जनता से रिश्ता वेबडेस्क। दुर्ग। राज्य सरकार ने जिलेवार उपभोक्ता आयोग सदस्यों के रिक्त पदों पर नियुक्ति की प्रक्रिया के तहत विज्ञापन जारी किया गया था, जिसमें 20 पदों का विज्ञापन जारी हुआ था।
विज्ञापित 20 पद के अलावा 5 पद पूर्व से रिक्त होने के कारण कुल 25 पदों पर नियुक्ति प्रक्रिया आरम्भ की गई थी। इसमें से दुर्ग जिला उपभोक्ता आयोग की नवनियुक्त सदस्य नीलू ठाकुर की नियुक्ति पर हाईकोर्ट ने रोक लगा दी है।
दुर्ग जिले से 10 उम्मीदवारों में से 9 लोगों ने साक्षात्कार में हिस्सा लिया था। नियमतः ये नियुक्तियां चयन समिति के द्वारा किया जाता है, जिसके अध्यक्ष हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश या उनके द्वारा नामित न्यायमूर्ति होते हैं और 2 अन्य सदस्य होते हैं।
चयन समिति नामों पर विचार कर उनकी दक्षता का आंकलन कर मेरिट अनुसार नामों का पैनल बनाकर सिफारिश करती है। नियुक्ति हेतु राज्य सरकार को अनुशंसा की जाती है, जिसके आधार पर नियुक्ति होती है।
राज्य सरकार द्वारा जारी दुर्ग जिला उपभोक्ता आयोग की सदस्या नीलू ठाकुर के नियुक्ति आदेश को दुर्ग के अधिवक्ता राजेन्द्र कुमार पाध्ये के द्वारा हाई कोर्ट में याचिका दायर कर चुनौती दी गई थी। आरोप लगाया गया था कि उनकी नियुक्ति चयन समिति के सिफारिश को दरकिनार कर मेरिट सूची के बाहर जाकर किया गया है।
जिस पर सुनवाई करते हुए न्यायालय की एकल पीठ ने राज्य सरकार को निर्देशित किया है कि अगली सुनवाई तारीख पर नियुक्ति प्रक्रिया संबंधी समस्त दस्तावेज और नोट शीट सहित चयन समिति की सिफारिश के कागज़ात प्रस्तुत करे।
अंतरिम राहत प्रदान करते हुए न्यायालय ने आगामी तारीख तक नियुक्त सदस्या के कार्यवहन किये जाने पर भी रोक लगा दी है। याचिकाकर्ता पेशे से एक अधिवक्ता हैं। पूर्व में उपभोक्ता फोरम के सदस्य भी रहे हैं। ये भी महत्वपूर्ण है कि कुल 25 पदों की तुलना में मात्र 9 पदों पर ही नियुक्तियां जारी की गई थी। याचिका में अधिवक्ता अमिय कांत तिवारी ने पैरवी की।