जीवन में जो योग्य है उसे पहचान कर करने का प्रयास करें

Update: 2024-08-10 03:20 GMT

रायपुर raipur news । विवेकानंद नगर स्थित श्री संभवनाथ जैन मंदिर में आत्मोल्लास चातुर्मास 2024 की प्रवचन माला में जीवन में विशेषज्ञता हासिल करने का व्याख्यान जारी है। इसी कड़ी में शुक्रवार को रायपुर के कुलदीपक तपस्वी रत्न मुनिश्री प्रियदर्शी विजयजी म.सा. ने कहा कि जो जीवन में जरूरी है और जितना जरूरी है इसकी पहचान ही विशेषज्ञता है। जीवन में हर एक परिस्थिति के अंदर चीज बदल जाती है। विशेषज्ञ वही है जो इसे पहचान सके। जैसे आप परमात्मा की भक्ति करते हैं एक तरह से आप शांत वातावरण में करते हैं और दूसरा संगीत के साथ करते हैं ,भक्ति दोनों तरह से होती है लेकिन जहां जो आवश्यक है उसकी पहचान आपको होनी चाहिए। व्यवहार कुशल परमात्मा तीर्थंकर भगवान हमें मिले हैं तो उस व्यवहार को पालन करें जो योग्य है उसे करने का प्रयास करें। chhattisgarh

chhattisgarh news मुनिश्री ने आज नेमिनाथ प्रभु के जन्म कल्याणक के दिन परमात्मा के जीवन पर प्रकाश डालते हुए कहा कि परमात्मा का जीव परहितार्थकारी और व्यवहारज्ञ होते हैं। जब जरासंध की जरा विद्या के सामने पूरा यादव सैन्य मूर्छित हो गया तब इंद्र के द्वारा भेजे गए मातली नाम के सारथी ने नेमिकुमार से विनती की कि आप क्रोधादि से पर हैं लेकिन फिर भी जब जरासंध पूरे यादव कुल का नाश करने के लिए उद्धत हुआ है तब हे यादव कुल शिरोमणि ! आपको इस घटना की उपेक्षा करना यह योग्य नहीं है और इसी कारण से जरासंध के साथ युद्ध में खुद बैरागी होते हुए भी जरासंध की जरा विद्या के प्रयोग के सामने श्रीकृष्ण की सेना का रक्षण किया ।

चार गतियों में मनुष्य ही सिद्ध गति को प्राप्त कर सकता है : मुनिश्री तीर्थप्रेम विजयजी

मुनिश्री तीर्थप्रेम विजयजी म.सा. ने आज की प्रवचन माला में कहा कि जीव को चार गति में विभाजित किया गया है। देव गति, नरक गति,त्रियंच गति और मनुष्य गति। ऐसे ही 14 पायदान होते हैं जिस पर चढ़ते चढ़ते जीव अपने अंतिम लक्ष्य को प्राप्त कर पाता है। इन चारों गतियां में मनुष्य की गति ही ऐसी है जिसमें 14 में से 14 पायदान प्राप्त किए जा सकते हैं। देव बहुत समृद्धशाली हैं वे भी चार पायदान पर ही पहुंच सकते हैं। नरक के जीव भी चार पायदान पर चढ़ सकते हैं। त्रियंच

(पशु पक्षी ) पांच पायदान पर चढ़ सकते हैं लेकिन मनुष्य जीव 14 के 14 पायदान पर पहुंचकर सिद्ध गति को प्राप्त सकता है। परमात्मा के वचन को समझना, मानना, स्वीकारना और पालन करना मनुष्य गति में ही संभव है।

श्री शंखेश्वर पार्श्वनाथ प्रभु की भव्य भावयात्रा रविवार को

नगर में पहली बार श्री शंखेश्वर पार्श्वनाथ प्रभु की भव्यतम भावयात्रा निकाली जाएगी। रविवार 11 अगस्त को सुबह 8:15 बजे चतुर्विद संघ के साथ प्रयाण होकर 9:15 बजे शंखेश्वर

तीर्थ मंडपम पहुंचेगी। भाव यात्रा संघपति के निवास स्थान विवेकानंद नगर से प्रारंभ होकर टैगोर नगर होते हुए वापस विवेकानंद शंखेश्वर तीर्थ मंडपम आएगी। मोक्षित भाई अहमदाबाद की संगीतमय प्रस्तुति होगी।

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