प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना में हर तरफ भ्रष्टाचार
रायपुर (जसेरि)। प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना की सड़कों के निर्माण में लगे ठेकेदार सालों से जमे अधिकारियों के साथ सांठगांठ कर सरकार को चूना लगा रहे हैं। सरकारी दामाद बनकर ये जनता की टैक्स और सरकार के राजस्व को लूट रहे हैं। इसके बावजूद सरकार का योजना में व्याप्त भ्रष्टाचार और गड़बडिय़ों को लेकर आंखे मूंदे रखना कई सवाल खड़ा कर रहा है। केन्द्र सरकार ने गांवों को बारहमासी आवागमन सुविधा से जोडऩे के लिए गांवों को मुख्य सड़कों से जोडऩे के लिए इस योजना के तहत पक्की सड़क निर्माण के लिए यह योजना शुरू की है। केन्द्र की राशि से राज्य सरकार इस योजना को क्रियान्वित करती है। पिछले सरकार के 15 साल और अब इस सरकार के कार्यकाल में भी बड़े पैमाने पर इस योजना के तहत हजारों सड़कें बनाई गई है और बनाई जा रही हैं। ज्यादातर सड़कों में मापदंडों के विपरीत और गुणवत्ताहीन निर्माण करने की शिकायतें मिली हैं। जिस पर कार्रवाई के बजाया सिर्फ लीपापोती की गई है। अधिकारियों के संरक्षण में सरकारी पैसा का बंदरबाट कर रहे ठेकेदार नीचे से ऊपर तक सेंटिग और कमीशन बंधे होने की बात कहकर निष्फिक्र होकर दोयम दर्जे का निर्माण कर रहे हैं और उनका बाल बांका नहीं हो रहा।
अधिकारियों-ठेकेदारों ने जमकर भरी तिजोरी : छत्तीसगढ़ निर्माण के बाद से ही राज्य के गांवों में इस योजना के तहत बड़े पैमाने पर सड़कों के निर्माण हुए। प्राय: सभी गांव पक्की सड़कों के माध्यम से मुख्य सड़कों से जोड़े गए। दूरस्थ इलाकों के बचे गांवों में इस योजना के तहत आज भी कई सड़कों का निर्माण हो रहा है। इस योजना के माध्यम से न सिर्फ संबंधित विभाग के अधिकारी बल्कि ठेकेदारों ने भी जमकर कमाई की। कमीशन खोरी से जहां अधिकारी लाल हो रहे हैं वही अधिकारियों और उसके माध्यम से उच्चाधिकारियों को गिफ्ट परोस रहे ठेकेदारों ने भी अथाह संपत्ति अर्जित कर ली है। कभी सी-डी क्लास के ठेकेदार रहे लोग आज ए-क्लास के ठेकेदार बन गए है। सरकार अगर पिछले 15 सालों में बनी सड़कों की आडिट करवाए तो कई गड़बडिय़ां उजागर होंगी और कई अधिकारी और ठेकेदार नपेंगे। लेकिन सरकार की अनदेखी के चलते ऐसा हो नहीं रहा है और अधिकारी-ठेकेदार सांठगांठ कर लगातार घटिया सड़क निर्माण कर बजट का बड़ा हिस्सा डकार रहे हैं। उनके भ्रष्टाचार के चलते ग्रामीणों को इस महती योजना का भी पूरा-पूरा लाभ नहीं मिल रहा है। सड़के बनती है और चंद महीनों में ही उसकी हालत खस्ता हो जाती है। पांच साल मेंटनेंस की शर्त भी ठेकेदार पूरा नहीं करते और साल भर बाद सड़कें गायब हो जाती है और बड़े-बड़े गड्ढे और धूल रह जाती है जिससे लोगों को हादसों और बीमारियों से दो चार होना पड़ता है।
इन सड़कों की जांच की मांग
गरियाबंद जिले के देवभोग विकासखंड में हाल ही में बने या बन रही भ्रष्ट ठेकेदारों को विगत 25 सालों से सड़क घोटाले में शामिल सभी सरकारी दामाद बनकर अनाप-सनाप सड़क के नाम पर जनता के टैक्स के पैसों में डाका डाले हैं और अपनी आलिसान कोठी में रह रहे हैं। इन ठेकेदारों के द्वारा किए सड़कों की जांच की मांग पीएमओ, मुख्यमंत्री व संबंधित विभाग से की गई है।
बजाड़ी से तेतलखुटी-मेसर्स एम.एस कंस्ट्रक्शन, रायपुर
गोहरापदर से बनवापारा-मेसर्स एम.एस. कंस्ट्रक्शन, रायपुर
गोहरापदर से सीनापाली-मेसर्स एम.एस. कंस्ट्रक्शन, रायपुर
मुजबहाल से ढोडरा मेसर्स पवार कंस्ट्रक्शन, कुरूद
घुमरापदर से खोकमा- ठेकेदार मो. फारूख वारसी, रायपुर
उरतुली से गरियाबंद- ठेकेदार मेसर्स गुलाब चंद जैन पचपेड़ीनाका, रायपुर