रायपुर। छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव-2023 के बीच छत्तीसगढ़ की राजनीति में ऐसा कुछ हो रहा है कि जिसकी चर्चा इन दिनों सियासी गलियारों में खूब है. विशेषकर भाजपा की राजनीतिक गतिविधियों को लेकर. बात चाहे फिर केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के दौरे की हो, राष्ट्रीय संगठन महामंत्री के दौरे की, बैठकों की या फिर केंद्रीय मंत्रियों के चुनाव के 4 महीने पहले से आयोजित जनसभाओं की या फिर इन सबके बीच भाजपा में मुख्यमंत्री चेहरे की. इसकी चर्चा भाजपा के साथ-साथ कांग्रेस और अन्य राजनीतिक दलों और आमजनों के बीच खूब होती रहती है.
खैर चुनाव के दौरान राजनीतिक गतिविधियों का होना, ऐसी चर्चाओं का होना आम है, लेकिन चुनाव के बीच किसी राज्यपाल का अपने गृह राज्य में शक्ति प्रदर्शन के साथ धर्मगुरुओं के बीच, अलग-अलग समाज के लोगों के बीच, प्रदेशभर से आए हजारों लोगों के बीच भव्य समारोह के साथ नागरिक अभिनंदन होना आम नहीं है. और यही वजह है कि इंडोर स्टेडियम में हुए आयोजन के बाद राज्यपाल रमेश बैस की चर्चा छत्तीसगढ़ की राजनीति में और जोर-शोर से होने लगी है.
नागरिक अभिनंदन के मायने को समझने के लिए राजनीतिक सफरनामा को जानना भी जरूरी है. राज्यपाल बैस ठेठ छत्तीसगढ़िया छवि के नेता हैं. छत्तीसगढ़ में आर्थिक, सामाजिक, शैक्षेणिक और राजनीतिक रूप से संपन्न कुर्मी समाज से आते हैं. राजनीति में पार्षद चुनाव में जीत के साथ पदार्पण करने वाले बैस 1 बार के विधायक, 7 बार के सांसद और केंद्रीय मंत्री रहते हुए राज्यपाल तक के शिखर पर पहुंच चुके हैं. सहज-सौम्य और हंसमुख चेहरा वाले बैस की राजनीति 45 साल से जारी और उनके खुद के साथ जानकारों के मुताबिक निर्विवाद नेता के तौर पर उनकी पहचान है. इसी पहचान के बूते दिल्ली के राष्ट्रीय नेतृत्व में भी उनकी मजबूत पकड़ मानी जाती है.
राज्यपाल का नागरिक अभिनंदन होना कोई नई बात नहीं है. राज्यपालों का नागरिक अभिनंदन उनके अपने गृह क्षेत्रों में होते रहता है. राज्यपाल विश्वभूषण हरिचंदन का भी नागरिक अभिनंदन उनके गृह राज्य ओड़िशा में हुआ है. पहले छत्तीसगढ़ अब मणिपुर की राज्यपाल अनुसुइया उइके का भी नागरिक अभिनंदन उनके गृह राज्य मध्यप्रदेश में हुआ है. ऐसा अन्य राज्यपालों के साथ हुआ होगा, लेकिन इस भव्यता के साथ नहीं जैसा रायपुर में राज्यपाल बैस का हुआ है. वह भी छत्तीसगढ़ में होने वाले विधानसभा चुनाव के बीच.
दरअसल इसी साल नवंबर महीने में विधानसभा का चुनाव है. चुनाव को लेकर राजनीतिक गतिविधियां राजनीतिक दलों के बीच तेज है. हर एक इवेंट के अपने राजनीतिक मायने हैं. और शायद यही वजह है कि राज्यपाल रमेश बैस के लिए आयोजित किए गए नागरिक अभिनंदन के भी राजनीतिक मायने निकाले जा रहे हैं, क्योंकि जब पहली बार बैस त्रिपुरा के राज्यपाल बने तब भी ऐसा आयोजन नहीं हुआ और न झारखंड के राज्यपाल बनने के बाद, लेकिन महाराष्ट्र के राज्यपाल बनने के बाद चुनावी साल में यह आयोजन जरूर हुआ है.