डर ?

छत्तीसगढ़ में अपराध

नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक जी का बयान आया और प्रेस विज्ञप्ति में काफी चिंतित नजर आये कि छत्तीसगढ़ में हालात ऐसा हो चला है कि बिना अपराध कोई शाम नहीं होती, ऐसा उनका मानना है । अब जनता में खुसुर फुसुर है कि 15 साल के आपके शासनकाल में कौन सा रामराज्य था। उस समय भी तो काफी तादात में हत्या, मर्डर, लूट और बलात्कार की घटनाएं होती रही, उस समय की शाम कौन सी खुशनुमा होती थी।

विज्ञापन की याद आई

निरमा का एक विज्ञापन काफी फेमस हुआ करता था दूध सी सफेदी निरमा से आये। अब यही विज्ञापन फिर से चालू हो गया है, बस शब्द बदल गया है, अब ये हो गया है कि दूध सी सफेदी पार्टी बदलने से आये, पुराने दाग धब्बे सब धुल-धुल जाये। देखा गया है कि जिन-जिन नेताओं पर इल्जामात लगे थे उनमें से कुछ नेताओं ने इनका दामन थामा और फिर वही ताजगी वही जोश में नजर आ रहे हैं।

कौन किसको छोड़ गया बेसहारा

भाजपा के पूर्व मंत्री और वरिष्ठ विधायक बृजमोहन अग्रवाल ने भूपेश सरकार पर आरोप लगाया है कि बढ़ते कोरोना संक्रमण काल में प्रदेश के नागरिकों को बेसहारा छोड़कर मुख्यमंत्री असम में डेरा डाले हुए है। जनता में खुसुर-फुसर है कि प्रधानमंत्री, गृहमंत्री, रक्षा मंत्री और अन्य मंत्री क्या असम, प.बंगाल, पुड्डुचेरी, तमिलनाडु में जनता की सेवा करने गए या चुनावी कुंभ स्नान करने गए है।

सरकार का पुतला फूंकने कहां से हुई फंडिंग

प्रदेश भर बुधवार को जगदलपुर से लेकर सरगुजा और राजनांदगांव से महासमुंद रायगढ़ तक भाजपा नगर मडल, युवामोर्चा के नेताओं प्रदेश में कानून व्यवस्था, खुड़मुड़ा, बठेना में सामूहिक हत्या को लेकर बढ़ते कोरोना के संक्रमण में सरकार की लापरवाही के आरोप लगाकर धड़ाधड़ पुतला फूंकते रहे। जनता में खुसुर-फुसुर है कि बिना बड़े और वरिष्ठ नेताओं के दिशा निर्देश के भाजपाई युवाओं के पास इतना पैसा कहां सेे आ गया कि वे धड़ाधड़ मुख्यमंत्री का पुतला फूंकने कूद पड़े। जबकि भाजपा में सत्ता गंवाने के बाद कोई भी बड़ा नेता छत्तीसगढ़ आए तो एयरपोर्ट जाने के लिए कदम नहीं बढ़ाते न जेब से खर्च कर फूल माला गुलदस्ता खरीदते है। ऐसे में एकाएक कौन मेहरबान हो गया जो सीएम की पुतला फूंकने फंडिंग कर गया।

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