ज़ाकिर घुरसेना/ कैलाश यादव
प्रदेश 12 जनजातियों को आदिवासी घोषित करने को लेकर भाजपा और कांगे्रस में होड़ मची हुई है। भाजपा दावा कर रही है कि हमने संसद में मामले को उठाया था, जबकि कांग्रेस कह रही है कि सीएम भपेश बघेल के आंदोलन और केंद्र सरकार को लिखे पत्र के कारण 12 जनजातियों को आदिवासी घोषित किया गया है। भाजपा के आदिवासी नेता एकजुट होकर मीडिया के सामने दावा करते हुए कांग्रेस सरकार पर झूठा श्रेय लेने के आरोप लगाया है। कांग्रेस ने कहा कि जब केंद्र और राज्य में भाजपा की सरकार थी तो ये निर्णय क्यों नहीं करवाया। जनता में खुसुर-फुसुर है कि भाजपा के संसद कब छत्तीसगढ़ के हित में सवाल उठाए है आज तक किसी ने देखा है न सुना है। वहीं सीएम भूपेश ने सबूत सहित पत्र व्यवहार के साथ 12 जनजातियों को आदिवासी बनाने के लिए पीएमओ और अनुसूचित जनजाति आयोग के साथ जनजातिय मंत्रालय से अनुरोध किया इसका प्रमाण सबके सामने है। अब यही कहना होगा कि जंगल में मोर नाचा किसने देखा। लेकिन राजधानी में मोर नाचते सबने देखा है। शायर वसीम बरेलवी ने ठीक ही कहा है कि वो झूठ बोल रहा था बड़़े ही सलीके से, मैं एतबार न करता तो और क्या करता।
समन्वय बैठक को मिली समन्वय की बड़ी उपलब्धि
आरएसएस के सर संघचालक डॉ. मोहन भागवत ने मुख्यमंत्री का न्योता स्वीकारा और सहर्ष चंदखुरी स्थित प्रसिद्ध कौशल्या माता मंदिर में दर्शन करने पहुंच गए । इससे बड़ा राजनीतिक और पारिवारिक समन्वय का उदाहरण दुनिया में कही नहीं मिल सकता। दो विपरीत धु्रव आपस में समन्वय बना ले। मजे की बात यह है कि वे अकेले नहीं गए बल्कि उनके साथ संघ के प्रांत संघ चालक डॉ. पूर्णेदु सक्सेना और महानगर संघ चालक ओम बिड़ला के अलावा स्वयंसेवक भी कौशिल्या माता के दर्शन करने पहुंचे। मोहन भागवत के मंदिर दर्शन पर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि हमारे निमंत्रण को स्वीकार किया इसके लिए उनको बहुत-बहुत धन्यवाद है। उन्हें माता कौशल्या का दर्शन हुआ, मुझे विश्वास है उनके मन को शांति मिली होगी। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने सर संघ चालक भागवत को कौशल्या मंदिर में दर्शन करने का निमंत्रण दिया था। इसके बाद सर संघचालक डॉ. मोहन भागवत के साथ अन्य प्रमुख पदाधिकारी दर्शन करने पहुंचे हैं। जनता में खुसुर-फुसर है कि यही है समन्वय बैठक की उपलब्धि। जब सत्ताधारी दल न्योता दे तो तत्काल स्वीकार कर लेना चाहिए जो आपसी समन्वय की मिसाल बन सके। राजनीतिक और वैचारिक भेद तो होते रहते है पर धार्मिक स्तर भेदभाव नहीं होना चाहिए। यही सशक्त भारत की पहचान है। किसी ने ठीक ही कहा है कि उसी का बिगड़ता है जिंदगी में प्यार का साज-सुर-लय । जो अपनी जिंदगी में नहीं रख पाते समझ और समन्वय।
सच के कारण गंवाना पड़ा पद पुरंदेश्वरी को
भाजपा ने पिछले एक महीने में प्रदेश संगठन में कई बदलाव किया है। प्रदेश अध्यक्ष, नेता प्रतिपक्ष के बाद पार्टी ने प्रदेश प्रभारी डी. पुरंदेश्वरी को भी हटा दिया। मुख्यमंत्री ने कहा, पुरंदेश्वरी ने यह सच स्वीकार कर लिया था कि, छत्तीसगढ़ में भाजपा के सामने मुख्यमंत्री का पिछड़े वर्ग का होना और किसान होना सबसे बड़ी चुनौती है। इस गलती की वजह से उनको हटाया गया है। जनता में खुसुर-फुसुर है कि भाजपा प्रदेश अध्यक्ष और नेता प्रतिपक्ष बदलने का भी सच बता दीजिए साहब। ऐसा है तो फिर नड्डा जी के बयान पर कुछ और सच का राज खोल ही दीजिए जिससे भाजपाइयों का कलेजा ठंडा हो जाए।
राम मंदिर की तरह ज्ञानवापी में भी मंदिर बने : बृजमोहन
भाजपा के वरिष्ठ नेता और पूर्व मंत्री रायपुर दक्षिण के विधायक बृजमोहन अग्रवाल की चाहत है कि अब अयोध्या के राम मंदिर की तरह ज्ञानवापी में भी मंदिर बने। उन्होंने इस मसले पर अदालत के फैसले का स्वागत करते हुए कहा है कि, वहां भव्य मंदिर बनेगा, आने वाले समय में। ज्ञानवापी शिवलिंग का उल्लेख पुराने शास्त्रों में है,आने वाले सयम में ज्ञानवापी में भव्य मंदिर निर्माण होगा। जनता में खुसुर-फुसर है कि भाजपा यदि अपने कार्यकाल में छत्तीसगढ़ के पौराणिक और ऐतिहासिक मंदिर का संरक्षण कर लेती तो 2018 आए परिणाम का दंश नहीं झेलती। खैर छोड़ो ज्ञानवापी में जब मंदिर बनेगी तब बनेगी लेकिन 2023 में छत्तीसगढ़ में किसकी सरकार बनेगी यह भी बता दीजिए।
विदाई बेला में भी निलंबन वापस नहीं होने का गम
प्रदेश के तीन आला अफसर इस महीने सेवानिवृत्त हो रहे हैं। सबसे चर्चित आइपीएस मुकेश गुप्ता भी इस सूची में शामिल हैं। गुप्ता 1988 बैच के हैं और करीब तीन वर्ष से निलंबित हैं। मुकेश गुप्ता को एक ही बात खल रहा है कि विदाई की बेला में भी उनका निलंबन वापस नहीं हो सका। उन पर गैरकानूनी तरीके से फोन टैपिंग करने का आरोप है। जनता में खुसुर-फुसर है कि अफसरों को सरकार के साथ अपने स्वाभिमान को भी बनाए रखना चाहिए। सरकार तो आती-जाती रहती है। चेहरा बदल जाता है नीति तो वही रहती है जिस पर वो पिछली सरकार में काम किया करते थे वहीं काम करते रहना था, सभी ने पाला बदल दिया तो आप क्यों नहीं बदले। सेवानिवृत्ति की बेला में अधिकारियों को उनकी सेवाओं के लिए सम्मान मिलना चाहिए न कि निलंबन का कलंक।
छत्तीसगढ़ के भगवान के आगे सभी दंडवत
अनादिकाल इस सत्य को लोगों ने सहर्ष स्वीकारा है कि जो राजा होता है प्रजा उसे भगवान मानती है। ऐसा ही एक बयान में आबकारी और उद्योग मंत्री कवासी लखमा ने सीएम भूपेश बघेल को छत्तीसगढ़ के लिए भगवान बताया है। मंत्री कवासी लखमा ने दावा किया कि सीएम भूपेश बघेल के कोई पूर्वज आदिवासी रहे होंगे। सीएम भूपेश बघेल छत्तीसगढ़ के लिए भगवान है। उन्होंने कहा कि वर्तमान में जो देवगुड़ी की पूजा कर रहे हैं, इसी से बस्तर में जमकर बारिश हो रही है। जनता में खुसुर-फुसुर है कि आज के लोकतांत्रिक व्यवस्था में राजाशाही तो नहीं रही, लेकिन जो शासन प्रशासन चलाता है उसे ही राजा माना जाता है उसमें लखमा ने कोई झूठ नहीं कहा है। सारे अधिकारी जो भाजपा शासनकाल में भूपेश बघेल के लिए षडयंत्र करते थे, वो लोग ही आज भूपेश को राजा मान कर पूज रहे है सुख-समृद्धि का आशीर्वाद पाकर फलीभूत हो रहे है और सत्ता में डंका बजा रहे हैं।