छत्तीसगढ़ के 7 लैबों को स्वास्थ्य विभाग ने जारी किया नोटिस, कोरोना टेस्ट की रिपोर्ट में लापरवाही बरतने का आरोप
रायपुर। स्वास्थ्य विभाग ने कोरोना की आरटीपीसीआर जांच के बाद समय-सीमा में आई.सी.एम.आर. पोर्टल पर जानकारी दर्ज नहीं करने वाले सात लैबों को नोटिस जारी किया है। इनमें राजधानी रायपुर के छह और भिलाई का एक लैब शामिल है। विभाग ने इन लैबों के प्रबंधकों को नोटिस जारी कर दो दिनों के भीतर स्पष्टीकरण प्रस्तुत करने कहा है। स्पष्टीकरण प्राप्त नहीं होने की स्थिति में छत्तीसगढ़ पब्लिक एक्ट, 1949 तथा छत्तीसगढ़ एपिडेमिक डिजीज कोविड-19 रेगुलेशन, 2020 के अंतर्गत अनुमति रद्द करने की कार्यवाही की जाएगी।
स्वास्थ्य विभाग ने रायपुर के मेट्रोपोलिस हेल्थकेयर, पैथकाइंड डायग्नोस्टिक, एसआरएल लैब, लाइफवर्थ डायग्नोस्टिक, एएम पैथलैब, रिवारा लैब और भिलाई के श्रीशंकराचार्य इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज को नोटिस जारी कर दो दिनों के भीतर स्पष्टीकरण देने कहा है। विभाग ने इन लैबों को जारी नोटिस में कहा है कि कोविड-19 सैंपल की जांच के 48 घंटों के बाद भी आई.सी.एम.आर. पोर्टल में डॉटा एंट्री नहीं की जा रही है। इसके कारण समय पर मरीजों की कॉन्टेक्ट-ट्रेसिंग नहीं हो पा रही है, जिससे समुदाय में संक्रमण फैलने की आशंका बनी रहती है। जानकारी उपलब्ध नहीं होने से अस्पताल में भर्ती एवं उपचार प्रक्रिया सुचारु रुप से नहीं हो पाती है।
फर्जी रिपोर्ट से पॉजिटिव को बता रहे निगेटिव!
कोरोना माहमारी में भी कुछ लोग अपनी जेब गर्म करने में लगे हुए है। राजधानी में जारी लॉकडाउन के बीच भी कुछ ऐसे फर्जी डॉक्टर आ गए है जो कोरोना की फर्जी रिपोर्ट लोगों को देकर उनसे हज़ारों रुपए वसूलते है। कोरोना महामारी खतरनाक स्तर पर पहुंच चुकी है, लेकिन लोग इसकी गंभीरता को ना समझकर धोखाधड़ी और ठगी में लग गए है। ये फर्जी डॉक्टर कोरोना की फर्जी रिपोट्र्स लोगों को दे देते है, और उनसे दोगुना ज्यादा पैसा वसूल लेते है। एक बार फिर से कोरोना के मामले बढऩे लगे हैं। वहीं इस बीच एक फर्जी कोरोना रिपोर्ट बनाने वाले गैंग की सूचना सामने आ रही है। जो कोरोना की फर्जी रिपोर्ट बनाते है और लोगों से भारी पैसा वसूल लेते है। सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक ये पता चला है कि कई ऐसे डॉक्टर अब जिले में घूम रहे है जिनके पास ना तो कोई सर्टिफिकेट है और ना ही कोई डिग्री फिर भी ऐसे डॉक्टर लोगों का कोरोना टेस्ट करके उनकी रिपोर्ट तैयार कर रहे है।
डॉक्टरों की ये होती है चाल : रायपुर शहर में डॉक्टर नर्स उपलब्ध करवाने का बिजनेस करने का ढोंग रचते हुए पहले अपने लिए एक व्यक्ति ढूंढते है जो राज्य से बाहर जाना चाहता हो उसके बाद उससे संपर्क करके कोरोना टेस्ट करने की डील करके उसके घर जाकर टेस्ट करते है। टेस्ट करने के बाद डॉक्टर 2 घंटे में रिपोर्ट तैयार करके जिस व्यक्ति को राज्य से बाहर जाना होता है उसे देकर दो गुने पैसों में अपना व्यापार चलाते है। जिसके बदले डॉक्टर पैसे लेते है और सैंपल भी कलेक्ट करते है। लेकिन यह सैंपल कहीं लैब में भेजने की जगह डॉक्टर अपने सहयोगियों की मदद से कोरोना की नकली नेगेटिव रिपोर्ट बनवाकर अपने ग्राहकों को दे देते है।
पुलिस की अपराध शाखा में कालाबाज़ारी जुड़ी : रायपुर पुलिस की अपराध शाखा ने रायपुर में रेमडेसिवीर की कालाबाजारी के सिलसिले में मामला दर्ज करने के बाद जांच शुरू कर दी। जिसमें पुलिस ने कई लोगों को गिरफ्तार कर जेल का रास्ता भी दिखाया है। राजधानी में एंटीवायरल दवा रेमडेसिवीर की कथित कालाबाजारी के सिलसिले में पुलिस ने कई लोगों से तस्दीक की है लेकिन पुलिस को इसके हेड की तलाश है जो सभी लोगों को इस इंजेक्शन की डोज़ देता है। पुलिस ने पिछले दिनों में आधा दर्जन लोगों को गिरफ्तार किया है इसी इंजेक्शन की कालाबाज़ारी करते हुए। इन लोगों को तो पुलिस ने जेल के रस्ते भेज दिया है लेकिन अब भी इस इंजेक्शन की कालाबाजरी करने वाले खुलेआम शहर में घूम रहे है। जिनकी तलाश रायपुर पुलिस कर रही है और जल्द ही पुलिस को इस मामले में बड़ी सफलता भी मिल जाए।
क्या है रेमडेसिविर? : रेमडीसिविर एक एंटी-वायरल दवा है जो शरीर के अंदर वायरस को फैलने से रोकता है। हेपेटाइटिस सी के इलाज के लिए कैलिफोर्निया के गिलीड साइंसेज ने इस दवा को बनाया था। लेकिन, यह इस हेपेटाइटिस सी पर कभी भी कारगर नहीं हो पाया। दवा बनने के बाद लगातार इसपर रिसर्च चलता रहा। बाद में इसका इस्तेमाल इबोला वायरस के इलाज के लिए शुरू कर दिया गया। जानिए रेमडेसिवीर की क्यों बढ़ी है डिमांड : कोरोना की दूसरी लहर के कारण मरीजों की संख्या में भारी बढ़ोतरी देखने को मिला है। जितने ज्यादा टेस्ट उनसे आधे से भी आधे मरीज़ पॉजिटिव मिल रहे है। लेकिन क्रिटिकल मरीजों के लिए रेमडेसिविर की मांग बहुत ही ज्यादा बढ़ गई है, पिछले साल के अंत में इस कोरोना के नए मामलों में कमी आऩे के बाद रेमडीसिविर दवा का उत्पादन कम कर दिया गया था। यही नहीं पिछले 6 महीनों में कई राज्यों में करीब 10 लाख से ज्यादा इंजेक्शन कई अन्य देशों को निर्यात कर दिया था। वहीं इंजेक्शन की जमाखोरी और कालाबाजारी की समस्या ने इस कमी को और गंभीर बना दिया है।
कोरोना की दवा में हो रही मिलावट राजधानी में एक तरफ जहां कोरोना की रफ्तार बढ़ गई है वही दूसरी तरफ कोरोना वायरस से जुड़ी दवाओं की कालाबाजारी पर भी जोर पकडऩे लगा है। अलग अलग राज्यों से कोरोना की दवा की कालाबाजारी की खबरें सामने आ रही है। लेकिन अब हैरान करने वाली बात यह भी सामने आई है कि अब कोरोना की दवा में मिलावट भी की जा रही है। इस दवा के जैसे ही शीशी बाजार में मिलने लगी है कुछ फर्जी लोग इस इंजेक्शन में भी मिलावट कर इसे बेच रहे है, जिसकी वजह से लोगों की मौत भी हो रही है। ये मामला पुलिस संज्ञान में अभी तक नहीं आई है लेकिन जल्द इस मामले में भी पुलिस बड़ी कार्रवाई कर खुलासे करेगी। रेमडेेसिविर पर बवाल, बीपीएल को फ्री पर एपीएल को दी पर्ची अंबेडकर अस्पताल में रेमडेसिविर इंजेक्शन के लिए बवाल मंगलवार को लगातार चौथे दिन जारी रहा। अस्पताल को सोमवार को रेमडेसिविर के 1000 इंजेक्शन मिले थे। इसके बाद भी मरीजों को बाहर से इंजेक्शन मंगाने के लिए पर्ची दी गई। डॉक्टरों का कहना है कि केवल बीपीएल मरीज को रेमडेसिविर का इंजेक्शन फ्री दिया जाएगा। बाकी को खुद खरीदकर लाना होगा। मीडिया में आई खबर के अनुसार अस्पताल में दर्जनों मरीज बीपीएल श्रेणी के नहीं हैं। वे भागकर रेडक्रास मेडिकल स्टोर के सामने लाइन में लगे, लेकिन तीन घंटे के इंतजार में भी उन्हें बता दिया गया कि इंजेक्शन खत्म हो गए।
रेमडेसिविर की सप्लाई का सिस्टम सुधर ही नहीं पाया है, इसलिए मारामारी के हालात हैं। मंगलवार को रेडक्रास मेडिकल स्टोर को केवल 90 इंजेक्शन मिले। एक घंटे में सारे इंजेक्शन बिक गए। इसके बाद भी 200 से ज्यादा लोग कतार में लगे रहे। ज्यादातर मरीजों के हाथ में वही प्रेस्क्रिप्शन थे, जो अंबेडकर अस्पताल के डाक्टरों ने ही लिखे थे। सोमवार को रायपुर के एक व्यक्ति को एक जूनियर डॉक्टर ने इंजेक्शन के लिए पर्ची लिखकर दी। तब इस व्यक्ति ने कहा कि अस्पताल को 1000 इंजेक्शन मिले हैं तो अब पर्ची क्यों? इस पर डाक्टर ने उससे कहा कि इंजेक्शन केवल गरीबी रेखा (बीपीएल) वालों को देने के निर्देश हैं। यह मैसेज शहर में दिनभर वायरल हुआ और सवाल उठाया जाता रहा कि क्या एपीएल वाले गंभीर मरीज ोक इंजेक्शन नहीं दिया जाएगा? इंजेक्शन का पैसा जमा करवाने का विकल्प इधर, कुछ जानकारों का कहना है कि अगर एपीएल मरीज को रेमडेसिविर इंजेक्शन फ्री नहीं मिलता तो ऐसे मरीजों से पैसे लेने का विकल्प किया जा सकता है। परिजन कैश काउंटर में पैसे जमाकर स्टाफ को रसीद दिखाकर इंजेक्शन लगवा सकता है। यह विकल्प पहले से है। ब्लड जांच से लेकर एमआरआई, सीटी स्कैन, सोनोग्राफी व दूसरी जांच के लिए एपीएल को पैसे पटाने होते हैं। रसीद दिखाने पर उनकी जांच की जाती है। रेमडेसिविर के लिए भी यह विकल्प हो सकता है। मरीज ही क्राइटेरिया: डीन गंभीर मरीज के लिए बीपीएल-एपीएल जैसे क्राइटेरिया नहीं होना चाहिए। जरूरतमंद मरीज को इंजेक्शन मिलना चाहिए। चाहें तो शुल्क ले लिया जाए। इस मामले में फैसला लिया जाएगा। -डॉ. विष्णु दत्त, डीन नेहरू मेडिकल कॉलेज
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