संत मदर टेरेसा जी के जन्म दिवस कार्यक्रम में शामिल हुई राज्यपाल अनुसुईया उइके
रायपुर। राज्यपाल अनुसुईया उइके आज 'मिशनरी ऑफ चेरेटी आश्रम' में संत मदर टेरेसा जी के 111वें जन्म दिवस के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में शामिल हुई। उन्होंने कहा कि जो व्यक्ति समाज में निःस्वार्थ भाव से मानवीय संवेदना के साथ असहाय और गरीबों की सेवा करता है उसे पूज्यनीय माना जाता है। समाज में कई लोग ऐसे होते हैं जो बिना किसी अपेक्षा के लोगों की सेवा करते हैं, उनमें संत मदर टेरेसा का नाम प्रमुख है। उनके कार्यों की वजह से उन्हें पूरा संसार सम्मान की नजरों से देखता है।राज्यपाल ने कहा कि जीवन के कई क्षणों में जरूरत पड़ने पर वे किन्हीं के समक्ष मदद मांगने गई और अपेक्षा अनुरूप कार्य न होने पर या मदद न मिलने पर उन्हें बड़ी पीड़ा हुई। तब उन्होंने संकल्प लिया कि जब भी मेरे पास कोई आएगा तो उसकी मैं हरसंभव सहायता करूंगी। उन्होंने कहा कि जब-जब मुझे कोई दायित्व मिला और मेरे समक्ष कोई समस्या लेकर आया तो मैंने हर प्रकार से उनकी मदद की और यह प्रयास किया कि वह संतुष्ट होकर जाए।
राज्यपाल ने कहा कि मदर टेरेसा अपना पूरा जीवन समाज के लिए समर्पित कर दिया। उनकी कार्यों की वजह से उन्हें नोबल पुरस्कार और भारत रत्न से सम्मानित किया गया। उनके द्वारा स्थापित संस्थाएं विभिन्न क्षेत्रों में सेवा कार्य कर रही हैं। राजधानी में भी उनके द्वारा स्थापित इस संस्था द्वारा महिलाओं के कल्याण के लिए किया गया कार्य सराहनीय है। राज्यपाल सुश्री उइके ने कहा कि मदर टेरेसा ने अपना पूरा जीवन मानवता के लिए समर्पित कर दिया। उन्होंने अपने तन-मन से दीन दुखियों की सेवा की। वे हमेशा जरूरतमंदों की मदद के लिए आगे रहती थी। इसके लिए अपना जीवन न्यौछावर कर दिया। वे कहती थीं कि 'दया और प्रेम छोटे हो सकते हैं लेकिन वास्तव में उसकी गूंज अनंत होती है।' उनका कहना था कि 'यह महत्वपूर्ण नहीं है कि आपने कितना दिया बल्कि यह कि देते समय आपने कितने प्रेम से दिया। किसी को दान करना उतना ही मायने रखता है, जितना कि किस भाव से, विचार से, आपने दान किया।
राज्यपाल ने कहा कि जीवन में जब किसी की मदद करने का अवसर मिले तो हमें यथासंभव मदद करनी चाहिए। राज्यपाल बनने के बाद भी मैंने यह प्रयास किया कि जो भी राजभवन के दरवाजे आए उनकी समस्याओं का निराकरण करने का प्रयास करूं। जब हम बिना अपेक्षा के किसी की मदद करते हैं तो जो संतुष्टि मिलती है, वह किसी अन्य कार्य में नहीं मिलती है। अतः हम सबको जीवन का कुछ समय दीन दुखियों की सेवा में लगाना चाहिए। कोविड महामारी के दौरान यह और भी अधिक आवश्यक हो गया है कि हम दूसरों के प्रति सहानुभूति रखें, दयालु बनें और दूसरों की मदद करें। छत्तीसगढ़ राज्य अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष श्री महेन्द्र छाबड़ा ने कहा कि हमें जब कभी भी दीन दुखियों की सेवा करने का मौका मिले, तो अवश्य करनी चाहिए। हमें प्रतिदिन दो व्यक्ति की सेवा करने का प्रयास करना चाहिए। संत मदर टेरेसा और उनकी संस्था द्वारा किए गए सेवा कार्यों से पूरे समाज को प्रेरणा मिलती है। श्री छाबड़ा ने कहा कि राज्यपाल सुश्री उइके के समक्ष जो भी मिलने जाता है वह संतुष्ट होकर आता है। जबसे उन्होंने यह दायित्व संभाला है, छत्तीसगढ़ के आम व्यक्ति को अपनत्व की भावना महसूस होती है।