ज़ाकिर घुरसेना/ कैलाश यादव
छत्तीसगढ़ में एक बार फिर कोरोना महामारी पांव पसारने लगा है। राज्य में 47 केस मिले हैं। ये 1458 सैंपल जांच में सामने आए। वहीं 155 सक्रिय मरीज हो गए हैं, जिनका इलाज जारी है। पिछले एक सप्ताह से लगातार मरीजों की संख्या में बढ़ोतरी हो रही है। इसे लेकर स्वास्थ्य विभाग में सभी जिलों में जांच बढ़ाने, मानिटरिंग करने के निर्देश दिए हैं। जनता में खुसुर-फुसुर है कि कोरोना काल में जिस तरह से लोगों को राशन-पानी किराना के साथ महंगाई से जूझना पड़ा था, अब फिर उसकी पुनरावृत्ति करीब पहुंच गई है। कोरोना फिर गाने लगा है फिर वही दिल लाया हूं,दिल्लगी करने आया हूं जो छूट गए उन्हें लेने आया हूं। इसलिए अस्पताल जाने से पहले मास्क को जीवन में शामिल कर लो ताकि कोरोना का दिल आप पर फिदा न हो सके।
मेरा सौभाग्य और उनका दुर्भाग्य...
छत्तीसगढ़ के भाजपा विधायकों की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से प्रस्तावित मुलाकात टल गई। जो नेता नए सूट और कुर्ता पायजामा बनवाए थे, उसे फिर से आने वाली तारीख तक सहेज कर रखना पड़ेगा। ताकि पीएम मोदी से मुलाकात में लक-झक सफेदी की चमकार से तकदीर उज्ज्वल कर सके। वहीं दूसरी ओर सांसद सुनील सोनी ने अपने इस्ट्राग्राम में हुए लिखा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलना मेरा सौभाग्य है, तो क्या जो विधायक नहीं मिल पाए उनका दुर्भाग्य माना जाए। जनता में खुसुर-फुसुर है कि बकौल कांग्रेसियों के भाजपा विधायकों से पीएम मोदी इसलिए मिलना चाहते थे कि चुनाव से पहले मौका मिले या न मिले कोई गिला-शिकवा न रहे। क्योंकि सभी भाजपा विधायकों को मार्गदर्शन मंडल में शामिल करने के लिए तैयारी करने मनाया जाएगा, ताकि जब हाईकमान या पीएम उनसे सक्रिय राजनीति से दूर रहने कहे तो कोई मलाल न रहे कि हमने टिकिट खो दिया।
सुधर जाएं थाना प्रभारी...
जिले की कानून व्यवस्था को मजबूत करने आईजी अजय यादव ने पुलिस अफसरों के साथ थाना प्रभारियों की बैठक ली। आईजी ने अधिकारियों के साथ थाना प्रभारियों को खरी-खोटी सुनाते हुए अपने कार्य में सुधार लाने की चेतावनी दी है। इतना ही नहीं उन्होंने साफ कहा है कि एफआईआर में देर नहीं होनी चाहिए, शिकायत मिली तो एसपी और एएसपी से जानकारी नहीं लूंगा, सीधे कार्रवाई करूंगा। थाना प्रभारी सुधर जाएं, ऐसे में एक थाने की शिकायत मिलने पर आईजी ने टीआई को जमकर खरी-खोटी सुनाई। सुधर जाने की बात कही। जनता में खुसुर-फुसुर है कि यदि टीआई साहब सुधर गए तो क्राइम मास्टरों गोगोओं की दुकानदारी कैसे चलेगी। क्योंकि ये ही शहर में क्राइम के ठेकेदार है जो अपने वर्चस्व और अहम के चलते शहर को आग में झोंकने से भी गुरेज नहीं करते।
बिना किसी के अनुमति के खर्च करने की आदत की भरपाई कैसे होगी
छत्तीसगढ़ सरकार स्कूली शिक्षा में अमूलचूल बदलाव को लेकर लगातार काम कर रही है। प्रदेश में स्वामी आत्मानंद अंग्रेजी माध्यम स्कूल के जरिए अभिभावकों तक अपनी पैठ बनाने के बाद सरकार ने अब अन्य स्कूलों को भी प्राथमिकता से लिया है। यही कारण है कि प्रदेश में कोविड महामारी के दौरान बच्चों की पढ़ाई में हुए नुकसान की भरपाई के लिए सरकार विश्व बैंक से उधार ले रही है। इसके लिए चाक परियोजना (छत्तीसगढ़ एक्सलिरेटेड लर्निंग फार ए नालेज इकोनामी) चलाई जाएगी। विश्व बैंक ने भी राज्य सरकार के प्रस्ताव पर पांच वर्ष तक करीब ढाई हजार करोड़ रुपये किस्तों में देने की सहमति दी है। विश्व बैंक से इस वर्ष 400 करोड़ रुपये मिलेंगे। इस राशि को खर्च करने के लिए राज्य को केंद्र सरकार से भी अनुमति लेनी होगी, सहमति के लिए केंद्र सरकार को प्रस्ताव भेजा गया है। जनता में खुसुर-फुसुर है कि प्रदेश में तो बिना किसी के अनुमति के खर्च करने की आदत है ऐसी स्थिति में में सिंगल इंजिन की सरकार को केंद्र सरकार कैसे और किस बिना पर सहमति देगी। यदि सहमति नहीं दी गई तो विश्व बैंक से मिला धन शिक्षा में खर्च होने की जगह राजनीति का शिकार हो सकता है। जिसके कारण कोरोना काल में पढ़ाई से वंचितों को लाभ नहीं मिल सकेगा।
ईडी छापों को कांग्रेस ने दिया नया नाम ऑपरेशन कमल
ईडी (प्रवर्तन निदेशालय) के छापों को कांग्रेस ने ऑपरेशन कमल बताया है। राजीव भवन में मीडिया से बातचीत के दौरान कांग्रेस नेताओं ने कहा कि उन्हें जान-बूझकर टार्गेट किया जा रहा है। ईडी को खुलासा करना चाहिए कि अब तक के छापों में क्या मिला? किस नेता के यहां कितनी संपत्ति का खुलासा हुआ और कितना कैश बरामद हुआ? खनिज निगम के अध्यक्ष गिरीश देवांगन ने कहा कि वे पारिवारिक रूप से राजनीति से जुड़े हैं और सेवा भाव से राजनीति करते हैं। हाल में ईडी के जो छापे पड़े हैं, उसके बारे में कहा जा रहा है कि किसी कोयले से संबंधित मामले की जांच के लिए छापे मारे जा रहे हैं। मैं खनिज निगम का अध्यक्ष हूं, लेकिन मेरा या मेरे परिवार के किसी सदस्य का कोयले से जुड़ा कोई काम नहीं है। खनिज निगम के माध्यम से भी कोयले से जुड़ा कोई काम नहीं किया जाता। इसके बावजूद मेरे घर पर छापे मारे गए। देवांगन ने आरोप लगाया कि महाधिवेशन को डिस्टर्ब करने के लिए छापे मारे गए। छापे पड़े लेकिन ईडी ने यह नहीं बताया कि किसी के घर से क्या मिला। ईडी को यह खुलासा करना चाहिए। ईडी डराने के लिए यह छापे मार रही है, लेकिन हम डरने वाले नहीं हैं। जनता में खुसुर-फुसुर है कि ईडी के छापे से कांगे्रसी इतने बेचैन है कि अब जानना चाहते है कि ऑपरेशन कमल में कौन पंजे के साथ दगाबाजी कर रहा है। क्योंकि 2018 में चुनाव के समय ऑपरेशन पंजा चला था तो कई कमल वाले कमलानंद हो गए थे। जिसके कारण कांग्रेस के पंजे में आनंद आ गया और कमल खिलने सेे पहले 14 पंखुडिय़ों वाला बनकर रह गया।
चुनावी सभा का रिहर्सल बस्तर से, आएंगी प्रियंका गांधी
नई दिल्ली में मंगलवार को दिनभर छत्तीसगढ़ छाया रहा। कारण सिर्फ इतना था कि कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने बस्तर सांसद दीपक बैज को बुला लिया। वहीं दिल्ली में ही उसी दिन सीएम भूपेश बघेल ने कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे, राहुल गांधी और प्रियंका गांधी वाड्रा से मुलाकात कर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने प्रियंका गांधी वाड्रा को बस्तर आने का न्योता देकर राजधानी लौट गए । बताया जा रहा है कि प्रियंका गांधी वाड्रा बस्तर की सभा से चुनावी अभियान की शुरुआत करेंगे। जनता में खुसुर-फुसुर है कि प्रदेश में 6 महीने पहले चुनावी तैयारियों में कांग्रेस ने बाजी मार ली है। वहीं भाजपाई रणनीति बनाने और कांग्रेस के खिलाफ आक्रमक होने के लिए दंड बैठक पेल रहे है।
थानों में केस डायवर्ड करने का खेल
राजधानी के 24 थानों में आजकल एक नया खेल शुुरू हो गया है। चाकूबाजी, उठाईगिरी, छिनताई, लूट के पीडि़तों की एफआईआर दर्ज करने बजाय पीडि़तों को बहाना बनाकर चलता कर देते है। गंभीर मामले पर भी साधारण धारा लगाकर केस को हल्का बनाकर आरोपी को साफ बचा लेते है। मंगलवार को एक थाने में छेड़छाड़ की पीडि़त महिला रिपोर्ट दर्ज कराने थाने पहुंची तो उसे समझा बुझाकर समझौता करने के लिए मनाने लगे। जिसकी शिकायत महिला ने एसएसपी से की उसके बाद महिला की बात सुनी गई और छेड़छाड़ की रिपोर्ट लिखी गई। थानों में तो मोहल्ले के दादाओं और हिस्ट्री शीटरों का साहब लोगों के साथ उठना बैठना है। इसलिए थानों में पीडि़तों से पहले आरोपियों के हिमायतियों के फोन पहुंच जाते है। जिसके कारण पुलिस थाने में मुंशी से लेकर टीआई तक मामले को सलटाने में लगे रहते है। जनता में खुसुर-फुसुर है कि पूरे प्रदेश में सैय्या भये कोतवाल तो डर काहे की लोकोक्ति चरितार्थ हो रही है। जनता को तो चुनाव से पहले और चुनाव के बाद वाले नजरिए से देखा जाता है।