शासकीय तालाब को राजस्व अफसरों से मिलीभगत कर निजी बनाया, जनहित याचिका पर हो रही सुनवाई

Update: 2021-09-15 18:39 GMT

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। बलौदाबाजार। जिले के लालपुर गांव में शासकीय तालाब को राजस्व अफसरों से मिलीभगत कर अपने नाम दर्ज करा लिया। फिर उसे निजी कृषि भूमि बताकर बेच दिया गया। इस मामले में दायर जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट ने कलेक्टर व राजस्व अफसरों को निर्देशित किया है कि पूरे मामले की जांच कर तीन माह में रिपोर्ट प्रस्तुत करें। बलौदाबाजार जिले के ग्राम लालपुर में चार तालाब है। इनमें से एक तालाब शासकीय है।

इनका उपयोग गांव के लोग निस्तारी के लिए करते थे। काफी समय पहले गांव के गंगादयाल व कालिकाप्रसाद ने पटवारी व राजस्व अफसरों से मिलीभगत कर शासकीय तालाब को अपने नाम दर्ज करा लिया। तब से राजस्व रिकार्ड में तालाब उनके नाम पर दर्ज हो गया था।

इस दौरान ग्रामीणों को इसकी भनक तक नहीं लगी। गांव वाले तालाब में निरस्तारी करते रहे। इस दौरान उनकी मौत हो गई। इसके बाद उनके बेटे करण व अन्य ने अपने पिता की फौती कटवाकर तालाब को अपने नाम दर्ज कराया। फिर इसके बाद तालाब को निजी बताया और उसके बांध को तोड़कर पानी को सूखा दिया।
तालाब को सुखाने के बाद उसे समतल करा दिया गया। इस बीच उन्होंने वर्ष 2020 में तालाब को कृषि भूमि बताकर बेच दिया। शासकीय तालाब को बेचने का मामला सामने आने के बाद स्थानीय ग्रामीणों ने इस मामले की शिकायत कलेक्टर व राजस्व अफसरों से की। लेकिन इस गंभीर मामले को अफसरों ने नजरअंदाज कर दिया और कोई कार्रवाई नहीं की।

कोई कार्रवाई नहीं होने से परेशान होकर स्थानीय निवासी रविकुमार यादव ने अधिवक्ता शिवाली दुबे व आदित्य तिवारी के माध्यम से हाई कोर्ट में जनहित याचिका दायर की। इसमें सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का भी हवाला दिया गया है। साथ ही बताया है कि कोई भी सार्वजनिक जल निस्तारी के माध्यम को नष्ट करना अवैधानिक है।

इस प्रकरण की सुनवाई हाई कोर्ट में चल रही है। मंगलवा को सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के अधिवक्ताओं को तर्कों को सुनने के बाद जस्टिस एमएम श्रीवास्तव व जस्टिस विमला कपूर सिंह ने कलेक्टर व राजस्व अफसरों को मामले की जांच करने व दोषियों के खिलाफ कार्रवाई कर तीन माह के भीतर रिपोर्ट प्रस्तुत करने को कहा है।

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